औद्योगिक घरानों को जोड़ने की रणनीति
प्रदेश में निवेश बनाए रखने और पारिवारिक औद्योगिक इकाइयों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में सहजता से स्थानांतरित करने के उद्देश्य से यह प्रस्ताव तैयार किया गया है। अब तक ऐसी संपत्तियों के हस्तांतरण पर भारी स्टांप शुल्क देना पड़ता था, जिससे कई बार पारिवारिक विवाद या कानूनी जटिलताएं खड़ी हो जाती थीं। सरकार अब इस प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने जा रही है।
कैबिनेट प्रस्ताव में हो रहा संशोधन
स्टांप एवं पंजीकरण विभाग ने पहले से ही एक कैबिनेट प्रस्ताव तैयार कर भेजा था, जिसमें पैतृक संपत्तियों को ₹5000 के स्टांप शुल्क पर ट्रांसफर करने की व्यवस्था थी। हालांकि, उच्च स्तर से इस पर सुझाव दिया गया कि इसमें केवल आवासीय या कृषि भूमि ही नहीं, बल्कि औद्योगिक और संस्थागत संपत्तियों को भी शामिल किया जाए। इसके बाद प्रस्ताव में संशोधन की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
संस्थागत संपत्तियों को भी मिलेगा लाभ
नई व्यवस्था के तहत संस्थागत संपत्तियों—जैसे ट्रस्ट, सोसायटी या पारिवारिक संस्थान की संपत्तियों—का हस्तांतरण भी सरल किया जाएगा। ये वे संपत्तियां होती हैं जो अक्सर वर्षों तक एक ही परिवार या संस्था के अधीन रहती हैं, लेकिन उनके कानूनी हस्तांतरण में समय और धन दोनों की भारी लागत आती है। सरकार इसे कम कर उद्योगों की पीढ़ियों तक स्थिरता बनाए रखना चाहती है।
राजस्व पर असर बनाम निवेश का लाभ
हालांकि यह कदम सरकार के लिए स्टांप शुल्क के रूप में मिलने वाले राजस्व में थोड़ी कमी ला सकता है, लेकिन इसकी भरपाई राज्य में औद्योगिक विकास और पारिवारिक व्यापारों की स्थिरता के ज़रिए होने की उम्मीद है। इससे निवेश का माहौल बेहतर होगा और व्यापारिक परिवारों में उत्तराधिकार की प्रक्रिया सुगम बनेगी।
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