कोरवा में बन रहा है ‘ स्वदेशी शेर’
IRRPL प्लांट अमेठी के कोरवा क्षेत्र में स्थित है और यह भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग का एक प्रमुख उदाहरण है। इस संयुक्त उद्यम में भारत की ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड और रूस की प्रमुख हथियार निर्माता कंपनियाँ — कलाश्निकोव कंसर्न और रोसोबोरोनएक्सपोर्ट — साझेदार हैं।
IRRPL द्वारा निर्मित AK-203 राइफलें धीरे-धीरे पूरी तरह स्वदेशी बन जाएंगी, जिनमें उपयोग होने वाले अधिकतर कल-पुर्जे, असेंबली और गुणवत्ता नियंत्रण भारत में ही सुनिश्चित किया जाएगा। इसका उद्देश्य केवल आत्मनिर्भरता नहीं, बल्कि घरेलू रक्षा उद्योग को वैश्विक मानकों पर स्थापित करना है।
क्यों खास है AK-203?
AK-203 राइफल दरअसल प्रसिद्ध कलाश्निकोव सीरीज़ की आधुनिकतम पेशकश है। यह 7.62x39 मिमी की राइफल है, जो भारतीय सेना की पुरानी INSAS राइफल की जगह लेगी। यह हथियार न केवल अत्यधिक टिकाऊ है, बल्कि हर मौसम और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी बेहतरीन प्रदर्शन करता है। इसके मॉड्यूलर डिज़ाइन, हल्के वजन और बेहतर एर्गोनॉमिक्स की वजह से इसे आधुनिक युद्ध के लिए उपयुक्त माना जा रहा है। इसे भारतीय सैनिकों की ज़रूरतों के अनुसार कस्टमाइज़ भी किया गया है।
आत्मनिर्भर भारत की ओर एक बड़ा कदम
AK-203 का भारत में उत्पादन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को मज़बूती प्रदान करता है। अब तक भारतीय सेना के लिए राइफलें विदेशों से आयात की जाती थीं, जिससे न केवल विदेशी मुद्रा खर्च होती थी, बल्कि लंबे समय तक आत्मनिर्भरता का सपना अधूरा रह जाता था। IRRPL में उत्पादन शुरू होने से न केवल देश की रक्षा जरूरतें देश में ही पूरी होंगी, बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। इससे अमेठी और आसपास के क्षेत्रों में औद्योगिक विकास को भी गति मिलेगी
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