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बिहार में छत पर बागवानी के लिए 75% अनुदान!

पटना: बिहार सरकार ने शहरी क्षेत्रों में फल, फूल और सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना का शुभारंभ किया है, जिसका नाम है "छत पर बागवानी योजना". यह योजना विशेष रूप से पटना, भागलपुर, गया और मुजफ्फरपुर जैसे प्रमुख शहरी इलाकों में लागू की गई है। इस योजना का उद्देश्य नागरिकों को उनके घर की छत पर फल, फूल और सब्जियां उगाने के लिए प्रेरित करना है।

इस योजना के तहत सरकार 75% तक अनुदान देने का प्रस्ताव कर रही है, जिससे लोग अपनी छतों पर बागवानी कर सकें और स्वस्थ, ताजे उत्पादों का लाभ उठा सकें। योजना के दो प्रमुख घटक हैं: फार्मिंग बेड योजना और गमले की योजना। इन दोनों योजनाओं के माध्यम से लोगों को आर्थिक सहायता और बागवानी के उपकरण मुहैया कराए जाते हैं।

1. फार्मिंग बेड योजना:

फार्मिंग बेड योजना के तहत शहरी नागरिकों को 300 वर्ग फीट क्षेत्र में बागवानी के लिए अनुदान प्रदान किया जाएगा। इस योजना के तहत कुल लागत ₹48,574 है, जिसमें से सरकार 75% यानी ₹36,430.50 का अनुदान देती है। लाभार्थी को केवल ₹12,143.50 का भुगतान करना होगा। 

2. गमले की योजना:

यदि किसी के पास 300 वर्ग फीट की जगह नहीं है तो वह गमले की योजना का लाभ उठा सकता है। इस योजना के तहत प्रति यूनिट ₹8,975 की लागत आती है, जिसमें 75% यानी ₹6,731.25 का अनुदान मिलता है। लाभार्थी को केवल ₹2,243.75 का भुगतान करना होगा। 

3. आवेदन प्रक्रिया:

इस योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक नागरिक बिहार सरकार के उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के बाद, लाभार्थियों को अपनी अंश राशि (यानी अपनी हिस्सेदारी) जमा करनी होगी। जैसे ही राशि संबंधित बैंक खाते में जमा होगी, सरकार आगे की प्रक्रिया शुरू करेगी।

4. सामाजिक और आर्थिक लाभ:

इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए 78.6% सामान्य वर्ग, 20% अनुसूचित जाति और 1.4% अनुसूचित जनजाति को शामिल किया जाएगा, साथ ही 30% प्राथमिकता महिलाओं को दी जाएगी। इस योजना के माध्यम से न केवल लोगों को स्वच्छ और ताजे उत्पाद मिलेंगे, बल्कि यह उन्हें एक स्थिर और सशक्त स्रोत भी प्रदान करेगा।

LAC पर भारत की 'Division 72', चीन की उड़ेगी नींद!

नई दिल्ली: भारत ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर एक अहम और निर्णायक कदम उठाया है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थित चीन के साथ सीमा विवाद को देखते हुए चीन को चौकस कर सकता है। भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में एक नए डिवीजन के गठन का निर्णय लिया है, जिसे '72 डिवीजन' का नाम दिया गया है। इस डिवीजन का गठन LAC पर तैनात सैनिकों की संख्या बढ़ाने और भारतीय सेना की सामरिक तैयारी को और अधिक मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया है।

72 डिवीजन का गठन और इसकी रणनीतिक महत्ता

भारतीय सेना ने हाल ही में LAC पर अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए एक बड़े बदलाव का ऐलान किया है। यह कदम मौजूदा तीन डिवीजन के अतिरिक्त एक नए डिवीजन के गठन के रूप में सामने आया है। ‘72 डिवीजन’ का गठन भारतीय सेना के ऑर्डर ऑफ बैटल (ORBAT) में महत्वपूर्ण परिवर्तन के रूप में देखा जा रहा है, जो LAC पर स्थिति को और मजबूत करेगा।

कहा जा रहा है कि 72 डिवीजन का मुख्यालय पहले ही खोल दिया गया है और एक ब्रिगेड को पूर्वी लद्दाख में तैनात भी किया जा चुका है, जिससे यह साफ है कि इस डिवीजन ने अपनी गतिविधियां शुरू कर दी हैं। एक बड़ा हिस्सा इस डिवीजन का भारत के पश्चिमी हिस्से में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है, ताकि यह सैनिक विशेष कार्यों के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकें।

सैनिकों की संख्या और संरचना

आमतौर पर, एक डिवीजन में 10,000 से 15,000 सैनिक होते हैं, जबकि 8,000 सहायक होते हैं। किसी भी डिवीजन में 3-4 ब्रिगेड होते हैं, और हर ब्रिगेड में 3,500 से 4,000 सैनिक होते हैं। इस तरह, 72 डिवीजन के पास तैनात सैनिकों की संख्या और उनकी संरचना भारत की सेना की ताकत को दर्शाती है। इस डिवीजन को फायर एंड फ्यूरी कोर के अधीन रखा जाएगा, जो लेह में स्थित है। यह कोर अपने आप में एक महत्वपूर्ण सैन्य संगठन है जो LAC पर भारत की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है।

सुरक्षा और सामरिक दृष्टिकोण

72 डिवीजन का गठन भारत की सुरक्षा नीति और सामरिक दृष्टिकोण को पुनः स्पष्ट करता है। यह कदम केवल LAC पर मौजूद सैनिकों की संख्या को बढ़ाने के लिए नहीं है, बल्कि यह एक बड़े रणनीतिक बदलाव का हिस्सा भी है, जिसमें सेना को और अधिक सुसज्जित और तैयार किया जा रहा है। भारतीय सेना का यह फैसला न केवल चीन के साथ सीमा पर तनाव की स्थिति को देखते हुए लिया गया है, बल्कि यह भारत की बढ़ती सैन्य ताकत का भी प्रतीक है।

यूपी में बिजली चोरी रोकने के लिए दिन-रात छापेमारी

कानपुर: उत्तर प्रदेश में बिजली चोरी एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसे रोकने के लिए राज्य विद्युत वितरण निगम (UPPCL) और उसकी विभिन्न शाखाओं, जैसे कि केस्को (Kanpur Electric Supply Company), ने तमाम प्रयास किए हैं। इन प्रयासों के बावजूद, बिजली चोरी की समस्या अब भी नियंत्रण से बाहर दिखती है। इसके समाधान के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन यह पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाई है।

विजिलेंस टीम की दिन-रात की छापेमारी

बिजली चोरी को रोकने के लिए केस्को की विजिलेंस टीम दिन-रात छापेमारी कर रही है। हालांकि, इसके बावजूद चोरी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। टीम द्वारा किए गए प्रयासों के बाद भी, 90 दिनों में 67 फीडरों में लाइन लॉस कम हुआ है, जबकि 33 फीडरों में अभी भी लाइन लॉस को नियंत्रित नहीं किया जा सका है। यह दर्शाता है कि समस्या गहरी है और इसके लिए सिर्फ छापेमारी पर्याप्त नहीं है।

तकनीक का इस्तेमाल: फिर भी नाकामयाबी

बिजली चोरी को रोकने के लिए यूपी में हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल भी किया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद चोरी की समस्या जस की तस बनी हुई है। केस्को द्वारा 97 फीडरों में हाईलाइन लॉस पाया गया है, जो यह दिखाता है कि तकनीकी उपायों के बावजूद चोरी का मार्ग बंद नहीं हो पा रहा।

इसके अलावा, केस्को ने अंडरग्राउंड केबल, सबस्टेशनों, फीडरों और ट्रांसफार्मरों में स्मार्ट मीटर लगाए हैं। ये स्मार्ट मीटर बिजली की खपत और राजस्व वसूली का सही आंकलन करने में मदद करते हैं, लेकिन यह भी पूरी तरह से कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। बिजली चोर नए-नए तरीके खोजकर चोरी करते रहते हैं, जिससे तकनीकी समाधान भी नाकाम हो जाते हैं।

बिजली चोरी के नए तरीके खोज रहे हैं शातिर 

आजकल बिजली चोरों ने चोरी के नए-नए तरीके खोज लिए हैं, जो अधिकारियों के लिए चुनौती बन गए हैं। उनमें से कुछ तकनीकी उपायों को तोड़कर बिजली चोरी करते हैं, जबकि कुछ अपनी चोरी की गतिविधियों को छुपाने के लिए अत्यधिक स्मार्ट तरीके अपनाते हैं। ऐसे में, यह समझना जरूरी हो जाता है कि सिर्फ छापेमारी और तकनीकी उपायों से ही समस्या का हल नहीं निकाला जा सकता।

पूरे यूपी में कल से 30 अप्रैल तक चलेगा अभियान!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सड़क सुरक्षा और दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यभर में एक विशेष अभियान चलाने का आदेश दिया है। यह अभियान अवैध ई-रिक्शा और ऑटो के खिलाफ होगा, जो सड़क सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चिंता का विषय बने हुए हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद, परिवहन विभाग ने इस अभियान की शुरुआत करने का फैसला लिया है, जो 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक चलेगा।

अभियान के उद्देश्य

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मुख्य उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी लाना और नाबालिगों को वाहन चलाने से रोकना है। पिछले कुछ समय से, ई-रिक्शा और ऑटो के अवैध संचालन ने न केवल यातायात व्यवस्था को प्रभावित किया है, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं को भी बढ़ावा दिया है। ऐसे वाहनों में अधिकतर नाबालिग ड्राइवर पाए जाते हैं, जो दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।

अभियान की मुख्य विशेषताएँ

1 .अवैध वाहनों का निस्तारण: इस अभियान का सबसे बड़ा उद्देश्य अवैध ई-रिक्शा और ऑटो की पहचान करके उनका निस्तारण करना है। इसके तहत उन वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जो बिना किसी अनुमति के चल रहे हैं या जिनके पास वैध पंजीकरण नहीं है।

2 .नाबालिगों के हाथों में वाहन की स्टेयरिंग न हो: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष निर्देश दिए हैं कि किसी भी वाहन के स्टेयरिंग को नाबालिगों के हाथों में न सौंपा जाए। नाबालिग चालक अक्सर दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं, इसलिए उनका ड्राइविंग करना पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाएगा।

3 .वाहन चालक का वेरीफिकेशन: सभी ई-रिक्शा और टेंपो चालकों का वेरीफिकेशन किया जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी चालक वैध हैं और उनके पास जरूरी लाइसेंस और दस्तावेज़ हैं।

4 .टास्क फोर्स का गठन: इस अभियान को प्रभावी बनाने के लिए प्रत्येक जिले में एक टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। इस टास्क फोर्स में परिवहन विभाग के अधिकारी भी शामिल होंगे। इन अधिकारियों का प्रमुख कार्य अवैध वाहनों की पहचान करना और उनका पंजीकरण चेक करना होगा।

5 .नोडल अधिकारी की नियुक्ति: अभियान के सुचारू संचालन के लिए, अपर परिवहन आयुक्त प्रवर्तन संजय सिंह को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। वे मुख्यालय से रोज़ाना जिला स्तर पर अभियान की मॉनिटरिंग करेंगे।

प्रचार-प्रसार और जागरूकता

अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए लोगों में जागरूकता फैलाना भी जरूरी है। इसके लिए परिवहन विभाग द्वारा विभिन्न प्रचार-प्रसार गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। विशेष रूप से ड्राइवरों को उनकी जिम्मेदारियों के बारे में जानकारी दी जाएगी और यह बताया जाएगा कि अवैध वाहन चलाना कितना खतरनाक हो सकता है।

यूपी में शराब और बीयर को लेकर एक बड़ा बदलाव

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शराब और बीयर की खरीदारी को लेकर एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। 1 अप्रैल से प्रदेश में नई आबकारी नीति लागू होगी, जिसके तहत अब अंग्रेजी शराब और बीयर एक ही दुकान पर उपलब्ध होंगी। यह कदम यूपी सरकार ने शराब और बीयर के व्यापार को और भी सुविधाजनक और व्यवस्थित बनाने के उद्देश्य से उठाया है। इस नई नीति के बाद 3,171 दुकानें कम हो जाएंगी, और प्रदेश में शराब की दुकानों के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण बदलाव होगा।

कंपोजिट दुकानें: 

नई आबकारी नीति के तहत 'कंपोजिट दुकानों' का प्रावधान किया गया है, जहां अब अंग्रेजी शराब, बीयर और वाइन सभी एक ही जगह पर उपलब्ध होंगे। पहले बीयर के लिए अलग से दुकानें होती थीं, लेकिन अब बीयर भी अंग्रेजी शराब की दुकानों पर ही मिलेगी। इससे ग्राहकों के लिए खरीदारी का अनुभव और भी आसान हो जाएगा, क्योंकि उन्हें शराब और बीयर के लिए अलग-अलग दुकानों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

क्या बदलाव होंगे दुकानों में?

