यहाँ पूरी घटना के 7 प्रमुख बिंदु—
1. आठ दशक पुरानी दोस्ती को मिला नया संबल
मोदी और पुतिन की वार्ता में यह संदेश प्रमुखता से उभरा कि भारत-रूस की मित्रता बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के बावजूद "ध्रुव तारे" की तरह स्थिर और अडिग है। दोनों नेताओं ने इस ऐतिहासिक रिश्ते को और गहरा करने की प्रतिबद्धता जताई।
2. 2030 तक का आर्थिक कार्यक्रम तैयार, व्यापार को रफ्तार
दोनों देशों ने 2030 आर्थिक सहयोग कार्यक्रम पर सहमति जताई। इसके तहत स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, गतिशीलता, निवेश और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को विस्तार मिलेगा। साथ ही दोनों देशों का लक्ष्य है कि वार्षिक व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुँचाया जाए।
3. ऊर्जा क्षेत्र में बड़ा वादा: रूस बनेगा स्थायी आपूर्तिकर्ता
पुतिन ने कहा कि रूस भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों—तेल, गैस, कोयला—की निर्बाध आपूर्ति के लिए तैयार है। वहीं छोटे "मॉड्यूलर" और "फ्लोटिंग" परमाणु संयंत्रों पर भी सहमति बनी, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा और मजबूत होगी।
4. ई-वीज़ा सुविधा से बढ़ेगी लोगों की आवाजाही
प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि भारत जल्द ही रूसी नागरिकों के लिए 30 दिन का मुफ्त ई-पर्यटक वीज़ा और समूह वीज़ा शुरू करेगा। इससे दोनों देशों के लोगों के बीच यात्राएँ और सांस्कृतिक संपर्क बढ़ेंगे।
5. आतंकवाद पर साझा रुख—“मानवता पर सीधा हमला”
दोनों नेताओं ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। मोदी ने पहलगाम और रूस के क्रोकस सिटी हॉल जैसे हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता ही सबसे बड़ा हथियार है। दोनों देशों ने सुरक्षा सहयोग को और सशक्त करने का निर्णय लिया।
6. परिवहन गलियारों पर सहमति: आर्कटिक से लेकर चेन्नई-व्लादिवोस्तोक तक
भारत और रूस ने INSTC, नॉर्दर्न सी रूट, और चेन्नई–व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर को तेज़ी से आगे बढ़ाने पर सहमति जताई। भारतीय नाविकों को ध्रुवीय जल क्षेत्रों में प्रशिक्षण देने पर भी समझौता हुआ, जिससे युवा रोजगार और अंतरराष्ट्रीय व्यापार दोनों को नया आयाम मिलेगा।
अमेरिका और चीन की बढ़ी चिंता: भारत-रूस साझेदारी की नई परिभाषा
रूस की यह यात्रा उस समय हुई है जब पश्चिमी देश मॉस्को पर आर्थिक दबाव बढ़ा रहे हैं। भारत और रूस के बीच हुए समझौतों ने इंगित किया है कि दोनों देश अपनी बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की सोच को तेजी से आगे बढ़ाना चाहते हैं। इससे अमेरिका और चीन दोनों के रणनीतिक समीकरण प्रभावित हो सकते हैं।

0 comments:
Post a Comment