तेजस Mk2 न सिर्फ भारत के मौजूदा तेजस Mk1 फ्लीट का उन्नत संस्करण है, बल्कि यह पांचवीं पीढ़ी के AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) से पहले की कड़ी भी है। इसे 4.5 पीढ़ी का उन्नत लड़ाकू विमान माना जा रहा है, जो भारत की वायु शक्ति को नए स्तर पर ले जाएगा।
तेजस Mk2: तकनीक और ताकत का मेल
इस लड़ाकू विमान की सबसे बड़ी खासियत इसका शक्तिशाली GE-F414-INS6 इंजन है, जो इसे अधिक स्पीड, बेहतर थ्रस्ट और ज्यादा हथियार क्षमता देता है। इसमें शामिल है: AESA रडार (Active Electronically Scanned Array) जो बेहतर टारगेटिंग और दुश्मन पर निगरानी की क्षमता देता है।
इसमें उन्नत एविओनिक्स और हथियार सिस्टम हैं जो इसे मल्टी-रोल फाइटर बनाते हैं, capable of air-to-air और air-to-ground दोनों मिशन में इसमें स्पष्ट रडार क्रॉस सेक्शन कम करने वाला डिज़ाइन हैं, जो इसे दुश्मन की पकड़ से काफी हद तक बचाता है।
2028-29 से शुरू होगा उत्पादन
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किए जा रहे इस विमान का प्रोडक्शन 2028-29 में शुरू होने की उम्मीद है। अनुमान है कि 2035 तक 120 से 180 यूनिट्स भारतीय वायुसेना में शामिल किए जाएंगे, जो पुराने लड़ाकू विमानों जैसे Jaguar, Mirage-2000 और MiG-29 की जगह लेंगे।
आत्मनिर्भर भारत की नई छलांग
तेजस Mk2 की तैनाती भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगी। यह भारत को न केवल अपनी वायुसेना को मजबूत बनाने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में रक्षा उपकरणों के निर्यातक के रूप में भी स्थापित करेगा।
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