इस नीति का एक और अहम पहलू है कि 3,171 दुकानें कम हो जाएंगी, क्योंकि अब बीयर की अलग से दुकानें नहीं रहेंगी। इसका मतलब है कि राज्य में शराब की दुकानों की संख्या में कमी आएगी और इसके बजाय कंपोजिट दुकानें एक साथ सभी प्रकार की शराब और बीयर की बिक्री करेंगी। यह कदम सरकारी राजस्व को बढ़ाने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी एक बेहतर अनुभव प्रदान करेगा।

समय में कोई बदलाव नहीं

नई नीति के तहत शराब की दुकानों, मॉडल शॉप्स और बार के संचालन समय में कोई बदलाव नहीं किया गया है। देसी, कंपोजिट दुकानों और मॉडल शॉप्स का समय सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक रहेगा। वहीं, बार को रात 12 बजे तक खुलने की अनुमति होगी। इस बदलाव से यह सुनिश्चित होगा कि शराब और बीयर की खरीदारी का समय पहले की तरह रहेगा और ग्राहकों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।

मॉडल शॉप्स और बार का महत्व

मॉडल शॉप्स, जो पहले से ही उत्तर प्रदेश में काम कर रही हैं, अब भी उसी तरह से काम करती रहेंगी। इन शॉप्स को उच्चतम मानकों के अनुसार संचालन की अनुमति है, और यहां पर शराब की बिक्री व्यवस्थित रूप से होगी। बार भी अपनी पुरानी समय सीमा के अनुसार रात 12 बजे तक खुले रहेंगे, जिससे लोगों को देर रात तक अपनी पसंदीदा शराब का आनंद लेने का मौका मिलेगा।

पटना में नया बस स्टैंड, 50 एकड़ जमीन का अधिग्रहण

न्यूज डेस्क: पटना जिले के बिहटा क्षेत्र के कन्हौली में नए बस स्टैंड के निर्माण के लिए जिला प्रशासन द्वारा 50 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। यह परियोजना शहर के यातायात और परिवहन व्यवस्था को नया आयाम देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। इस अधिग्रहण की प्रक्रिया को लागू करने के लिए नगर विकास एवं आवास विभाग की ओर से 217 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है, जिसमें रैयतों को मुआवजे के रूप में 212.16 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

परियोजना की पूरी जानकारी

नई बस स्टैंड का निर्माण पटना शहर के बढ़ते यातायात दबाव को कम करने, सुलभ परिवहन सुविधा मुहैया कराने और यात्री सेवाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इस परियोजना में कन्हौली और परखोद्दीपुर पैनाठी में जमीन चिन्हित की गई है, जहां नए बस स्टैंड का निर्माण किया जाएगा। इस निर्माण से न सिर्फ पटना, बल्कि आसपास के इलाकों में भी बेहतर कनेक्टिविटी प्राप्त होगी।

मुआवजा वितरण और अन्य खर्च

जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया में 217 करोड़ रुपये की लागत आ रही है, जिसमें से रैयतों के बीच 212.16 करोड़ रुपये का मुआवजा वितरित किया जाएगा। इसके अलावा, बस स्टैंड के निर्माण के लिए अन्य मदों में खर्च की भी व्यवस्था की गई है। स्थापना मद में 4.24 करोड़ रुपये और कार्यालय खर्च के लिए 1.06 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। इस प्रक्रिया के तहत कन्हौली में चार अप्रैल को एक जनसुनवाई आयोजित की जाएगी, जिसमें एएन सिन्हा सामाजिक संस्थान की ओर से तैयार किए गए सवालों पर स्थानीय लोगों से जानकारी ली जाएगी।

भविष्य में यातायात व्यवस्था में सुधार

नए बस स्टैंड के निर्माण के साथ-साथ पटना के यातायात व्यवस्था में भी सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। इस बस स्टैंड से विभिन्न जिलों और गांवों को जोड़ने वाले बस रूट्स को कनेक्ट किया जाएगा, जिससे न सिर्फ स्थानीय यात्रियों को सुविधा मिलेगी, बल्कि पर्यटन और व्यावसायिक गतिविधियों में भी बढ़ोतरी हो सकती है। इसके अतिरिक्त, इस परियोजना के पूरा होने से पटना को आधुनिक और सुव्यवस्थित बस टर्मिनल का फायदा मिलेगा, जिससे शहर का इन्फ्रास्ट्रक्चर और यातायात व्यवस्था सुदृढ़ होगी।

फैटी लिवर के शुरुआती लक्षण: इन 8 संकेतों पर ध्यान दें

हेल्थ डेस्क: फैटी लिवर (Fatty Liver) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लिवर में अत्यधिक वसा जमा हो जाती है। यह एक गंभीर समस्या बन सकती है यदि इसका समय पर इलाज न किया जाए। फैटी लिवर के शुरुआती लक्षण अक्सर हल्के होते हैं और लोग इन्हें नज़रअंदाज कर देते हैं। हालांकि, अगर आप इन संकेतों पर ध्यान दें तो आप अपनी सेहत को बेहतर रख सकते हैं और इस समस्या से बच सकते हैं। 

1. थकान और कमजोरी

फैटी लिवर की सबसे आम समस्या थकान और कमजोरी होती है। शरीर में वसा का अधिक जमा होना लिवर के कार्य को प्रभावित करता है, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलना कम हो जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि आपको दिन-प्रतिदिन की गतिविधियाँ करने में थकान महसूस होती है और आप जल्दी थक जाते हैं।

2. पेट में दर्द या भारीपन

फैटी लिवर के कारण पेट के दाहिनी ओर हलका दर्द या भारीपन महसूस हो सकता है। यह लिवर के बढ़ने और उसमें वसा जमा होने का संकेत हो सकता है। अगर आपको अक्सर पेट में दबाव या दर्द महसूस हो, तो यह फैटी लिवर का संकेत हो सकता है।

3. जैसी त्वचा का रंग बदलना

फैटी लिवर के कारण त्वचा में बदलाव आ सकता है, जैसे कि त्वचा का पीला होना (जॉन्डिस)। यह तब होता है जब लिवर अपना काम ठीक से नहीं कर पाता और बाइल पिगमेंट्स शरीर में जमा होने लगते हैं। इसके अलावा, आंखों के सफेद हिस्से में भी पीलापन दिखाई दे सकता है।

4. अचानक वजन का बढ़ना

फैटी लिवर की स्थिति में शरीर में अत्यधिक वसा जमा होने के कारण अचानक वजन बढ़ सकता है। खासकर पेट के आसपास वसा का जमा होना दिखाई देता है। यह स्थिति लिवर के ठीक से काम न करने के कारण हो सकती है, जिससे फैट प्रोसेसिंग प्रभावित होती है।

5. भूख में कमी का होना

फैटी लिवर के मरीजों को अक्सर भूख में कमी का अनुभव होता है। लिवर की कामकाजी क्षमता में कमी के कारण, पेट में गड़बड़ी और जी मिचलाने की समस्या हो सकती है, जो खाने की इच्छा को कम कर देती है।

6. सूजन और सूजन वाली एड़ियाँ

फैटी लिवर के कारण शरीर में द्रव का संचय हो सकता है, जो सूजन का कारण बनता है। यह सूजन खासकर पैरों, एड़ियों और पेट के आसपास दिखाई दे सकती है। अगर आपके शरीर के निचले हिस्से में सूजन दिखाई दे, तो यह फैटी लिवर के लक्षण हो सकते हैं।

7. मानसिक दबाव और चिड़चिड़ापन

जब लिवर ठीक से कार्य नहीं करता, तो शरीर में टॉक्सिन्स का संचय हो सकता है, जो मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है। इससे व्यक्ति को चिड़चिड़ापन, तनाव और अवसाद जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर आपको मानसिक दबाव महसूस हो रहा है, तो यह फैटी लिवर का संकेत हो सकता है।

यूपी बोर्ड 10वीं- 12वीं का इस दिन आएगा रिजल्ट

लखनऊ: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् (UPMSP) द्वारा आयोजित यूपी बोर्ड हाई स्कूल (कक्षा 10) और इंटरमीडिएट (कक्षा 12) की परीक्षाएं 24 फरवरी 2025 से 12 मार्च 2025 तक सफलता पूर्वक संपन्न हो चुकी हैं। इस वर्ष करीब 55 लाख छात्रों ने इन परीक्षाओं में भाग लिया, जिससे यह परीक्षा देश की सबसे बड़ी बोर्ड परीक्षाओं में से एक बन गई है। अब सभी छात्र-छात्राएं अपने परिणाम का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

यूपी बोर्ड रिजल्ट 2025 की तारीख

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यूपी बोर्ड 10वीं और 12वीं कक्षा का रिजल्ट 20 अप्रैल 2025 तक घोषित किए जाने की संभावना है। हालांकि, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद्, प्रयागराज (UPMSP) की ओर से रिजल्ट की तारीख की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन यह अपेक्षित है कि परिणाम अप्रैल के मध्य तक घोषित हो सकते हैं।

कैसे चेक करें रिजल्ट?

