बता दें की यह वही मिसाइल है, जिसने हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के समय दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था। इसकी रफ्तार, सटीकता और ताकत ने न केवल दुश्मनों को सावधान कर दिया, बल्कि 15 से अधिक देशों को भी इसकी ओर आकर्षित किया है।
ब्रह्मोस: भारतीय विज्ञान और रूसी तकनीक का अभूतपूर्व संगम
ब्रह्मोस एयरोस्पेस— भारत-रूस संयुक्त उपक्रम—दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक का निर्माता है। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी से मिलकर रखा गया है। इस परियोजना में भारत की डीआरडीओ की 50.5% और रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया की 49.5% हिस्सेदारी है।
हाल ही में ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व महानिदेशक अतुल राणे ने इस बात का खुलासा किया कि दोनों देश मिलकर ब्रह्मोस के हाइपरसोनिक संस्करण ब्रह्मोस-II पर काम कर रहे हैं। RT को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि "जब यह तकनीक पूरी तरह से परिपक्व होगी, उस दिन ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल की नींव रख दी जाएगी।"
हाइपरसोनिक तकनीक: युद्ध का भविष्य
हाइपरसोनिक मिसाइलें वो होती हैं, जिनकी गति ध्वनि की गति से कम से कम पाँच गुना अधिक होती है—यानी Mach 5 या उससे भी अधिक। इसकी न्यूनतम गति 6,174 किमी प्रति घंटा मानी जाती है। इस रफ्तार से चलने वाली मिसाइलें दुश्मन के रडार और एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में सक्षम होती हैं। उड़ान के दौरान दिशा बदलने की क्षमता और पारंपरिक व परमाणु वॉरहेड ले जाने की ताकत इन्हें युद्ध में एक निर्णायक हथियार बनाती है।
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