भारत का मिराज-2000 होगा ‘अस्त्र मार्क II’ से लैस

नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना (IAF) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अपने पुराने लेकिन बेहद भरोसेमंद मिराज-2000 लड़ाकू विमानों को ‘अस्त्र मार्क II’ मिसाइल से लैस करने का फैसला किया है। यह मिसाइल DRDO द्वारा विकसित बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM) है, जो अपनी लंबी दूरी की मारक क्षमता और आधुनिक तकनीक के कारण भारतीय वायु सेना के लिए गेम-चेंजर साबित होगी।

मिराज-2000 और अस्त्र मार्क II: क्यों जरूरी है अपग्रेड?

मिराज-2000 को 2035 तक ऑपरेशनल रखने के लिए यह अपग्रेड अनिवार्य हो गया है। पुराने विमानों के साथ आधुनिक युद्ध की मांगों को पूरा करना और दुश्मनों के बढ़ते हवाई खतरे से निपटना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। मई 2025 में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने स्पष्ट कर दिया कि लंबी दूरी से दुश्मन विमानों को प्रभावी रूप से भेदने की क्षमता हवाई युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाती है।

अस्त्र मार्क II मिसाइल के जुड़ने से मिराज-2000 की लंबी दूरी से मार करने की क्षमता में जबरदस्त सुधार होगा। इससे यह विमान LAC और LoC जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में वायु रक्षा को मजबूत करेगा और दुश्मन को कड़ी टक्कर देने में सक्षम बनेगा। यह सिर्फ एक तकनीकी उन्नयन नहीं, बल्कि मिराज-2000 को एक नए स्तर का घातक हथियार बनाने जैसा है।

अस्त्र मार्क II मिसाइल की तकनीकी विशेषताएं

DRDO की देसी तकनीक से विकसित अस्त्र मार्क II मिसाइल में कई उन्नत फीचर्स शामिल हैं। इसकी रेंज लगभग 160-180 किलोमीटर है, जो अस्त्र मार्क I की तुलना में काफी ज्यादा है। मिसाइल डुअल-पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर से संचालित होती है, जिससे इसे अधिक सटीकता और गति मिलती है।

अस्त्र मार्क II में एक्टिव रडार होमिंग सिस्टम है, जो मिसाइल को दुश्मन के लक्ष्य तक बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के सटीक तरीके से पहुंचने में मदद करता है। यह मिसाइल यूरोपीय मेटियर मिसाइल जैसी वैश्विक स्तर की मिसाइलों को टक्कर देने में सक्षम है। इसके स्वदेशी निर्माण से यह भारत के आत्मनिर्भर भारत मिशन को भी मजबूती प्रदान करता है।

तकनीकी चुनौतियां और समाधान

मिराज-2000 में अस्त्र मार्क II मिसाइल को पूरी तरह से इंटीग्रेट करने के लिए विमान के RDY रडार सिस्टम में कुछ बदलाव करने होंगे। सबसे बड़ी चुनौती डसॉल्ट एविएशन, फ्रांस की कंपनी, से रडार के सोर्स कोड को हासिल करना है। यह कोड मिसाइल के गाइडेंस सिस्टम के साथ सही तालमेल बैठाने के लिए आवश्यक है। इस प्रक्रिया में भारत को फ्रांसीसी पक्ष के साथ तकनीकी और कूटनीतिक स्तर पर मजबूत संवाद बनाए रखना होगा ताकि विमान की पुरानी तकनीक के साथ आधुनिक मिसाइल की सफलता सुनिश्चित हो सके।

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