सबसे पहले छात्रों को यूपी बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट www.upmsp.edu.in या www.upresults.nic.in पर जाना होगा। वेबसाइट पर रिजल्ट से संबंधित एक लिंक दिखाई देगा, जिस पर क्लिक करें। इस लिंक पर क्लिक करने के बाद छात्रों को अपनी रोल नंबर, जन्म तिथि और अन्य आवश्यक जानकारी भरनी होगी। जानकारी भरने के बाद रिजल्ट स्क्रीन पर दिखाई देगा, जिसे छात्र डाउनलोड कर सकते हैं और भविष्य के लिए सेव भी कर सकते हैं।

यूपी बोर्ड परीक्षा परिणाम की महत्वता

यूपी बोर्ड 10वीं और 12वीं कक्षा के परिणाम छात्रों के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। 10वीं कक्षा का परिणाम छात्रों के माध्यमिक शिक्षा की सफलता को दिखाता है, जबकि 12वीं कक्षा का परिणाम उनके उच्च शिक्षा के रास्ते को खोलता है। खासतौर पर 12वीं के छात्रों के लिए यह परिणाम उनके कॉलेज एडमिशन और करियर के निर्णय में एक अहम भूमिका अदा करता है।

यूपी में 3 एक्सप्रेस-वे पर उतर सकते हैं लड़ाकू विमान

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भारतीय वायुसेना की एक महत्वपूर्ण और अनोखी रणनीति के तहत, तीन प्रमुख एक्सप्रेस-वे पर लड़ाकू विमानों की लैंडिंग और उड़ान भरने की सुविधा विकसित की गई है। यह पहल देश की सुरक्षा और वायुसेना की तैयारियों को एक नया आयाम देती है। इन एक्सप्रेस-वे पर लड़ाकू विमान टच एंड गो की प्रैक्टिस करते हैं, जो पायलटों को विभिन्न परिस्थितियों में अपने विमान को नियंत्रित करने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है।

3 एक्सप्रेस-वे पर उतर सकते हैं लड़ाकू विमान। 

1 .आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे, 

2 .यमुना एक्सप्रेस-वे, 

3 .पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे

इन तीन एक्सप्रेस-वे पर हर साल लड़ाकू विमान ‘टच एंड गो’ करते हैं, जिसका मतलब है कि विमान सड़क पर उतरते हैं, लेकिन वहां रुकते नहीं हैं। वे तुरंत उड़ान भर लेते हैं, जिससे पायलट की लैंडिंग और टेक-ऑफ क्षमता का अभ्यास होता है। इस अभ्यास को एयरफोर्स के पायलटों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह उन्हें सड़क के ऊपर स्थित रनवे पर लैंडिंग के दौरान आवश्यक कौशल में निपुण बनाता है।

टच एंड गो की प्रक्रिया

‘टच एंड गो’ की प्रक्रिया, जैसा कि इसके नाम से प्रतीत होता है, विमान के लैंडिंग के दौरान एक संक्षिप्त समय के लिए जमीन पर संपर्क बनाने के बाद, फिर से हवा में उड़ने का अभ्यास है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य पायलटों को उस स्थिति में भी लैंडिंग और टेक-ऑफ के कौशल में माहिर बनाना है, जब सामान्य रनवे पर उतरने के विकल्प न हों। इससे वायुसेना के लड़ाकू विमानों की गति और प्रतिक्रिया क्षमता में सुधार होता है।

भारतीय वायुसेना का कदम

भारतीय वायुसेना ने देशभर में ऐसे 12 एक्सप्रेस-वे को चिन्हित किया है, जिन पर लड़ाकू विमानों की लैंडिंग और उड़ान की व्यवस्था की जा सकती है। उत्तर प्रदेश के तीन प्रमुख एक्सप्रेस-वे के अलावा, गंगा एक्सप्रेस-वे पर भी एक विशेष तैयारी की जा रही है। शाहजहांपुर में गंगा एक्सप्रेस-वे पर 3.5 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी बनाई जा रही है, जिससे वायुसेना के विमान यहां से उतर और उड़ान भर सकेंगे।

यह अत्याधुनिक सुविधाएं भारतीय वायुसेना को विभिन्न प्रकार की आपातकालीन परिस्थितियों में अपनी ताकत और कुशलता से निपटने में सक्षम बनाएंगी। गंगा एक्सप्रेस-वे के शाहजहांपुर क्षेत्र में बनी 3.5 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी, भारतीय वायुसेना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस एक्सप्रेस-वे पर बनाए गए रनवे से विमानों को उतरने और उड़ान भरने का मौका मिलेगा, जो न केवल वायुसेना की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि यह दिखाता है कि देश सड़क परिवहन और सैन्य सुरक्षा के क्षेत्रों में एक साथ मजबूत कदम उठा रहा है।

यूपी सरकार का बड़ा कदम: किसानों को मिल रहा सौर पंप!

न्यूज डेस्क: उत्तर प्रदेश में किसानों की जीवनशैली और कृषि कार्य को प्रौद्योगिकी के जरिए बदलने की दिशा में यूपी सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत लखीमपुर जिले में 1100 सोलर सिंचाई पंप लगाए जाएंगे, जिससे किसानों को सस्ती और निरंतर सिंचाई की सुविधा मिलेगी। यह कदम किसानों को उनकी फसलों की सिंचाई के लिए स्थिर और सस्ते समाधान का अवसर प्रदान करेगा, और कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।

प्रधानमंत्री कुसुम योजना का उद्देश्य:

प्रधानमंत्री कुसुम योजना का उद्देश्य किसानों को सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई प्रणाली से जोड़ना है, ताकि वे बिजली की समस्याओं से मुक्त हो सकें और खेतों की सिंचाई में आसानी हो। इस योजना के तहत किसानों को सौर पंप लगाने के लिए 60% तक की सब्सिडी दी जा रही है, जिससे उनकी लागत को कम किया जा सके। योजना का मुख्य लक्ष्य कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है।

क्या है सोलर सिंचाई पंप की सुविधा?

सौर पंपों का उपयोग किसानों को सिंचाई में कई लाभ देगा। ये पंप सौर ऊर्जा से चलते हैं, जिससे किसानों को बिजली के बिल से राहत मिलेगी और वे अपनी फसलों की सिंचाई आसानी से कर सकेंगे। इसके अलावा, यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि यह गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के बजाय सौर ऊर्जा का उपयोग करता है।

क्या है पंजीकरण की पूरी प्रक्रिया?

बता दें की इस योजना के लिए पंजीकरण प्रक्रिया फरवरी से शुरू हो चुकी है। इच्छुक किसान पीएम कुसुम डॉट यूपी एग्रीकल्चर डॉट कॉम वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। योजना के तहत पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर पंप बांटे जाएंगे, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि सबसे पहले पंजीकरण करने वाले किसानों को पंप प्राप्त होंगे।

अनुदान और लागत का विवरण:

2 हॉर्स पावर (एचपी) सोलर पंप

कुल लागत: ₹1,71,716, अनुदान: ₹1,03,000

3 हॉर्स पावर (एचपी) सोलर पंप

कुल लागत: ₹2,32,721, अनुदान: ₹1,38,267

10 हॉर्स पावर (एचपी) सोलर पंप

कुल लागत: ₹5,57,620, अनुदान: ₹2,66,000

अहमदाबाद: Junior Executive के 63 पदों पर भर्ती

अहमदाबाद: हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) ने जूनियर एग्जीक्यूटिव के 63 पदों पर भर्ती के लिए आधिकारिक अधिसूचना जारी की है। यह भर्ती विभिन्न तकनीकी और सुरक्षा पदों के लिए की जा रही है, जिससे योग्य उम्मीदवारों के लिए एक शानदार अवसर है।

पदों का विवरण और कुल रिक्तियां

जूनियर एग्जीक्यूटिव - मैकेनिकल: 11 पद

जूनियर एग्जीक्यूटिव - इलेक्ट्रिकल: 17 पद

जूनियर एग्जीक्यूटिव - इंस्ट्रूमेंटेशन: 06 पद

जूनियर एग्जीक्यूटिव - केमिकल: 01 पद

जूनियर एग्जीक्यूटिव - अग्नि एवं सुरक्षा: 28 पद

आवेदन की प्रक्रिया और महत्वपूर्ण तिथियां

एचपीसीएल जूनियर एग्जीक्यूटिव भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन 26 मार्च 2025 से शुरू होगा और 30 अप्रैल 2025 तक चलेगा। उम्मीदवारों को HPCL की आधिकारिक वेबसाइट hindustanpetroleum.com के माध्यम से आवेदन करना होगा।

आवेदन शुल्क: आवेदन शुल्क यूआर, ओबीसी, एनसी, और ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों के लिए ₹1180/- है, जबकि एससी, एसटी और पीडब्ल्यूडी उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क शून्य है।

आयु सीमा: इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। अधिकतम आयु सीमा और अन्य छूट नियमानुसार लागू होंगी। 

योग्यता: इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की योग्यता बीएससी (B.Sc.) या डिप्लोमा संबंधित क्षेत्रों में पास होनी चाहिए।

आवेदन कैसे करें: उम्मीदवारों को HPCL की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होगा। आवेदन पत्र में सभी आवश्यक जानकारी भरें और सही दस्तावेज़ अपलोड करें। शुल्क का भुगतान करें और आवेदन पत्र सबमिट करें। अंत में, आवेदन का एक प्रिंट आउट ले लें।

महत्वपूर्ण तिथियां:

ऑनलाइन आवेदन की प्रारंभिक तिथि: 26 मार्च 2025 (09:00 बजे से)

ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि: 30 अप्रैल 2025 (23:59 बजे तक)

लुधियाना: 478 आशुलिपिक (ग्रेड-III) पदों पर भर्ती

लुधियाना: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 478 आशुलिपिक (ग्रेड-III) पदों के लिए भर्ती की आधिकारिक अधिसूचना जारी की है। इन पदों के लिए चयन प्रक्रिया में कंप्यूटर आधारित परीक्षा (CBT), इंग्लिश शॉर्टहैंड और ट्रांसक्रिप्शन टेस्ट, और स्प्रेडशीट टेस्ट शामिल होंगे। सफल उम्मीदवारों की नियुक्ति चंडीगढ़ में की जाएगी।

पदों का विवरण:

पद का नाम: आशुलिपिक (ग्रेड-III)

कुल रिक्तियां: 478 पद।

नौकरी स्थान: चंडीगढ़

आवेदन की अंतिम तिथि: 23 अप्रैल 2025

शैक्षिक योग्यता: उम्मीदवार के पास मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ आर्ट्स (BA) या बैचलर ऑफ साइंस (BSc) डिग्री होनी चाहिए। पूरी जानकारी के लिए नोटिश पढ़ें।

आयु सीमा: इन पदों पर आवेदन करने के लिए अधिकतम आयु 37 वर्ष निर्धारित किया गया हैं। आयु में छूट की जानकारी के लिए नोटिश को पढ़ें।

चयन प्रक्रिया: इस भर्ती के लिए चयन प्रक्रिया में तीन चरण होंगे: कंप्यूटर आधारित परीक्षा (CBT), इंग्लिश शॉर्टहैंड और ट्रांसक्रिप्शन टेस्ट, स्प्रेडशीट टेस्ट। 

सैलरी: नियमों के अनुसार: चयनित उम्मीदवारों को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित वेतनमान के अनुसार सैलरी दी जाएगी।

आवेदन शुल्क: SC/BC/OBC/ESM/EWS (पंजाब राज्य के): Rs. 525/-, पंजाब के बेंचमार्क विकलांग व्यक्तियों के लिए: Rs. 625/-, अन्य सभी श्रेणियों के लिए: Rs. 825/-

कैसे आवेदन करें: उम्मीदवार इस पद के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए विस्तृत निर्देश और ऑनलाइन आवेदन पत्र उच्च न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। आवेदन करने के लिए उम्मीदवार sssc.gov.in वेबसाइट पर जा सकते हैं।

महत्वपूर्ण तिथियां:

आवेदन की अंतिम तिथि: 23 अप्रैल 2025

भारत ने विकसित की 3 अत्याधुनिक एंटी-रेडिएशन मिसाइलें!

