PPP में चीन है अमेरिका से आगे: भारत नंबर-3 पर!

नई दिल्ली। विश्व की अर्थव्यवस्था निरंतर बदलाव की प्रक्रिया में है, जहां देशों की आर्थिक ताकत न केवल नॉमिनल जीडीपी के आधार पर मापी जाती है, बल्कि PPP (Purchasing Power Parity) के मानदंड भी उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं। हाल ही के आंकड़ों से पता चलता है कि PPP के आधार पर चीन, अमेरिका और भारत की टक्कर दिन-ब-दिन और तेज़ होती जा रही है, जो वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को नए रूप में आकार दे रही है।

नॉमिनल जीडीपी बनाम PPP: समझना जरूरी है अंतर

सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि नॉमिनल जीडीपी और PPP में क्या फर्क होता है। नॉमिनल जीडीपी बाजार की वर्तमान कीमतों पर देशों की आर्थिक उत्पादन क्षमता को दर्शाता है, जबकि PPP यह बताता है कि विभिन्न देशों में समान वस्तुएं और सेवाएं कितनी कीमत में उपलब्ध हैं। इससे देशों की वास्तविक क्रय शक्ति का बेहतर आकलन होता है। नॉमिनल जीडीपी के अनुसार, अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, चीन दूसरे स्थान पर है। इसके बाद जर्मनी तीसरे, जापान चौथे और भारत पांचवें नंबर पर है। लेकिन PPP के आंकड़े इस तस्वीर को बदल देते हैं।

PPP के आधार पर चीन सबसे आगे, भारत तीसरे स्थान पर

PPP के आधार पर चीन ने पहला स्थान हासिल किया है, जिसकी वैश्विक अर्थव्यवस्था में 19.29 फीसदी हिस्सेदारी है। अमेरिका इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर है, जिसकी हिस्सेदारी 14.84 फीसदी है। भारत तीसरे नंबर पर है, जिसकी हिस्सेदारी 8.49 फीसदी है। यह आंकड़ा भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत और उसके विश्व आर्थिक मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।

अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति

PPP के आधार पर रूस की वैश्विक अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी 3.49 फीसदी, जापान की 3.31 फीसदी, जर्मनी की 3.02 फीसदी और इंडोनेशिया की 2.44 फीसदी है। ब्राजील 2.39 फीसदी के साथ आठवें, फ्रांस 2.19 फीसदी के साथ नौवें और ब्रिटेन 2.16 फीसदी के साथ दसवें स्थान पर हैं। ये आंकड़े दिखाते हैं कि विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में भारत का स्थान महत्वपूर्ण और मजबूती से स्थापित होता जा रहा है।

भारत की भूमिका और भविष्य की संभावनाएं

भारत की बढ़ती PPP हिस्सेदारी देश की तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था और बढ़ती क्रय शक्ति का प्रमाण है। युवाओं की संख्या, डिजिटल तकनीक का विस्तार, और आर्थिक सुधारों ने भारत को विश्व की प्रमुख आर्थिक ताकतों में शामिल किया है। आने वाले वर्षों में जब यह वृद्धि इसी रफ्तार से जारी रहेगी, तो भारत न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को और सुदृढ़ करेगा बल्कि वैश्विक आर्थिक नीति निर्धारण में भी अहम भूमिका निभाएगा।

0 comments:

Post a Comment