विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का आंकलन
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार में इस गिरावट के पीछे मुख्य रूप से फॉरेन करेंसी एसेट (FCA), स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) और विशेष आहरण अधिकार (SDR) में कमी है। विदेशी मुद्रा भंडार की ये तीन प्रमुख श्रेणियां भारतीय आर्थिक स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिति का महत्वपूर्ण संकेतक होती हैं।
1 .फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA): इस दौरान FCA में 2.48 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज हुई है, जिससे अब यह घटकर 588.81 अरब डॉलर रह गया है। विदेशी मुद्रा आस्तियों में डॉलर के अलावा यूरो, ब्रिटिश पौंड और जापानी येन जैसी मुद्राओं का भी योगदान होता है, जिनकी कीमतों में उतार-चढ़ाव भी भंडार के मूल्य को प्रभावित करता है।
2 .स्वर्ण भंडार (Gold Reserves): भारतीय स्वर्ण भंडार में भी गिरावट देखी गई है। 11 जुलाई तक स्वर्ण भंडार में लगभग 737 मिलियन डॉलर की कमी आई है, जबकि इससे पहले 4 जुलाई को सोने के भंडार में कुछ बढ़ोतरी दर्ज हुई थी। वर्तमान में स्वर्ण भंडार 84.35 अरब डॉलर के आसपास है।
3 .विशेष आहरण अधिकार (SDR): IMF के तहत उपलब्ध SDR में भी 66 मिलियन डॉलर की गिरावट हुई है, जो इसके पहले के सप्ताह में हुई 39 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी के विपरीत है। इसके अलावा, IMF में भारत के भंडार में भी 24 मिलियन डॉलर की कमी आई है।
इस गिरावट का भारत की आर्थिक स्थिरता पर प्रभाव
विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की आर्थिक मजबूती और अंतरराष्ट्रीय भुगतान क्षमता का प्रमुख आधार होता है। भंडार में गिरावट की लगातार दो सप्ताह की प्रवृत्ति चिंता का विषय हो सकती है, लेकिन 696 अरब डॉलर का भंडार अभी भी विश्व स्तर पर पर्याप्त माना जाता है। यह भंडार भारत को विदेशी कर्ज चुकाने, अंतरराष्ट्रीय व्यापार के भुगतान और वित्तीय संकटों का सामना करने में सक्षम बनाता है।
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