नई दिल्ली: भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए तीन स्वदेशी एंटी-रेडिएशन मिसाइलों का विकास किया है। इन मिसाइलों का नाम रुद्रम-1, रुद्रम-2 और रुद्रम-3 है, जो दुश्मन के रडार और संचार प्रणालियों को पूरी तरह से निष्क्रिय करने की क्षमता रखती हैं। इन मिसाइलों का उद्देश्य भारतीय वायु सेना की समग्र सैन्य ताकत को और बढ़ाना है, जिससे दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणाली पर सटीक प्रहार किया जा सके। 

1. रुद्रम-1 (Rudra-1):

रुद्रम-1 भारत की पहली स्वदेशी एंटी-रेडिएशन मिसाइल है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। यह मिसाइल खासतौर पर दुश्मन के रडार और संचार प्रणालियों को ट्रैक करने और नष्ट करने के लिए डिज़ाइन की गई है। रुद्रम-1 को भारतीय वायुसेना के विभिन्न विमानों जैसे सुखोई-30 एमकेआई, मिराज 2000, जगुआर, तेजस से लॉन्च किया जा सकता है। इस मिसाइल की सहायता से भारतीय वायुसेना दुश्मन की एयर-डिफेंस प्रणाली को पंगु बना सकती है, जिससे वायु क्षेत्र में भारतीय विमानों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित होती है। रुद्रम-1 का परीक्षण 2018 में किया गया था।

2. रुद्रम-2 (Rudra-2):

रुद्रम-2, रुद्रम-1 का उन्नत संस्करण है, जो अधिक रेंज और सटीकता के साथ आता है। यह मिसाइल भी सुखोई-30 एमकेआई और मिराज 2000 जैसे विमानों से लॉन्च की जा सकती है। रुद्रम-2 की खासियत यह है कि यह किसी भी ऊंचाई से दुश्मन के रडार और संचार प्रणालियों को निशाना बना सकती है। इसकी सटीकता और रेंज में वृद्धि के साथ यह मिसाइल भारतीय वायुसेना को और भी शक्तिशाली बनाती है, क्योंकि यह दूर से ही दुश्मन के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय कर सकती है।

3. रुद्रम-3 (Rudra-3):

रुद्रम-3 रुद्रम-2 का और अधिक उन्नत संस्करण है। यह मिसाइल रुद्रम-2 से भी अधिक रेंज और सटीकता के साथ आती है। इसके द्वारा दुश्मन के रडार प्रतिष्ठानों, बंकरों, हवाई क्षेत्रों और विमान हैंगरों को लक्षित किया जा सकता है। रुद्रम-3 को सुखोई-30 एमकेआई और तेजस-MK2 जैसे आधुनिक विमानों से लॉन्च किया जा सकता है। यह मिसाइल दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित दुश्मन के महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम है, जिससे भारतीय वायुसेना को युद्ध में निर्णायक बढ़त मिल सकती है। रुद्रम-3 के विकास से भारत की रक्षा प्रणाली और अधिक आत्मनिर्भर बनी है।

नई उम्मीदें: 1 अप्रैल से लागू होने वाले 9 प्रमुख फैसले!

नई दिल्ली: 1 अप्रैल से वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत हो रही है, और इसके साथ ही कई बड़े बदलाव लागू होंगे। यह बदलाव न केवल आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करेंगे, बल्कि निवेशक, व्यापारी, और टैक्सपेयर्स के लिए भी नए नियम लागू होंगे। आइए जानते हैं 1 अप्रैल से लागू होने वाले 9 प्रमुख फैसलों के बारे में:

1 .नए टैक्स नियम होंगे लागू:

नए टैक्स सिस्टम के तहत 1 अप्रैल से असेसमेंट ईयर 2025-26 की शुरुआत हो जाएगी। अब आपको पुराने टैक्स रिजीम के तहत 80C जैसे डिडक्शन का लाभ लेना है तो आपको इसे अलग से चुनना होगा। नए टैक्स सिस्टम में टैक्स स्लैब और छूट के नियम अलग होंगे, इसलिए अपनी टैक्स प्लानिंग समय रहते कर लें।

2 .UPI नियमों में बदलाव:

नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने डिजिटल पेमेंट्स को और सुरक्षित बनाने के लिए 1 अप्रैल 2025 से एक अहम कदम उठाया है। अब ऐसे UPI अकाउंट्स, जो लंबे समय से इनएक्टिव होंगे, उनके ट्रांजैक्शन रोक दिए जाएंगे। यदि आपका बैंक अकाउंट किसी पुराने या बंद नंबर से लिंक है, तो उसे तुरंत अपडेट कर लें, ताकि आपको 1 अप्रैल से UPI ट्रांजैक्शन में कोई परेशानी न हो।

3 .डोरमेंट UPI ID होंगे डिसेबल:

NPCI ने फिशिंग स्कैम और फ्रॉड से बचने के लिए 1 अप्रैल 2025 से पिछले 12 महीनों से उपयोग न किए गए UPI ID को डिसेबल करने का फैसला लिया है। अगर आप अपनी डोरमेंट UPI ID को एक्टिवेट नहीं करते, तो यह हमेशा के लिए बंद हो सकता है। डिजिटल पेमेंट में रुकावट से बचने के लिए अपनी UPI ID को चेक करें और उसे एक्टिव रखें।

4 .FD पर अब ज्यादा फायदा:

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करने वालों के लिए खुशखबरी है। 1 अप्रैल 2025 से FD, रेकुरिंग डिपॉजिट (RD), और अन्य सेविंग स्कीम्स पर मिलने वाले ब्याज पर TDS की छूट सीमा बढ़ा दी गई है। सीनियर सिटीजन के लिए यह सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है, जबकि अन्य निवेशकों के लिए यह सीमा 40,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये की गई है।

5 .सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस जरूरी

अब 1 अप्रैल से, यदि आपके सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस नहीं है, तो बैंक आपसे पेनल्टी वसूल सकता है। अलग-अलग बैंकों की मिनिमम बैलेंस सीमा अलग हो सकती है, इसलिए अपने बैंक की पॉलिसी को समझकर बैलेंस मेंटेन करें और जुर्माने से बचें।

6 .GST नियमों में बड़ा बदलाव: ISD सिस्टम

1 अप्रैल 2025 से GST सिस्टम में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (ISD) सिस्टम लागू होगा, जिसका उद्देश्य राज्यों के बीच टैक्स रेवेन्यू का सही तरीके से वितरण करना है। यह बदलाव GST को और पारदर्शी बनाएगा और बिजनेस करने वालों को टैक्स लायबिलिटी को बेहतर तरीके से मैनेज करने में मदद करेगा।

7 .सेविंग अकाउंट और FD इंटरेस्ट रेट में बदलाव

बैंक अपने FD और सेविंग अकाउंट के ब्याज दरों में बदलाव करने जा रहे हैं। बड़े बैंकों ने इन दरों में संशोधन किया है, और 1 अप्रैल से ये नई दरें लागू हो जाएंगी। यदि आप FD या सेविंग अकाउंट में निवेश करने का सोच रहे हैं, तो अपने बैंक की वेबसाइट पर जाकर नई ब्याज दरों की जानकारी जरूर लें।

8 .डिविडेंड के लिए PAN-आधार लिंकिंग अनिवार्य

अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करते हैं और डिविडेंड का लाभ लेते हैं, तो यह बदलाव आपके लिए महत्वपूर्ण है। 1 अप्रैल 2025 से, जिन लोगों का PAN और आधार लिंक नहीं होगा, उन्हें डिविडेंड नहीं मिलेगा। इसके अलावा, कैपिटल गेन पर TDS की दर भी बढ़ जाएगी, इसलिए समय रहते अपने PAN और आधार को लिंक कर लें।

9 .डीमैट और म्यूचुअल फंड अकाउंट के नियम होंगे सख्त

SEBI ने डीमैट और म्यूचुअल फंड अकाउंट्स के लिए KYC और नॉमिनी डिटेल्स अपडेट करने की अनिवार्यता लागू की है। 1 अप्रैल 2025 से सभी निवेशकों को अपनी KYC डिटेल्स अपडेट करना आवश्यक होगा, अन्यथा उनका अकाउंट फ्रीज हो सकता है। इसके अलावा, नॉमिनी डिटेल्स को भी अपडेट करना जरूरी होगा।

यूपी में लड़क‍ियों को म‍िल रहे 25000 रुपये..कैसे करें आवेदन?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य राज्य में लिंग अनुपात में सुधार करना, बेटियों को सशक्त बनाना और उनके स्वास्थ्य तथा शिक्षा को प्रोत्साहित करना है। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है। खासकर उन परिवारों को जो अपनी बेटियों की बेहतर परवरिश और शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं।

कन्या सुमंगला योजना के तहत मिलने वाली राशि:

मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के तहत एक बेटी के जन्म से लेकर 12वीं कक्षा तक, कई चरणों में कुल 25,000 रुपये तक की राशि दी जाती है। ये राशि विभिन्न श्रेणियों में बांटी जाती है: जन्म पर 5000 की राशि दी जाती हैं। वहीं,  एक साल का टीकाकरण पूरा होने पर 2000, पहली कक्षा में एडमिशन पर 3000, 6वीं कक्षा में एडमिशन पर 3000, 9वीं कक्षा में एडमिशन पर 5000, 10वीं/12वीं पास करने पर 7000 रुपया, यानि की कुल 25,000 की राशि मिलती हैं।

कन्या सुमंगला योजना के लिए पात्रता:

लाभार्थी का उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए।

आवेदन करते वक्त परिवार की आय 3 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

एक परिवार को अधिकतम दो बेटियों को इस योजना का लाभ मिल सकता है।

यदि महिला के जुड़वा बेटियां हैं, तो दोनों को इस योजना का लाभ मिलेगा।

गोद ली हुई बेटी भी योजना के लाभ के लिए पात्र है, लेकिन परिवार में अधिकतम दो बेटियों को ही लाभ मिलेगा।

कन्या सुमंगला योजना के लिए आवेदन कैसे करें?

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के लिए आवेदन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से किया जा सकता है। ऑनलाइन आवेदन के लिए सबसे पहले मुफ्त मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना की आधिकारिक वेबसाइट mksy.up.gov.in पर जाएं। होम पेज पर Citizen Portal पर क्लिक करें। फिर First Time User- Register Yourself का विकल्प दिखाई देगा। निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और नीचे I Agree पर टिक करके Continue बटन दबाएं। सभी आवश्यक जानकारी भरें, जैसे कि बच्ची का नाम, परिवार का विवरण, आय प्रमाण पत्र आदि। आवेदन पत्र सबमिट करें और आवेदन की स्थिति जानने के लिए आवेदन पत्र का ट्रैकिंग नंबर प्राप्त करें।

यूपी में 10वीं-12वीं पास के लिए शानदार भर्ती, अब पाएं सरकारी नौकरी!

