यूपी में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की आउटसोर्सिंग से भर्ती

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के शिक्षा तंत्र को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। राज्य के 2450 से अधिक राजकीय हाईस्कूल और इंटर कॉलेजों में वर्षों से रिक्त पड़े चतुर्थ श्रेणी पदों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरे जाने का आदेश जारी किया गया है। यह निर्णय उन विद्यालयों के लिए राहत की खबर है, जहाँ चौकीदार, सफाई कर्मचारी, लैब सहायक, पुस्तकालय सहायक और चपरासी जैसे आवश्यक कर्मचारियों की भारी कमी से शिक्षण और प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे थे।

क्यों जरूरी था यह फैसला?

प्रदेश के अधिकांश राजकीय विद्यालयों में वर्ष 2000 के बाद से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियमित भर्ती नहीं की गई है। परिणामस्वरूप, राजधानी लखनऊ जैसे शहरों के इंटर कॉलेजों में भी हालात इतने खराब हैं कि एक कॉलेज में मुश्किल से एक या दो कर्मचारी ही बचे हैं। जबकि प्रत्येक विद्यालय में कम से कम 8 से 10 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अनिवार्य माने जाते हैं, खासकर हॉस्टल संचालित विद्यालयों में।

इस कमी का सीधा असर विद्यालयों की साफ-सफाई, सुरक्षा, प्रयोगशालाओं की व्यवस्था, पुस्तकालय संचालन और अभिलेखों के रख-रखाव पर पड़ा है। ऐसे में सरकार का यह फैसला विद्यालय प्रशासन के लिए काफी सहायक साबित हो सकता है।

GEM पोर्टल से आउटसोर्सिंग

सरकार ने इन भर्तियों के लिए निजी मैनपावर एजेंसियों के माध्यम से नियुक्ति करने का निर्णय लिया है। यह प्रक्रिया भारत सरकार के जेम (GEM) पोर्टल के माध्यम से पूरी की जाएगी। राजकीय हाईस्कूलों में अधिकतम 2 कर्मचारी, राजकीय इंटर कॉलेजों में अधिकतम 5 कर्मचारी नियुक्त किए जा सकेंगे। इन कर्मचारियों को प्रयोगशाला, पुस्तकालय, कार्यालयीय कार्य, सुरक्षा और सफाई जैसे कार्यों में लगाया जाएगा।

वेतन और कार्यकाल

प्रत्येक कर्मचारी को प्रतिमाह ₹10,275 रुपए वेतन मिलेगा। ईपीएफ, ईएसआईसी, सेवा शुल्क और जीएसटी जोड़ने पर सरकार को प्रति कर्मचारी लगभग ₹14,651 प्रति माह खर्च आएगा। इनकी नियुक्ति अधिकतम 11 महीने के लिए होगी, जिसके बाद हर वर्ष नवीनीकरण प्रधानाचार्य की समिति द्वारा किया जाएगा। यह प्रक्रिया जुलाई 2025 से शुरू होने वाले शैक्षणिक सत्र से लागू होगी।

चयन की प्रक्रिया और जिम्मेदारी

GEM पोर्टल पर प्रधानाचार्य को ही एजेंसियों का चयन करना होगा। यह चयन मंडलवार किया जाएगा ताकि स्थानीय स्तर पर सुविधा बनी रहे। प्रधानाचार्य के स्तर पर ही आवेदन प्रक्रिया और अनुबंध की निगरानी होगी।

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