अमेरिकी F-35 परमाणु हथियार से लैस, चीन-रूस के उड़े होश

न्यूज डेस्क। अमेरिका का अत्याधुनिक स्टेल्थ लड़ाकू विमान F-35A लाइटनिंग II अब एक और बड़ी उपलब्धि के साथ सामने आया है। यह अब B61-12 परमाणु बम ले जाने में सक्षम है – जिससे यह विमान न केवल तकनीकी रूप से अधिक घातक बन गया है, बल्कि वैश्विक सैन्य समीकरणों में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाला है। यह घटनाक्रम रूस और चीन जैसे अमेरिका विरोधी राष्ट्रों के लिए नई चिंता का विषय बन गया है।

B61-12: अमेरिका का आधुनिक परमाणु हथियार

B61-12 बम अमेरिकी परमाणु arsenal का नवीनतम और उन्नत संस्करण है। यह एक "गुरुत्वाकर्षण आधारित" परमाणु बम है, जिसे विमान से गिराया जाता है, और यह पुराने B61 वेरिएंट्स की तुलना में कहीं ज्यादा सटीक और लचीला है। इस बम की खासियत यह है कि इसमें चार अलग-अलग yield (विस्फोट क्षमता) सेटिंग्स होती हैं — यानी इसे जरूरत के हिसाब से कम या ज्यादा विनाशकारी बनाया जा सकता है।

F-35A: स्टेल्थ और टेक्नोलॉजी का मेल

F-35A का सबसे बड़ा हथियार सिर्फ इसका आयुध नहीं, बल्कि इसकी स्टेल्थ तकनीक और एडवांस्ड सेंसर सिस्टम है। यह लड़ाकू विमान रडार पर दिखाई नहीं देता, जिससे यह दुश्मन के इलाके में गहराई तक जाकर हमला कर सकता है। इसका "सेंसर फ्यूज़न" सिस्टम पायलट को युद्धक्षेत्र का समग्र 360-डिग्री व्यू देता है — यानी दुश्मन दिखाई दे उससे पहले ही वह उसका खात्मा कर सकता है।

सटीकता और मल्टीरोल क्षमता

F-35 न केवल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है, बल्कि यह पारंपरिक हथियारों से भी अत्यधिक सटीक हमले कर सकता है। इसका इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल टार्गेटिंग सिस्टम और एईएसए रडार टारगेट पर pinpoint accuracy प्रदान करते हैं। सबसे अहम बात यह है कि यह विमान अन्य मित्र देशों के विमानों और सिस्टम्स के साथ डेटा साझा कर सकता है, जिससे नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर में इसकी भूमिका अहम हो जाती है।

नाटो में बढ़ती भूमिका

F-35A की परमाणु क्षमता केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है। नाटो सहयोगी देश जैसे जर्मनी, बेल्जियम, इटली और ब्रिटेन अब इसे अपने बेड़े में शामिल कर रहे हैं। ये विमान पुराने F-16 या टॉरनेडो जैसे फाइटर जेट्स की जगह लेंगे, जो अब तक नाटो के न्यूक्लियर शेयरिंग मिशन का हिस्सा थे। इससे साफ है कि F-35A अब यूरोपीय सुरक्षा रणनीति का अहम हिस्सा बन चुका है।

चीन और रूस की चिंता

F-35A की परमाणु क्षमता के सामने आने से सबसे अधिक बेचैनी चीन और रूस में देखने को मिल रही है। दोनों देश पहले से ही अमेरिकी सैन्य प्रभुत्व को लेकर सतर्क हैं, और अब जब अमेरिका के पास ऐसा स्टेल्थ विमान है जो गुप्त रूप से परमाणु हमला कर सकता है, तो उनके लिए खतरे की घड़ी और भी गंभीर हो गई है। खासकर जब यह विमान इंडो-पैसिफिक या यूरोप में तैनात किया जा सकता है।

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