क्या है तेजस Mk2?
तेजस Mk2, हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित एक 4.5+ पीढ़ी का मल्टीरोल फाइटर जेट है, जो तेजस Mk1A से कई गुना अधिक उन्नत और शक्तिशाली है। यह विमान न केवल दुश्मन के रडार से बचने में सक्षम है, बल्कि इसकी मारक क्षमता, रेंज और एवियोनिक्स सिस्टम अत्याधुनिक तकनीकों से लैस हैं।
विशेषताएं जो तेजस Mk2 को बनाती हैं खास:
1 .उन्नत रडार प्रणाली (AESA Radar): इलेक्ट्रॉनिक स्कैनिंग से लैस, जो लंबी दूरी से ही लक्ष्य को पहचानने और ट्रैक करने में सक्षम है।
2 .हल्की स्टेल्थ डिज़ाइन: बता दें की रडार पर कम दिखाई देने वाला डिज़ाइन, जो इसे दुश्मन के रडार से छिपने में मदद करता है।
3 .शक्तिशाली इंजन (GE F414): तेजस Mk1 के मुकाबले 35% अधिक थ्रस्ट, जिससे इसे भारी हथियार ले जाने की क्षमता मिलती है।
4 .विस्तृत हथियार विकल्प: हवा से हवा, हवा से ज़मीन और सटीक निर्देशित मिसाइलों के साथ अत्याधुनिक बम ले जाने में सक्षम।
5 .डिजिटल कॉकपिट और फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम: पूरी तरह से डिजिटल, पायलट के लिए आसान और अत्याधुनिक नियंत्रण प्रणाली।
रणनीतिक महत्व
तेजस Mk2 के शामिल होने से भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता में बड़ा इज़ाफा होगा, खासकर जब देश मिग-29, मिराज-2000 और जगुआर जैसे पुराने विमानों को चरणबद्ध तरीके से हटाने की तैयारी कर रहा है। Mk2 की तैनाती से भारत को एक ऐसा विमान मिलेगा जो न केवल चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों का जवाब देने में सक्षम होगा, बल्कि पड़ोसी देशों को तेजस निर्यात करने की संभावनाएं भी खोल देगा।
'मेक इन इंडिया' और रक्षा आत्मनिर्भरता
तेजस Mk2 पूरी तरह से 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत विकसित किया गया है। इसमें 75% से अधिक घटक स्वदेशी हैं और आगे चलकर यह प्रतिशत और भी बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। तेजस Mk2 का प्रोटोटाइप तैयार हो चुका है और इसके 2025 के अंत या 2026 के शुरुआत तक पहली उड़ान भरने की उम्मीद है। 2028 से इसका सीरियल प्रोडक्शन शुरू किया जा सकता है, और भारतीय वायुसेना को लगभग 120 तेजस Mk2 की आवश्यकता है।
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