कानपुर: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (IIT कानपुर) ने 2025 में 10वीं और 12वीं पास उम्मीदवारों के लिए प्रोजेक्ट अटेंडेंट के पदों पर भर्ती निकाली है। यह भर्ती IIT कानपुर में 02 पदों के लिए की जा रही है, और यह उन उम्मीदवारों के लिए एक बेहतरीन अवसर है जो सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे हैं।

पदों की जानकारी:

पद का नाम: प्रोजेक्ट अटेंडेंट

पदों की संख्या: कुल 02 पद।

आवश्यक योग्यता: 10वीं/12वीं पास

कार्य स्थान: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर, उत्तर प्रदेश

आवेदन प्रक्रिया:

IIT कानपुर की इस भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन होगी। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार iitk.ac.in वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की शुरुआत 21 मार्च 2025 से होगी, और अंतिम तिथि 14 अप्रैल 2025 है। उम्मीदवारों को अंतिम तिथि से पहले आवेदन पत्र सबमिट करना होगा।

पात्रता मानदंड:

उम्मीदवार को 10वीं या 12वीं पास होना चाहिए। उम्मीदवार की आयु 18 वर्ष से 30 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आयु में छूट सरकारी नियमों के अनुसार दी जाएगी। उम्मीदवार को प्रोजेक्ट अटेंडेंट के रूप में काम करने का बुनियादी ज्ञान होना चाहिए।

चयन प्रक्रिया:

चयन प्रक्रिया में उम्मीदवारों का चयन साक्षात्कार या दस्तावेज़ सत्यापन के आधार पर किया जाएगा। साक्षात्कार की तारीख और समय की जानकारी उम्मीदवारों को बाद में दी जाएगी।

महत्वपूर्ण तिथियाँ:

ऑनलाइन आवेदन की शुरुआत: 21 मार्च 2025

ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि: 14 अप्रैल 2025

यूपी में अब प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगेगी रोक!

आगरा: उत्तर प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों की बढ़ती मनमानी के खिलाफ अब सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। कई प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ अभिभावकों द्वारा की गई शिकायतों के बाद, मुख्य विकास अधिकारी (C.D.O.) प्रतिभा सिंह ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि जो भी विद्यालय शासन द्वारा निर्धारित नियमों और आदेशों का उल्लंघन करेगा, उसकी मान्यता समाप्त कर दी जाएगी।

हाल ही में प्रोगेसिव एसोसिएशन ऑफ पैरेंट्स अवेयरनेस के राष्ट्रीय संयोजक दीपक सिंह सरीन और श्री बांके बिहारी एजुकेशनल सोसाइटी के संरक्षक डॉ. मदन मोहन शर्मा ने यह शिकायत की थी कि कई स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को निर्धारित दुकानों से ही पाठ्यपुस्तकें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए विवश कर रहे हैं। इसके साथ ही ये विद्यालय प्रबंधन शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन कर प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें छात्रों को थमा रहे हैं, जिससे अभिभावकों का शोषण हो रहा है।

बता दें की मुख्य विकास अधिकारी प्रतिभा सिंह ने इस गंभीर शिकायत को संज्ञान में लिया और तुरंत स्कूलों को सख्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यदि कोई स्कूल शासन के निर्देशों की अनदेखी करता है और छात्रों को अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

शासन के निर्देशों की मुख्य बातें:

1 .किसी भी प्रकार का व्यावसायिक उद्देश्य नहीं:

यूपी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी विद्यालय किसी व्यक्ति या समूह को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से संचालित नहीं किया जाएगा। यह आदेश स्कूलों की स्थापना और संचालन के उद्देश्य को शिक्षा के प्रचार-प्रसार तक ही सीमित रखता है।

2 .निर्धारित पाठ्यक्रम का पालन:

सरकार ने यह निर्देश दिया है कि मान्यता प्राप्त विद्यालयों में केवल बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों का ही उपयोग किया जाएगा। विद्यालयों को अपने मनमाने तरीके से प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों को नहीं लागू करने दिया जाएगा।

3 .विद्यालय परिसरों का सही उपयोग:

शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत यह भी आदेश दिया गया है कि विद्यालयों के भवनों और परिसरों का इस्तेमाल किसी भी दशा में व्यावसायिक या आवासीय उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाएगा।

4 .शासनादेश का पालन अनिवार्य:

खासकर, अशासकीय प्राथमिक और जूनियर हाई स्कूलों को 26 सितंबर 2023 के शासनादेश का पालन करना अनिवार्य होगा। इसके उल्लंघन की स्थिति में विद्यालय की मान्यता को रद्द करने की कार्रवाई की जाएगी।

यूपी बीएड एंट्रेस टेस्ट: आवेदन की अंतिम तिथि 30 अप्रैल

लखनऊ: उत्तर प्रदेश बीएड ज्वाइंट एंट्रेस एग्जामिनेशन (UP BEd JEE) 2025 के लिए आवेदन की अंतिम तिथि एक बार फिर से बढ़ा दी गई है। अब अभ्यर्थी 30 अप्रैल 2025 तक बिना लेट फीस के आवेदन कर सकते हैं। इस रिपोर्ट में हम विस्तार से जानेंगे कि आवेदन कैसे करें, महत्वपूर्ण तिथियां क्या हैं और क्या प्रोसेस है।

आवेदन की नई अंतिम तिथि

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी (BU Jhansi) की ओर से यूपी बीएड एंट्रेस टेस्ट 2025 के लिए आवेदन की तिथि को बढ़ा दिया गया है। अब, उम्मीदवार बिना लेट फीस के 30 अप्रैल 2025 तक आवेदन कर सकते हैं। यदि आप किसी कारणवश पहले आवेदन नहीं कर पाए थे, तो अब आपके पास एक और मौका है।

ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?

1 .आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: आवेदन करने के लिए सबसे पहले उम्मीदवारों को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट www.bujhansi.ac.in पर जाना होगा।

2 .UP BEd JEE 2025 लिंक पर क्लिक करें: वेबसाइट के होमपेज पर ‘UP BEd JEE 2025’ लिंक पर क्लिक करें, जो मुख्य पृष्ठ पर दिखाई देगा।

3 .नया यूज़र रजिस्ट्रेशन करें: अगर आप नए उम्मीदवार हैं तो “CLICK HERE FOR NEW USER REGISTRATION” पर क्लिक करें और सभी जरूरी जानकारी भरकर पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करें।

4 .आवेदन फॉर्म भरें: पंजीकरण के बाद आवेदन फॉर्म में मांगी गई जानकारी को सही-सही भरें और जरूरी दस्तावेज़ अपलोड करें।

5 .आवेदन शुल्क का भुगतान करें: अंत में, आवेदन शुल्क का भुगतान करें और फॉर्म सबमिट करें।

लेट फीस के साथ आवेदन

अगर आप 30 अप्रैल तक आवेदन नहीं कर पाते हैं तो भी आपके पास 1 मई से 5 मई 2025 तक आवेदन करने का मौका रहेगा, लेकिन इस अवधि में आपको लेट फीस का भुगतान करना होगा।

यूपी में नए टोल टैक्स लागू: कल से सफर होगा महंगा!

लखनऊ: 1 अप्रैल से उत्तर प्रदेश में टोल टैक्स की दरों में वृद्धि होने जा रही है, जो वाहन चालकों के लिए एक बड़ी खबर है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने नए वित्तीय वर्ष 2025-26 के पहले दिन से विभिन्न टोल प्लाजा पर शुल्क में पांच से दस रुपये तक का इजाफा किया है। यह बदलाव 31 मार्च की मध्य रात्रि से लागू हो जाएगा, और इस पर सूचना बोर्ड टोल प्लाजा पर सोमवार शाम तक लगाए जाएंगे।

बढ़े हुए टोल टैक्स का प्रभाव

उत्तर प्रदेश के कई प्रमुख टोल प्लाजा पर बढ़े हुए टोल की दरों से राजधानी लखनऊ, नवाबगंज, बाराबंकी, सुल्तानपुर, अयोध्या, रायबरेली, और अन्य शहरों से गुजरने वाले लाखों वाहन चालकों पर असर पड़ेगा। खासकर, जिन वाहन चालकों को रोजाना लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, वे इस वृद्धि से सीधे प्रभावित होंगे। यह वृद्धि प्रति ट्रिप पांच से दस रुपये तक होगी, जो विशेष रूप से छोटे-बड़े वाहनों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

नई टोल दरें:

1 .बहराइच का आनी टोल प्लाजा:

कार: 45 रुपये (किसी प्रकार का बदलाव नहीं), बस/ट्रक: 150 रुपये से बढ़कर 155 रुपये, छोटे कमर्शियल वाहन: 70 रुपये से बढ़कर 75 रुपये

2 .अयोध्या हाईवे का रौनाही टोल प्लाजा:

कार: 120 रुपये से बढ़कर 125 रुपये, बस/ट्रक: 415 रुपये से बढ़कर 430 रुपये, छोटे कमर्शियल वाहन: 195 रुपये से बढ़कर 205 रुपये

3 .कानपुर रोड का नवाबगंज टोल प्लाजा:

कार: 95 रुपये से बढ़कर 100 रुपये, बस/ट्रक: 320 रुपये से बढ़कर 330 रुपये, छोटे कमर्शियल वाहन: 155 रुपये से बढ़कर 160 रुपये

4 .रायबरेली का दखिना शेखपुर टोल प्लाजा:

कार: 115 रुपये से बढ़कर 120 रुपये, बस/ट्रक: 385 रुपये से बढ़कर 400 रुपये, छोटे कमर्शियल वाहन: 185 रुपये से बढ़कर 190 रुपये

5 .बाराबंकी हाईवे का अहमदपुर पुर टोल प्लाजा:

कार: 115 रुपये से बढ़कर 120 रुपये, बस/ट्रक: 395 रुपये से बढ़कर 405 रुपये, छोटे कमर्शियल वाहन: 185 रुपये से बढ़कर 195 रुपये

6 . दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर भी बढ़े टोल

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर भी टोल शुल्क में बदलाव हुआ है। अब कार और जीप को दिल्ली से मेरठ तक जाने के लिए 170 रुपये का शुल्क देना होगा। हल्के वाणिज्यिक वाहनों के लिए यह शुल्क 275 रुपये, और बस व ट्रक के लिए 580 रुपये होगा। इंदिरापुरम से मेरठ जाने के लिए भी शुल्क में वृद्धि की गई है।

नई दरें और मासिक पास:

कुछ प्रमुख टोल प्लाजा पर मासिक पास की दरें भी बढ़ाई गई हैं। उदाहरण के लिए, छिजारसी टोल प्लाजा पर मासिक पास की कीमत 5795 रुपये से बढ़कर 9360 रुपये हो सकती है। बस और ट्रक के लिए भी मासिक पास की दरों में वृद्धि की गई है।

परमाणु ताकत का नया युग: 8 देशों के पास लंबी दूरी की ICBM मिसाइलें!

