7वें वेतन आयोग से लेकर अब तक का सफर
2016 में लागू हुए 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 रखा गया था। इसका मतलब यह हुआ कि न्यूनतम बेसिक सैलरी ₹7,000 से बढ़कर ₹18,000 हो गई। पिछले लगभग दस वर्षों में महंगाई दर बढ़ने और आर्थिक बदलावों को देखते हुए अब नए वेतन आयोग की मांग बढ़ रही है।
8वें वेतन आयोग कब होगा लागू?
ऐतिहासिक तौर पर हर 10 साल पर नया वेतन आयोग गठित होता है, इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि 8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से प्रभावी हो सकता है। इस आयोग के लागू होने से 50 लाख से अधिक केंद्रीय कर्मचारी और 65 लाख से ज्यादा पेंशनर्स लाभान्वित होंगे।
फिटमेंट फैक्टर क्या है और क्यों है यह जरूरी?
फिटमेंट फैक्टर वह गुणांक है जिसके द्वारा मौजूदा बेसिक सैलरी को गुणा कर नई सैलरी तय की जाती है। इसे सैलरी बढ़ाने की ‘जादू की छड़ी’ भी कहा जाता है। 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जबकि अब खबरें हैं कि 8वें वेतन आयोग में इसे लगभग 2.86 के आसपास रखने पर विचार हो रहा है, जिससे कर्मचारियों की सैलरी में 20% से 30% तक की वृद्धि संभव है।
महंगाई भत्ते (DA) का होगा रीसेट
8वें वेतन आयोग लागू होने पर वर्तमान में लगभग 60% से अधिक चल रहे महंगाई भत्ते (DA) को शून्य कर रीसेट किया जाएगा। नए वेतन में DA को मर्ज किया जाएगा और इसके बाद DA की गिनती फिर से शुरू होगी। इसका फायदा कर्मचारियों को उनकी सैलरी की असली ताकत को बढ़ाने में मिलेगा।
पेंशनर्स को मिलेगा भारी लाभ
पेंशनर्स को भी नए फिटमेंट फैक्टर के हिसाब से पेंशन बढ़ोतरी मिलेगी। उदाहरण के लिए, अगर न्यूनतम पेंशन ₹9,000 है तो वह बढ़कर ₹25,740 तक पहुंच सकती है। वहीं अधिकतम पेंशन ₹1,25,000 से बढ़कर ₹3,57,500 तक जा सकती है। इससे रिटायर्ड कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
8वें वेतन आयोग से जुड़े संभावित लाभ
सैलरी में 20% से 30% तक वृद्धि
पेंशन में भी भारी बढ़ोतरी
महंगाई भत्ते को रीसेट कर सैलरी की वास्तविक ताकत में सुधार
कर्मचारियों की क्रय शक्ति में सुधार
जीवन स्तर में बेहतरी
मध्यम वर्ग को आर्थिक राहत
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