72,287 दस्तावेज़ अभी भी लंबित
शिक्षा विभाग के अनुसार, अब तक 72,287 प्रमाणपत्र और अंकपत्र ऐसे हैं जिनका सत्यापन नहीं हो पाया है। ये दस्तावेज़ बिहार सहित देश के विभिन्न राज्यों के परीक्षा बोर्डों और विश्वविद्यालयों द्वारा जारी किए गए हैं। विभाग ने जिलों के जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (समग्र शिक्षा) को निर्देश दिया है कि इन सभी लंबित दस्तावेज़ों की जांच अविलंब पूरी की जाए, ताकि चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
2006 से 2015 तक नियुक्त शिक्षकों की होगी गहन जांच
राज्य में 2006 से 2015 के बीच बड़ी संख्या में नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी। वर्षों बाद भी कई शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन अधूरा है। निगरानी जांच में यह तथ्य सामने आया कि हजारों प्रमाणपत्र अभी भी जांच प्रक्रिया से गुजरने बाकी हैं, जिससे पूरी नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठ सकते हैं।
शिक्षा विभाग सख्त, जिलों को मिला तुरंत कार्रवाई का आदेश
शिक्षा विभाग के सचिव दिनेश कुमार ने सभी जिलों को आदेश दिया है कि वे लंबित दस्तावेज़ों के सत्यापन कार्य में तेजी लाएं। विभाग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि सभी नियुक्त शिक्षकों के प्रमाणपत्र पूरी तरह वैध और प्रमाणिक हों।
क्यों ज़रूरी है यह सत्यापन?
वर्षों से चल रही नियुक्तियों में कुछ मामलों में फर्जी प्रमाणपत्रों की आशंका जताई गई है।
पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए दस्तावेज़ सत्यापन बेहद आवश्यक है।
अदालत के निर्देश के बाद विभाग किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतना चाहता।

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