अब तक ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट मैन्युअल तरीके से लिए जाते थे, जिसमें कई बार बिना वाहन चलाना जाने लोग पास हो जाते थे। लेकिन अब ऐसा मुमकिन नहीं होगा। नई व्यवस्था में सेंसरयुक्त ट्रैक पर 100 से अधिक हाई-टेक कैमरों की मदद से अभ्यर्थी की हर गतिविधि रिकॉर्ड की जाएगी। पूरा टेस्ट वीडियो रिकॉर्डिंग के तहत होगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और फर्जीवाड़े पर रोक लगे।
तीन चरणों में होगा टेस्ट
पहले की तरह लर्निंग लाइसेंस के लिए कंप्यूटर आधारित टेस्ट ही देना होगा, जिसमें 15 में से 9 सवालों के सही उत्तर देना अनिवार्य होगा। इसके बाद अभ्यर्थी परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए योग्य माना जाएगा। लेकिन अब इसमें एक और कदम जोड़ा गया है—परमानेंट डीएल से पहले एक ट्रेनिंग टेस्ट देना होगा। सेंसरयुक्त ट्रैक पर इस ट्रेनिंग टेस्ट को पास करने के बाद ही अंतिम ड्राइविंग टेस्ट की अनुमति दी जाएगी।
फर्जी लाइसेंस पर लगेगी लगाम
परिवहन विभाग का मानना है कि इस नई व्यवस्था से लाइसेंसिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और फर्जी लाइसेंस बनाने वाले दलालों पर रोक लगेगी। साथ ही, केवल वही लोग ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त कर सकेंगे जो वास्तव में वाहन चलाने में सक्षम हैं।
अधिकारियों की नजर में बड़ा सुधार
ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (DTI) के अधिकारियों का कहना है कि यह नई व्यवस्था न केवल लाइसेंस प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाएगी, बल्कि सड़क पर दुर्घटनाओं की संख्या में भी कमी लाने में मददगार होगी। साथ ही सही लोग को डीएल मिलेगा।
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