अमेरिका से भारत आ रहा ये हथियार: चीन-पाक के उड़े होश

नई दिल्ली। भारत की सैन्य शक्ति को एक और बड़ा संबल मिलने जा रहा है। अमेरिका से भारतीय सेना के लिए भेजे जा रहे AH-64E अपाचे अटैक हेलीकॉप्टरों की तस्वीरों ने देश के रक्षा समुदाय में जबरदस्त उत्साह भर दिया है। ये वही अपाचे हेलीकॉप्टर हैं जो पहले से भारतीय वायुसेना के बेड़े का हिस्सा हैं और अब भारतीय थल सेना के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए हैं।

तस्वीर जिसने बढ़ाया जोश

हाल ही में सामने आई एक फोटो में, अमेरिका के एरिजोना स्थित बोइंग संयंत्र से विशाल एंटोनोव An-124 रुस्लान कार्गो विमान में अपाचे हेलीकॉप्टर को सावधानीपूर्वक लोड करते हुए देखा गया। यह दृश्य यह दर्शाता है कि भारत के लिए AH-64E हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है।

मेसा से भारत की ओर: अपाचे का सफर

बोइंग का मेसा संयंत्र, जो एरिजोना के मध्य में स्थित है, अपाचे हेलीकॉप्टरों के निर्माण और परीक्षण का मुख्य केंद्र है। यहीं से ये हेलीकॉप्टर भारत के लिए भेजे जा रहे हैं। भारतीय सेना को लंबे समय से इन हेलीकॉप्टरों की प्रतीक्षा थी, लेकिन विभिन्न तकनीकी और लॉजिस्टिक कारणों से इसकी डिलीवरी में विलंब हुआ। अब जब पहली खेप 21 जुलाई को भारत पहुंचने जा रही है, तो यह रक्षा क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

क्यों खास है AH-64E अपाचे?

अपाचे AH-64E, जिसे ‘अपाचे गार्जियन’ भी कहा जाता है, आधुनिक युद्ध के मैदान का एक शक्तिशाली खिलाड़ी है। यह हेलीकॉप्टर हर मौसम, दिन-रात और ऊंचे पहाड़ी इलाकों में सटीक हमला करने की क्षमता रखता है। इसमें आधुनिक एवियोनिक्स सिस्टम, परिष्कृत सेंसर, और शक्तिशाली हथियार प्रणालियां शामिल हैं।

सेना के लिए क्यों जरूरी है ये हेलीकॉप्टर?

भारतीय थल सेना ने इन हेलीकॉप्टरों का ऑर्डर अपनी आक्रामक क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए दिया था। स्वदेशी लड़ाकू हेलीकॉप्टर जैसे LCH ‘प्रचंड’ के साथ अपाचे का होना, एक संतुलित और घातक एयर कैवेलरी फोर्स तैयार करने की दिशा में अहम कदम है। विशेष रूप से ऊंचाई वाले क्षेत्रों और सीमावर्ती इलाकों में, जैसे कि पाकिस्तान सीमा या चीन सीमा, इन हेलीकॉप्टरों की तैनाती से भारतीय सेना की सामरिक स्थिति को बढ़त मिलेगी। इनका उपयोग सीमा पार सटीक हमलों, दुश्मन की पोजिशन की निगरानी, और युद्ध के दौरान समर्थन प्रदान करने में किया जाएगा।

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