नई दिल्ली: परमाणु शक्ति और सैन्य शक्ति के संदर्भ में, 21वीं सदी में एक नया युग शुरू हो चुका है, जिसमें लंबी दूरी की इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) तकनीक प्रमुख भूमिका निभा रही है। आज दुनिया के आठ प्रमुख देशों के पास ICBM मिसाइलें हैं, जो उनकी परमाणु क्षमताओं को और अधिक मजबूत बनाती हैं। ये देश संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, भारत, यूनाइटेड किंगडम, इजराइल और उत्तर कोरिया हैं। 

1. संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)

संयुक्त राज्य अमेरिका ICBM तकनीक में सबसे अग्रणी देशों में से एक है। अमेरिका के पास Minuteman III ICBM मिसाइलें हैं, जो 13,000 किलोमीटर तक दूरी तय कर सकती हैं। इसके अलावा, अमेरिकी नौसेना के पास Trident II D5 मिसाइलें भी हैं, जो पनडुब्बियों से लॉन्च होती हैं। इन मिसाइलों की सटीकता और दूरी अमेरिका को वैश्विक सुरक्षा नीति में प्रमुख स्थान देती हैं। अमेरिकी परमाणु नीति का मुख्य उद्देश्य दूसरों के परमाणु हमलों से बचाव और संप्रभुता की रक्षा है।

2. रूस

रूस के पास भी दुनिया की कुछ सबसे ताकतवर ICBM मिसाइलें हैं। रूस का RS-28 Sarmat, जिसे "सारमत" के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यधिक शक्तिशाली मिसाइल है, जो लगभग 18,000 किलोमीटर तक यात्रा करने में सक्षम है। यह मिसाइल एक साथ कई वारहेड्स को ले जाने की क्षमता रखती है। रूस की ICBM ताकत यह सुनिश्चित करती है कि वह किसी भी संभावित हमले का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

3. चीन

चीन ने भी अपनी परमाणु क्षमता में इजाफा किया है और अब उसके पास लंबी दूरी की ICBM मिसाइलें हैं। DF-41 मिसाइल, जो चीन की सबसे लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल मानी जाती है, 13,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर सकती है। चीन के पास ऐसे कई मिसाइल सिस्टम हैं, जो उसे दुनिया के सबसे बड़े और प्रभावशाली सैन्य शक्तियों में से एक बनाते हैं।

4. फ्रांस

फ्रांस के पास भी ICBM मिसाइलों का मजबूत जखीरा है। उनके पास "M51" नामक एक मिसाइल है, जो 10,000 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकती है। फ्रांस के लिए यह मिसाइल सिस्टम उसकी रक्षा और वैश्विक सुरक्षा नीति का अहम हिस्सा है। फ्रांसीसी परमाणु बलों का उद्देश्य अपनी स्वतंत्र रक्षा नीति को मजबूत करना और किसी भी स्थिति में राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

5. भारत

भारत ने भी अपनी परमाणु ताकत को और अधिक मजबूत किया है। भारत की Agni-V मिसाइल एक ऐसी ICBM है, जो 5,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर सकती है। भारत का यह मिसाइल सिस्टम न केवल रक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश की रणनीतिक स्वायत्तता और क्षेत्रीय शक्ति को भी रेखांकित करता है।

6. यूनाइटेड किंगडम

यूनाइटेड किंगडम के पास भी ICBM क्षमता है। ब्रिटेन की Trident II D5 मिसाइलों का इस्तेमाल उसकी परमाणु पनडुब्बियों द्वारा किया जाता है। ये मिसाइलें करीब 12,000 किलोमीटर तक की दूरी तक पहुंच सकती हैं। ब्रिटेन का परमाणु नीतिगत उद्देश्य अपनी रक्षा को सुनिश्चित करना और वैश्विक संकट के समय प्रभावी जवाबी कार्रवाई करना है।

7. इजराइल

इजराइल का परमाणु कार्यक्रम हमेशा गोपनीय रहा है, लेकिन अनुमान है कि इजराइल के पास Jericho-III ICBM मिसाइलें हैं, जो 7,000 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकती हैं। इजराइल की परमाणु नीति "विकिरण की नीति" (policy of ambiguity) के तहत है, जिसका मतलब है कि उसने कभी सार्वजनिक तौर पर अपने परमाणु शस्त्रागार की पुष्टि नहीं की, लेकिन यह माना जाता है कि यह एक महत्वपूर्ण सैन्य शक्ति के रूप में कार्य करता है।

8. उत्तर कोरिया

उत्तर कोरिया ने हाल ही में अपनी ICBM क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि की है। देश की Hwasong-15 और Hwasong-17 मिसाइलें, जो लगभग 13,000 किलोमीटर तक दूरी तय करने की क्षमता रखती हैं। उत्तर कोरिया अपनी परमाणु नीति को अपनी सुरक्षा का मुख्य स्तंभ मानता है, और उसका मानना है कि यह नीति उसे बाहरी दबाव और आक्रमण से बचाएगी।

यूपी में शराब के लिए 1 अप्रैल से नए नियम लागू!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 1 अप्रैल से लागू होने वाली नई आबकारी नीति राज्य में शराब के कारोबार में एक बड़ा बदलाव लेकर आ रही है। इस नीति के तहत प्रदेश की शराब दुकानों का स्वरूप और संचालन पूरी तरह से बदल जाएगा। खास तौर पर अंग्रेजी शराब और बीयर की बिक्री को एक ही दुकान पर समाहित किया जाएगा, जिसका असर प्रदेश के लाखों शराब प्रेमियों पर पड़ेगा। 

1. बीयर और अंग्रेजी शराब एक ही दुकान पर

नई आबकारी नीति के अनुसार, अब अंग्रेजी शराब और बीयर दोनों को एक ही दुकान पर बेचा जाएगा। पहले बीयर के लिए अलग दुकानें होती थीं, लेकिन अब इन दोनों की बिक्री एक ही स्थान पर होगी। इसका मतलब यह है कि बीयर और अंग्रेजी शराब की दुकानों का संचालन एक साथ होगा, जिससे दुकानदारों को संचालन में अधिक सुविधा होगी, लेकिन कुछ दुकानदारों के लिए यह बदलाव चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है।

2. 3,171 शराब की दुकानें बंद होंगी

नई नीति के लागू होने के साथ ही प्रदेश में लगभग 3,171 शराब की दुकानें बंद हो जाएंगी। यह दुकानें उन दुकानदारों की होंगी, जिन्हें नई दुकानें आवंटित नहीं की गई हैं। इन दुकानदारों को अपनी दुकानें 31 मार्च तक खाली करनी होंगी। यानी, उन्हें 1 अप्रैल से पहले अपनी पुरानी दुकानों का संचालन बंद करना होगा।

3. नई दुकान आवंटन प्रक्रिया: ई-लॉटरी सिस्टम

पिछले आठ वर्षों से यूपी में शराब की दुकानों का आवंटन लॉटरी सिस्टम के जरिए नहीं किया जा रहा था, लेकिन इस बार नई दुकानों का आवंटन पूरी तरह से ई-लॉटरी के माध्यम से किया गया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि आवंटन प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष रहे। पहले पुराने दुकानदारों को ही रिन्युअल मिल रहा था, लेकिन अब नए दुकानदारों को भी मौका मिलेगा।

4. स्टॉक खत्म करने के लिए ऑफर

नई नीति के तहत सभी शराब दुकानदारों को 31 मार्च तक अपना पुराना स्टॉक खत्म करने का आदेश दिया गया है। इस कारण, कई दुकानदारों ने अपने पुराने स्टॉक को बेचने के लिए खास ऑफर दिए हैं। उदाहरण के लिए, "तीन बोतल खरीदने पर एक फ्री" या "दो बोतल खरीदने पर एक फ्री" जैसे ऑफर ग्राहकों को दिए जा रहे हैं। यह ऑफर 31 मार्च तक ही लागू रहेगा, इसलिए शराब प्रेमियों के पास सीमित समय है इन ऑफर्स का फायदा उठाने का।

5. मॉडल शॉप सिस्टम का जारी रहना

मॉडल शॉप का सिस्टम पहले की तरह लागू रहेगा। इसका मतलब है कि कुछ विशेष दुकानों को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के आधार पर 'मॉडल शॉप' के रूप में मान्यता प्राप्त होगी। ये शॉप्स उच्च गुणवत्ता और सेवा की पेशकश करती हैं, और इन्हें अतिरिक्त सुविधाएं मिल सकती हैं।

6. नई आबकारी नीति का उद्देश्य

नई आबकारी नीति का मुख्य उद्देश्य शराब की दुकानों का संचालन अधिक व्यवस्थित करना, राज्य के राजस्व को बढ़ाना, और शराब के कारोबार में पारदर्शिता को बढ़ावा देना है। इसके अलावा, शराब के सेवन को नियंत्रित करना और इसका वितरण अधिक जिम्मेदारी से करना भी इस नीति का उद्देश्य है।

पुरुषों के लिए बेहद जरूरी होता है ये 4 विटामिन!

हेल्थ डेस्क: स्वस्थ जीवन के लिए सही पोषण का होना बेहद जरूरी है, और विटामिन्स उन पोषक तत्वों में से एक हैं जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। पुरुषों की सेहत के लिए कुछ खास विटामिन्स और मिनरल्स को अपनी डाइट में शामिल करना न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।

1. विटामिन डी:

विटामिन डी का मुख्य कार्य हड्डियों की सेहत को बनाए रखना है, क्योंकि यह कैल्शियम और फास्फोरस के अवशोषण में मदद करता है। विटामिन डी के स्तर का संतुलन पुरुषों के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में भी मदद करता है। सूरज की रोशनी से शरीर में विटामिन डी बनता है, लेकिन अगर आप सूरज की रोशनी में पर्याप्त समय नहीं बिता पाते हैं, तो विटामिन डी की कमी हो सकती है। 

आवश्यकता: पुरुषों के लिए विटामिन डी की दिनचर्या में 600-800 IU की मात्रा की आवश्यकता होती है।

2. विटामिन ई: 

विटामिन ई एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो शरीर को फ्री रैडिकल्स से बचाता है और कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है। यह पुरुषों की त्वचा, बालों, और दृष्टि की सेहत को बनाए रखने में भी मदद करता है। इसके अलावा, विटामिन ई पुरुषों के हार्ट हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होता है, क्योंकि यह रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाता है और दिल की बीमारियों के खतरे को कम करता है।

आवश्यकता: पुरुषों को विटामिन ई की दैनिक खुराक 15 मिलीग्राम तक होनी चाहिए।

3. विटामिन सी:

विटामिन सी को विटामिन "इम्यून बूस्टर" भी कहा जाता है, क्योंकि यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह जुकाम, फ्लू, और अन्य संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है। विटामिन सी की उच्च खुराक से शरीर में कोलेजन का निर्माण भी होता है, जो त्वचा, हड्डियों, और रक्त वाहिकाओं को मजबूत करता है। पुरुषों के लिए यह विटामिन त्वचा के स्वास्थ्य, दांतों की मजबूती और हड्डियों को भी लाभ पहुंचाता है।

आवश्यकता: पुरुषों को विटामिन सी की दिनचर्या में 90 मिलीग्राम की आवश्यकता होती है।

4. विटामिन बी12:

विटामिन बी12 शरीर के सभी तंत्रों के लिए जरूरी होता है, खासकर ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने के लिए। यह विटामिन लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करने में मदद करता है, जिससे शरीर में खून की कमी या एनीमिया जैसी समस्याओं से बचाव होता है। इसके अलावा, यह मानसिक स्वास्थ्य में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है। पुरुषों को अक्सर विटामिन बी12 की कमी महसूस हो सकती है, खासकर जब उनकी डाइट में पर्याप्त मात्रा में मांस, अंडे, या डेयरी उत्पाद शामिल नहीं होते।

आवश्यकता: पुरुषों के लिए विटामिन बी12 की दिनचर्या में 2.4 माइक्रोग्राम की आवश्यकता होती है।

बिहार के ये शिक्षक अब नपेंगे, कार्रवाई की तैयारी!

