जमाबंदी की गलतियों से परेशान थे लाखों रैयत
डिजिटलाइजेशन के दौर में जहां एक ओर जमीन की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध कराई जा रही है, वहीं दूसरी ओर ऑनलाइन जमाबंदी में भारी संख्या में गलतियां भी देखने को मिल रही हैं। कई रैयतों के नाम में त्रुटि, रकबा में गड़बड़ी, खाता और खेसरा की गलत एंट्री जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। इससे हजारों नहीं, बल्कि लाखों रैयत परेशान हैं। विभाग द्वारा परिमार्जन एप के जरिए ऑनलाइन सुधार की सुविधा दी गई है, लेकिन वह सभी के लिए पर्याप्त नहीं साबित हो रही थी।
अब गांव-गांव में लगेगा सुधार कैंप
रैयतों की इन्हीं समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। बीते दिनों मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया कि अब प्रत्येक जिले के गांवों में विशेष कैंप लगाए जाएंगे। इन कैंपों में रजिस्टर-टू से मिलान कर जमाबंदी की अशुद्धियों को दुरुस्त किया जाएगा। सभी जिलों के समाहर्ताओं को इस बाबत निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
भूमि सर्वेक्षण से बढ़ी पारदर्शिता
बिहार में चल रहा भूमि सर्वेक्षण राज्य की सबसे बड़ी डिजिटल पहल में से एक बन चुका है। इसके माध्यम से प्रत्येक प्लॉट की सटीक सीमा, स्वामित्व और उपयोग की जानकारी दर्ज की जा रही है। पहले जहां ज़मीन के मामूली विवाद भी कोर्ट-कचहरी में वर्षों चलते थे, अब डिजिटल नक्शे और रिकॉर्ड्स की मदद से यह साफ-साफ पता चल रहा है कि कौन सी ज़मीन किसकी है और कितनी है।
0 comments:
Post a Comment