1. संयुक्त राज्य अमेरिका (USA): वैश्विक नेतृत्व
दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा बजट, सैकड़ों विदेशी सैन्य ठिकाने, अत्याधुनिक वायु और नौसेना – ये सब अमेरिका को आज भी शीर्ष पर बनाए रखते हैं। अमेरिका की सेना युद्ध के हर क्षेत्र में आगे है – चाहे वह पारंपरिक लड़ाई हो, साइबर युद्ध हो या अंतरिक्ष आधारित सैन्य रणनीति।
2. रूस: परमाणु ताकत के साथ भू-राजनीतिक प्रभाव
सोवियत संघ के विघटन के बावजूद रूस ने अपनी सैन्य शक्ति को कभी कम नहीं होने दिया। हाल के वर्षों में हाइपरसोनिक मिसाइल, साइबर युद्धक क्षमता और परमाणु हथियारों के विस्तार में उसने दुनिया को चौंकाया है। रूस को आज भी मिलिट्री सुपरपावर के रूप में देखा जाता हैं।
3. चीन: संख्या और तकनीक दोनों में तेजी से उभरती शक्ति
बीते एक दशक में चीन ने अपने रक्षा बजट में अभूतपूर्व वृद्धि की है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) दुनिया की सबसे बड़ी सेना बन चुकी है, और चीन की सैन्य शक्ति अब सिर्फ रक्षा तक सीमित नहीं रही — वह साइबर युद्ध, अंतरिक्ष वर्चस्व और AI आधारित हथियार प्रणालियों में भी निवेश कर रहा है।
4. भारत: क्षेत्रीय शक्ति से वैश्विक सैन्य खिलाड़ी तक का सफर
भारत की सैन्य ताकत तेजी से वैश्विक मानकों पर पहुंच रही है। रक्षा बजट में निरंतर वृद्धि, स्वदेशी हथियारों का निर्माण (Make in India Defence), और परमाणु त्रैतीय क्षमता (nuclear triad) ने भारत को इस सूची में स्थान दिलाया है।
नया सैन्य संतुलन: प्रतिस्पर्धा या सहयोग?
विशेषज्ञों का मानना है कि इन चारों देशों के बीच सैन्य शक्ति का संतुलन आने वाले समय में वैश्विक राजनीति की दिशा तय करेगा। जहां एक ओर यह प्रतिस्पर्धा संघर्ष का कारण बन सकती है, वहीं दूसरी ओर वैश्विक शांति के लिए संयुक्त सैन्य सहयोग की संभावनाएँ भी बढ़ रही हैं।
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