पटना: बिहार में शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए सख्त निर्देशों के बाद राज्य के सरकारी शिक्षकों की कार्यशैली और उनके ट्रांसफर प्रोसेस को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। इस कदम का उद्देश्य शिक्षकों की कार्यप्रणाली में सुधार और उन्हें उनके कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदार बनाना है। साथ ही, यह ट्रांसफर प्रक्रिया को पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने के लिए उठाए गए एक अहम कदम के रूप में देखा जा सकता है।

टीचरों के ट्रांसफर की प्रक्रिया:

बिहार सरकार ने शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से लागू करना शुरू कर दिया है। इसके तहत, शिक्षकों को अपनी ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए आवेदन ऑनलाइन करने की अनुमति दी गई है, जिससे एक ओर जहां ट्रांसपेरेंसी का माहौल बना है, वहीं दूसरी ओर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि तबादले के लिए नियमों और प्रक्रिया का पालन हो।

इन शिक्षकों पर होगी कार्रवाई:

हालांकि, ट्रांसफर प्रक्रिया के बीच कुछ शिक्षक विभाग का चक्कर लगाने में लगे हुए थे, बिना अपने निर्धारित स्कूलों में नियमित रूप से उपस्थित हुए। यही कारण है कि अब विभाग ने इन शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। प्राथमिक निदेशक ने एक पत्र जारी करते हुए यह निर्देश दिया है कि जिन शिक्षकों का स्कूल में काम छोड़कर वे केवल ट्रांसफर के लिए विभाग में चक्कर लगा रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। यह कदम शिक्षा विभाग द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन सही तरीके से करें और किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें।

ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपडेट:

इसके अलावा, विभाग ने ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर शिक्षकों के प्रोफाइल को अपडेट करने की भी सख्ती दिखाई है। जिन शिक्षकों ने अपनी प्रोफाइल को अपडेशन के लिए आवश्यक आधार नंबर और अन्य संबंधित जानकारियां अपलोड नहीं की हैं, उन शिक्षकों को अब तीन दिनों के अंदर यह जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया गया है। यह कदम सरकारी शिक्षकों की जानकारी को ऑनलाइन रखने के उद्देश्य से उठाया गया है, ताकि विभाग के पास सभी शिक्षकों का सही और अद्यतन डेटा हो। यह पोर्टल न केवल शिक्षक के बारे में जानकारी संग्रहित करेगा, बल्कि इससे शिक्षकों के ट्रांसफर प्रक्रिया में भी सहूलियत होगी।

ऑनलाइन शिकायतों का समाधान:

इसके साथ ही, अगर किसी शिक्षक का ट्रांसफर ऑनलाइन आवेदन के बावजूद नहीं हो पाता है, तो विभाग ने इस समस्या के समाधान के लिए एक और विकल्प उपलब्ध करवा दिया है। अब शिक्षक ई-शिक्षा कोष पोर्टल के माध्यम से अपनी समस्या दर्ज कर सकते हैं और शिकायतों का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। इससे शिक्षकों को अपनी समस्याओं के लिए अधिकारियों से सीधे संपर्क करने में सुविधा होगी, और विभाग भी मामले को जल्दी हल करने में सक्षम रहेगा।

भारत का रक्षा क्षेत्र: 76 साल में क्यों नहीं बना सके जेट इंजन?

नई दिल्ली: भारत का रक्षा क्षेत्र बड़ी ताकत के रूप में उभरा है, लेकिन जेट इंजन जैसे अहम तकनीकी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना अब भी एक बड़ी चुनौती है। इस रिपोर्ट में हम कुछ प्रमुख कारणों को देखेंगे, जिनकी वजह से भारत आजादी के 76 साल बाद भी अपना जेट इंजन नहीं बना सका।

1. उन्नत तकनीकी ज्ञान की कमी

जेट इंजन बनाने के लिए अत्यधिक उन्नत और विशिष्ट तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है। जेट इंजन का डिज़ाइन, निर्माण और परीक्षण बहुत जटिल होता है और इसमें उच्च-स्तरीय इंजीनियरिंग के साथ-साथ शुद्ध वैज्ञानिक कौशल की आवश्यकता होती है। भारत में इस स्तर की तकनीकी विशेषज्ञता की शुरुआत में कमी रही है, हालांकि अब इसमें सुधार हो रहा है।

2. संसाधनों और निवेश की कमी

जेट इंजन निर्माण के लिए विशाल निवेश की आवश्यकता होती है, जिसमें अनुसंधान, विकास, और परीक्षण के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सुविधाओं और उपकरणों की जरूरत होती है। भारत में रक्षा क्षेत्र का बजट बढ़ने के बावजूद, लंबे समय तक इस क्षेत्र में पर्याप्त निवेश नहीं हो सका। इसके अलावा, ऐसे परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करना भी मुश्किल होता है, क्योंकि इनके लिए स्थिर और पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है।

3.आत्मनिर्भरता की धीमी गति

भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए बहुत देर से कोशिश की, वर्तमान की  नरेंद्र मोदी सरकार ने "आत्मनिर्भर भारत" और "मेक इन इंडिया" जैसे कार्यक्रम चलाये।  हालांकि इन पहलुओं ने भारतीय रक्षा क्षेत्र में सुधार किया है, लेकिन जेट इंजन जैसे अत्यधिक जटिल उत्पाद में आत्मनिर्भरता की ओर प्रगति धीमी रही है। भारतीय अनुसंधान संस्थानों और उद्योगों को ऐसे जटिल प्रोजेक्ट्स में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए और अधिक समय और प्रयास की आवश्यकता है।

4. रक्षा क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी कम

भारत में रक्षा उद्योग में अधिकतर काम सरकारी संस्थाओं के द्वारा ही किया जाता है। हालांकि हाल के वर्षों में निजी कंपनियों को भी इसमें शामिल किया गया है, लेकिन जेट इंजन जैसे प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी सीमित रही है। इसमें सरकारी नियंत्रण और पुराने नियमों की वजह से निजी कंपनियों का जोखिम लेने की क्षमता सीमित रही है।

5. राष्ट्रीय सुरक्षा और जटिल परीक्षण प्रक्रिया

जेट इंजन रक्षा क्षेत्र से जुड़ा हुआ उत्पाद है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील होता है। इसका डिज़ाइन, परीक्षण और उत्पादन कई स्तरों पर सुरक्षा जांच से गुजरता है, जो कि समय और संसाधनों की बड़ी खपत का कारण बनता है। इसके अलावा, कई बार जेट इंजन से जुड़े परीक्षणों में असफलताएं भी आई हैं, जिससे परियोजना की प्रगति धीमी हो गई है।

लड़कों में वीर्य का न बनना, जन्मजात दोष भी कारण!

हेल्थ डेस्क: एजोस्पर्मिया (Azoospermia) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पुरुषों के वीर्य में कोई भी शुक्राणु नहीं होता है। यह एक गंभीर समस्या हो सकती है, खासकर उन लड़कों के लिए जो संतान उत्पत्ति में रुचि रखते हैं। इस स्थिति के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें जन्मजात दोष, हार्मोनल असंतुलन और अंडकोष की समस्याएं प्रमुख हैं।

एजोस्पर्मिया के कारण:

जन्मजात दोष

कुछ लड़के जन्म से ही ऐसे दोषों के साथ पैदा होते हैं जो उनके शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित करते हैं। इनमें से कुछ दोषों में जेनेटिक (आनुवांशिक) समस्याएं शामिल हो सकती हैं, जैसे कि कलाइनफेल्टर सिंड्रोम (Klinefelter Syndrome), जो एक आनुवांशिक स्थिति है, जिसमें पुरुषों के पास अतिरिक्त X गुणसूत्र होता है और इसका असर शुक्राणु उत्पादन पर पड़ता है।

इसके अलावा, अन्य जन्मजात दोषों में वैरिकोसील (Varicocele) जैसी स्थितियाँ भी शामिल हो सकती हैं, जो अंडकोष में रक्त प्रवाह को प्रभावित करती हैं और शुक्राणु उत्पादन में रुकावट डालती हैं। हालांकि इस समस्या का मेडिकल साइंस के द्वारा ठीक किया जा सकता हैं।

एजोस्पर्मिया के निदान और उपचार:

एजोस्पर्मिया का निदान सामान्यतः रक्त परीक्षण, हार्मोनल जांच, अंडकोष का अल्ट्रासाउंड, और शुक्राणु की जांच (सैम्पल द्वारा) के माध्यम से किया जाता है। उपचार का तरीका उसके कारण पर निर्भर करता है। यदि जन्मजात दोषों के कारण यह समस्या हो, तो कुछ मामलों में हार्मोनल उपचार, शल्य चिकित्सा या सहायक प्रजनन तकनीकों जैसे आईवीएफ (IVF) या आईसीएसआई (ICSI) की मदद से इलाज किया जा सकता है।

यदि हार्मोनल असंतुलन का मामला हो, तो टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन की सप्लीमेंटेशन से शुक्राणु उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सकता है। कुछ मामलों में, अंडकोष में रक्त प्रवाह बढ़ाने के लिए शल्य चिकित्सा की आवश्यकता हो सकती है, जैसे कि वैरिकोसील की सर्जरी आदि।

यूपी बोर्ड 10वीं-12वीं के टॉपर को क्या मिलेगा? जानें

लखनऊ: यूपी बोर्ड (उत्तर प्रदेश बोर्ड) 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के लिए हर साल परीक्षा के परिणामों के बाद विशेष पुरस्कारों का ऐलान किया जाता है। राज्य सरकार द्वारा टॉपर्स को प्रोत्साहित करने के लिए एक आकर्षक पुरस्कार योजना बनाई गई है, जो उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।

1. यूपी बोर्ड 10वीं टॉपर को क्या मिलेगा?

यूपी बोर्ड 10वीं के टॉपर को कई पुरस्कार मिलते हैं, जो उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित करते हैं। इन पुरस्कारों में नकद राशि, लैपटॉप और प्रशस्ति पत्र शामिल होते हैं। यहां 10वीं के टॉपर्स के लिए पुरस्कारों की सूची दी गई है:

रैंक 1: 1,00,000 रुपये नकद, लैपटॉप और प्रशस्ति पत्र।

रैंक 2: 75,000 रुपये नकद, लैपटॉप और प्रशस्ति पत्र।

रैंक 3: 50,000 रुपये नकद, लैपटॉप और प्रशस्ति पत्र।

रैंक 4-10: 10,000 से 20,000 रुपये तक नकद और प्रशस्ति पत्र।

2. यूपी बोर्ड 12वीं टॉपर को क्या मिलेगा?

