ट्रंप के वॉर से खतरे में चीन, भारत को बड़ा फायदा!

न्यूज डेस्क। अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर एक बार फिर सुर्खियों में है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ चीन की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल रहे हैं। खासतौर पर जब चीन की GDP ग्रोथ दर गिरावट की ओर है और घरेलू मांग कमजोर बनी हुई है, तब ये टैरिफ उसके लिए दोहरी मार साबित हो रहे हैं। लेकिन जहां एक ओर चीन दबाव में है, वहीं भारत और अन्य उभरते बाजारों के लिए यह एक बड़ा अवसर बनकर उभर सकता है।

चीन की कमजोर होती औद्योगिक रीढ़

ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में अमेरिकी टैरिफ का स्तर लगभग 40% तक पहुंच चुका है, जबकि चीनी उद्योगों का औसत मुनाफा 14.8% के आसपास है। यह असंतुलन चीनी कंपनियों को नुकसानदेह स्थितियों में धकेल सकता है। खासकर टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, फर्नीचर और IT जैसे क्षेत्रों में सबसे ज्यादा संकट की आशंका है।

कम मुनाफे और बढ़ती लागत के चलते कंपनियां या तो कीमतें घटाने पर मजबूर होंगी या फिर कर्मचारियों की छंटनी और वेतन में कटौती जैसे कड़े कदम उठाने पड़ सकते हैं। इसका प्रभाव सीधे तौर पर चीन की रोजगार दर और घरेलू खपत पर पड़ सकता है।

भारत के लिए मौका ही मौका

इस पूरे घटनाक्रम में भारत के लिए एक बड़ा मौका छिपा है। अमेरिकी कंपनियां अगर चीन से दूरी बनाती हैं, तो उन्हें नए विकल्पों की तलाश होगी। भारत इसमें एक स्वाभाविक दावेदार बन सकता है, खासतौर पर मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी सेक्टर में। भारत की बड़ी युवा आबादी, तेजी से विकसित हो रही इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमताएं और सुधारवादी नीतियां उसे चीन का विकल्प बनने की दिशा में आगे बढ़ा रही हैं।

टेक्सटाइल सेक्टर: भारत पारंपरिक रूप से टेक्सटाइल और परिधान उद्योग में मजबूत स्थिति रखता है। अगर अमेरिकी कंपनियां चीन से कपड़ा आयात कम करती हैं, तो भारत इस गैप को भर सकता है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और असेंबली: सरकार की PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) स्कीम इस दिशा में मदद कर सकती है, जिससे भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन बढ़े।

औषधि उद्योग (Pharma): भारत पहले ही “फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड” के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। अगर ट्रंप की नीति दवा सेक्टर पर भी असर डालती है, तो भारत का निर्यात और बढ़ सकता है।

क्या भारत इस अवसर का फायदा उठा पाएगा?

हालांकि भारत के लिए अवसर बड़ा है, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। लॉजिस्टिक्स, बिजली, श्रम कानून और नीतिगत स्थिरता जैसे क्षेत्रों में भारत को और सुधार करने होंगे। यदि सरकार और उद्योग जगत मिलकर सही रणनीति बनाते हैं, तो यह भारत के लिए सुनहरा अवसर हो सकता है।

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