ग्रीन चौपाल की संरचना और जिम्मेदारियां
ग्रीन चौपाल के अध्यक्ष ग्राम प्रधान होंगे, जो इसकी अध्यक्षता और संचालन दोनों करेंगे। इस बैठक का सदस्यों का समन्वय सेक्शन या बीट अधिकारी करेंगे, जबकि संयोजक की भूमिका ग्राम पंचायत अधिकारी निभाएंगे। इसके अलावा पंचायत सदस्य, महिला समूह, स्कूलों के शिक्षक-छात्र, आंगनवाड़ी सहायिका, स्थानीय एनजीओ और अन्य समाजसेवी इस समिति का हिस्सा होंगे। इस समन्वय से चौपाल प्रभावी तरीके से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करेगी और हर वर्ग को जोड़ने का प्रयास करेगी।
जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रचार-प्रसार
ग्रीन चौपाल के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, हरित ऊर्जा और अन्य संबंधित विषयों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए गांवों में नुक्कड़ नाटक, रैलियां और गोष्ठियां आयोजित की जाएंगी। विद्यालयों में शिक्षक और छात्र भी इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेंगे। इससे न केवल युवाओं में जागरूकता बढ़ेगी बल्कि पूरे समाज में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना मजबूत होगी। ग्रीन चौपाल की निगरानी जिला स्तर पर जिला वृक्षारोपण समिति करेगी, जो इस पूरे अभियान को प्रभावी बनाएगी।
पौधरोपण और हरित निधि की देखरेख
हर ग्राम पंचायत की रिक्त भूमि पर पौधरोपण करने के लिए माइक्रोप्लान के तहत योजनाएं चलाई जाएंगी। पौधों की देखरेख और उनकी उचित देखभाल सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होगी। साथ ही ग्रीन चौपाल मिशन लाइफ, वन्यजीव संरक्षण, वैकल्पिक ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन जैसे अभियानों को गांव-गांव तक पहुंचाएगी। पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्राम हरित निधि की स्थापना और उसका सुचारु संचालन भी इस योजना का अहम हिस्सा होगा, जिससे स्थाई और प्रभावी विकास संभव होगा।
राज्य स्तरीय सम्मान और प्रोत्साहन
ग्रीन चौपाल की सफलता और प्रभाव को देखते हुए, मुख्य विकास अधिकारी के पर्यवेक्षण में हर महीने चौपाल की गतिविधियों का विवरण जिला पंचायत राज अधिकारी तैयार करेंगे। समन्वय प्रभागीय वनाधिकारी करेंगे और जिला स्तरीय वृक्षारोपण समिति की सिफारिश के आधार पर राज्य स्तर पर उत्कृष्ट ग्रीन चौपालों को सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान ग्राम प्रधानों और पंचायतों के लिए एक प्रेरणा स्रोत होगा और उन्हें पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में और सक्रिय बनाएगा।
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