यूपी के 'छात्रों' की उड़ान, देशभर को छोड़ा पीछे!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के स्कूली छात्रों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यदि सही दिशा और अवसर मिले, तो वे देश और दुनिया में नवाचार की नई मिसाल कायम कर सकते हैं। 'इंस्पायर मानक योजना' के तहत कक्षा 6वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों द्वारा किए गए नामांकन ने प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष स्थान पर पहुंचा दिया है। यह केवल एक संख्या नहीं, बल्कि उस बदलते शैक्षिक परिदृश्य का संकेत है, जहां युवा वैज्ञानिक सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

चार महीनों में रचा गया नया कीर्तिमान

इस वर्ष योजना के तहत महज चार महीनों के भीतर उत्तर प्रदेश से 2,80,747 छात्रों ने नामांकन किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 70,400 अधिक है। वर्ष 2024-25 में यह संख्या 2,10,347 थी। लगातार दूसरे वर्ष शीर्ष स्थान प्राप्त कर यूपी ने न केवल राजस्थान और कर्नाटक जैसे राज्यों को पीछे छोड़ा, बल्कि नवाचार के क्षेत्र में एक मजबूत पहचान भी बनाई।

नवाचार की ओर बढ़ते कदम

इस योजना का उद्देश्य स्कूली छात्रों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के प्रति रुझान को बढ़ाना है। छात्रों से उनके अनोखे और व्यवहारिक विचार आमंत्रित किए जाते हैं। इन विचारों का मूल्यांकन कर चुने गए छात्रों को ₹10,000 की प्रोत्साहन राशि दी जाती है, जिससे वे अपने विचारों को वास्तविक प्रोजेक्ट में बदल सकें।

जिलों का बढ़ता योगदान

उत्तर प्रदेश के 21 जिलों ने देश के उन 50 शीर्ष जिलों में स्थान पाया है, जहां सबसे अधिक आवेदन प्राप्त हुए। यह आंकड़ा भी पिछले वर्ष के मुकाबले उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है, जब केवल 12 जिले सूची में थे। इस बार प्रयागराज, लखनऊ और हरदोई जैसे जिले सबसे आगे रहे, जो यह दर्शाता है कि महानगरों के साथ-साथ छोटे शहरों और कस्बों से भी अब प्रतिभाएं उभरकर सामने आ रही हैं।

शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव

यह उपलब्धि केवल छात्रों की मेहनत नहीं, बल्कि राज्य की बेहतर होती शिक्षा प्रणाली और शिक्षकों की जागरूकता का भी परिणाम है। राज्य शिक्षा विभाग, स्कूल प्रशासन और विज्ञान संकाय द्वारा छात्रों को प्रेरित करने और उन्हें मार्गदर्शन देने का कार्य सफल सिद्ध हुआ है।

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