यूपी बोर्ड 12वीं के टॉपर्स को भी वही पुरस्कार दिए जाते हैं जो 10वीं के टॉपर्स को मिलते हैं। यह पुरस्कार विद्यार्थियों को उनकी मेहनत और समर्पण के लिए एक महत्वपूर्ण सम्मान प्रदान करते हैं। 12वीं के टॉपर्स के लिए पुरस्कारों की सूची इस प्रकार है:

रैंक 1: 1,00,000 रुपये नकद, लैपटॉप और प्रशस्ति पत्र।

रैंक 2: 75,000 रुपये नकद, लैपटॉप और प्रशस्ति पत्र।

रैंक 3: 50,000 रुपये नकद, लैपटॉप और प्रशस्ति पत्र।

रैंक 4-10: 10,000 से 20,000 रुपये तक नकद और प्रशस्ति पत्र।

3. जिला स्तर पर भी मिलते हैं पुरस्कार

यूपी सरकार ने 2022 से जिला स्तर पर भी टॉपर्स को सम्मानित करने की योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत जिला स्तर पर छात्रों को 21,000 रुपये तक की राशि प्रदान की जाती है। यह योजना कभी-कभी लागू होती है और इस योजना का मुख्य उद्देश्य छात्रों को और अधिक प्रोत्साहित करना और उनके लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

4. कुल बजट और पुरस्कार वितरण

यूपी सरकार ने इन पुरस्कारों के लिए एक विस्तृत बजट निर्धारित किया है, जो 4.73 करोड़ रुपये तक है। इस बजट का उद्देश्य हर जिले में टॉपर्स को सही प्रकार से सम्मानित करना और उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में और भी अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना है।

5. पुरस्कारों का क्या है महत्व

इन पुरस्कारों का महत्व सिर्फ छात्रों को वित्तीय सहायता देने तक सीमित नहीं है। इन पुरस्कारों के द्वारा यूपी सरकार छात्रों को यह संदेश देना चाहती है कि मेहनत और उत्कृष्टता की कोई सीमा नहीं होती। जब राज्य सरकार टॉपर्स को इनाम देती है, तो यह न केवल उन छात्रों के आत्मविश्वास को बढ़ाता है बल्कि अन्य छात्रों को भी प्रेरित करता है।

8वां वेतन आयोग: 1 से लेवल 10 तक का वेतन चार्ट

नई दिल्ली: भारत सरकार के कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आ सकती है, क्योंकि 8वें वेतन आयोग के तहत वेतन वृद्धि का रास्ता साफ हो सकता है। खास बात यह है कि वेतन वृद्धि का निर्धारण अब 'फिटमेंट फैक्टर' के आधार पर किया जाएगा, जो मौजूदा मूल वेतन पर लागू होने वाला एक गुणक है। 

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस 'फिटमेंट फैक्टर' को 2.57 से बढ़ाकर 2.86 तक किया जा सकता है, जिसका मतलब है कि सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी होने की संभावना है। आइए जानते हैं कि 8वें वेतन आयोग के तहत 1 से 10 तक के लेवल पर वेतन कितना बढ़ सकता है और इसका कर्मचारियों पर क्या असर होगा।

7वें वेतन आयोग के मुकाबले बढ़ी हुई सैलरी

8वें वेतन आयोग के तहत लेवल 1 से लेवल 10 तक के कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में काफी बढ़ोतरी होने की संभावना है। यह बढ़ोतरी खास तौर पर उन कर्मचारियों के लिए फायदेमंद होगी, जिनकी सैलरी पहले काफी कम थी। आइए, देखें कि 8वें वेतन आयोग में कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में कितनी बढ़ोतरी हो सकती है। 

लेवल 1:

7वें वेतन आयोग के तहत, लेवल 1 के कर्मचारियों का बेसिक वेतन ₹18,000 था। हालांकि, 8वें वेतन आयोग के तहत यह बढ़कर ₹51,480 हो सकता है। इस वृद्धि से कर्मचारियों की सैलरी में 186% की बढ़ोतरी होगी, जो एक महत्वपूर्ण सुधार है।

लेवल 2:

लेवल 2 में कर्मचारियों का मूल वेतन 7वें वेतन आयोग के तहत ₹19,900 था, जबकि 8वें वेतन आयोग में यह बढ़कर ₹56,914 हो सकता है, यानी लगभग 186% की बढ़ोतरी।

लेवल 3:

7वें वेतन आयोग में लेवल 3 के कर्मचारियों का मूल वेतन ₹21,700 था, और 8वें वेतन आयोग में यह बढ़कर ₹62,062 हो सकता है, जो कि लगभग 186% की वृद्धि है।

लेवल 4:

लेवल 4 के कर्मचारियों का बेसिक वेतन 7वें वेतन आयोग में ₹25,500 था, जबकि 8वें वेतन आयोग के तहत यह ₹72,930 हो सकता है। यह एक बड़ी 186% की वृद्धि है।

लेवल 5:

7वें वेतन आयोग में लेवल 5 के कर्मचारियों का मूल वेतन ₹29,200 था, जो कि 8वें वेतन आयोग के तहत ₹83,512 हो सकता है। इस वृद्धि से कर्मचारियों को 186% अधिक वेतन मिलेगा।

लेवल 6:

7वें वेतन आयोग में लेवल 6 के कर्मचारियों का बेसिक वेतन ₹35,400 था, लेकिन 8वें वेतन आयोग के तहत यह ₹67,968 हो सकता है। यहां लगभग 92% की कमी देखी जा सकती है, लेकिन फिर भी यह एक महत्वपूर्ण वृद्धि है।

लेवल 7:

लेवल 7 में कर्मचारियों का वेतन 7वें वेतन आयोग के तहत ₹44,900 था, जबकि 8वें वेतन आयोग के तहत यह ₹1,28,414 हो सकता है। यह 186% की बड़ी वृद्धि दर्शाता है।

लेवल 8:

लेवल 8 के कर्मचारियों का वेतन 7वें वेतन आयोग में ₹47,600 था, और यह 8वें वेतन आयोग में बढ़कर ₹1,36,136 हो सकता है। इस वृद्धि से 186% का इज़ाफा होगा।

लेवल 9:

7वें वेतन आयोग में लेवल 9 के कर्मचारियों का बेसिक वेतन ₹53,100 था, जबकि 8वें वेतन आयोग में यह ₹1,51,866 हो सकता है। यह भी 186% की वृद्धि है।

लेवल 10:

लेवल 10 के कर्मचारियों का बेसिक वेतन 7वें वेतन आयोग में ₹56,100 था, और यह बढ़कर ₹1,60,446 हो सकता है, यानी लगभग 186% की वृद्धि।

बिहार में 2151 टीचरों का हुआ ट्रांसफर, देखें लिस्ट?

पटना; बिहार के सरकारी स्कूलों में कार्यरत पुरुष शिक्षकों के लिए एक खुशखबरी आई है। बिहार शिक्षा विभाग ने 2151 पुरुष शिक्षकों का ऐच्छिक स्थानांतरण किया है, जिससे इन शिक्षकों के लिए नए अवसरों के द्वार खुले हैं। इस स्थानांतरण प्रक्रिया के तहत, ये सभी शिक्षक अब अपनी पत्नी के पदस्थापन वाले जिले में कार्य करेंगे, जो उनके लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। 

स्थानांतरण की प्रक्रिया

बिहार के शिक्षा विभाग ने यह निर्णय रविवार को लिया और 2151 शिक्षकों का स्थानांतरण किया। यह स्थानांतरण ऐच्छिक था, जिसका मतलब है कि ये शिक्षक अपनी इच्छानुसार अपने स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकते थे। यह कदम राज्य सरकार द्वारा पति-पत्नी के कार्यस्थल के बीच संतुलन बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

महत्वपूर्ण बिंदु:

1 .पत्नी के पदस्थापन वाले जिले में स्थानांतरण:

शिक्षकों का स्थानांतरण उनकी पत्नी के कार्यस्थल के जिले में किया गया है। इसका मतलब है कि अब ये शिक्षक अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिता सकते हैं और दांपत्य जीवन में सामंजस्य बना सकते हैं। इस कदम से न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन में सुधार होगा, बल्कि उनकी कार्यक्षमता में भी वृद्धि हो सकती है।

2 .पटना जिले में स्थानांतरण नहीं:

हालांकि, जिन शिक्षकों की पत्नी पटना जिले में पदस्थापित हैं, उनका स्थानांतरण नहीं किया गया है। इसका कारण यह है कि पटना में पहले से ही अधिक शिक्षक पदस्थापित हैं। इसके बावजूद, यह निर्णय अन्य जिलों के लिए राहत का कारण बन सकता है, क्योंकि अन्य जगहों पर शिक्षक कम थे।

3 .नियोजित शिक्षकों को नहीं किया गया शामिल:

इस स्थानांतरण प्रक्रिया में केवल नियमित शिक्षकों को शामिल किया गया है। नियोजित शिक्षकों को इस स्थानांतरण से बाहर रखा गया है। यह कदम शायद नियोजित शिक्षकों की स्थिति को स्थिर करने के लिए लिया गया है, ताकि भविष्य में उनकी नियुक्ति के बाद उन्हें स्थानांतरण का अवसर मिल सके।

4 .10 से 20 अप्रैल तक विद्यालय आवंटन

यह स्थानांतरण आदेश 10 अप्रैल से 20 अप्रैल तक लागू होगा, जिसमें स्थानांतरित शिक्षकों को उनके नए विद्यालयों का आवंटन किया जाएगा। इस प्रक्रिया के दौरान, शिक्षकों को उनके नये विद्यालयों में कार्य करने की तिथि और अन्य जरूरी जानकारी दी जाएगी। इस समयावधि में विद्यालयों में आवश्यक बदलाव किए जाएंगे ताकि सभी शिक्षक अपने नए स्थान पर आसानी से समायोजित हो सकें।

यूपी में बिना किसी झंझट के बनेगा ड्राइविंग लाइसेंस

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में अब ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया को और भी सरल बना दिया गया है। खासकर उन लोगों के लिए जो ग्रामीण इलाकों में रहते हैं और आरटीओ ऑफिस तक पहुंचने में कठिनाई का सामना करते हैं। अब उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस के लिए 40-45 किलोमीटर तक गाड़ी चलाकर आरटीओ ऑफिस नहीं जाना पड़ेगा। प्रदेश सरकार ने एक नई पहल की शुरुआत की है, जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग अब अपने गांव के पास स्थित कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) से ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकेंगे।

ड्राइविंग लाइसेंस का आवेदन

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई इस सुविधा के तहत, ग्रामीण इलाकों में स्थित कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर लोग अब कम शुल्क पर ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकेंगे। आरटीओ विभाग के सॉफ्टवेयर से सीएससी को लिंक करने का काम पहले ही शुरू किया जा चुका है। इसका मतलब है कि सीएससी से आवेदन करने की प्रक्रिया में कोई भी कठिनाई नहीं आएगी और लोग आसानी से आवेदन कर सकेंगे। यह सुविधा जल्द ही लोगों को मिलने लगेगी।

ऑनलाइन प्रक्रिया और सीएससी का लिंक

परिवहन विभाग में पहले ही ऑनलाइन सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिनमें ड्राइविंग लाइसेंस, लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदन, नाम और पता बदलने की प्रक्रिया, फोटो और हस्ताक्षर में बदलाव, और डुप्लीकेट ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने जैसी सेवाएं शामिल हैं। अब इन सभी सेवाओं को सीएससी के माध्यम से भी ग्रामीण इलाकों में उपलब्ध कराया जाएगा।

इसका फायदा यह होगा कि अब ग्रामीण इलाकों के लोग अपने गांव के नजदीकी सीएससी पर जाकर इस प्रक्रिया को पूरी कर सकते हैं। जैसे ही यह सॉफ्टवेयर लिंक हो जाएगा, यह सुविधा पूरे उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में शुरू हो जाएगी। इससे ग्रामीणों को आरटीओ तक जाने की परेशानी से छुटकारा मिलेगा।

सीएससी पर आवेदन की सुविधा

उत्तर प्रदेश में बहुत से सक्रिय कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) हैं, और हर ग्राम पंचायत में एक CSC मौजूद है। इन सेंटरों के माध्यम से अब लोग आसानी से ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन टेस्ट की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे लर्निंग लाइसेंस पाने का काम भी सरल हो गया है। सीएससी पर आवेदन करने के लिए हर सेवा का शुल्क तय किया गया है। 

सीएससी संचालकों को प्रति सेवा 30 रुपये का भुगतान करना होगा, जबकि डॉक्युमेंट स्कैनिंग, अपलोडिंग, प्रिंट और फोटो कॉपी के लिए अलग से शुल्क लिया जाएगा। उदाहरण के तौर पर, प्रति पेज स्कैनिंग और अपलोडिंग के लिए 2 रुपये, प्रिंटिंग के लिए 3 रुपये और प्रति पेज फोटो कॉपी के लिए 2 रुपये का शुल्क लिया जाएगा।

यूपी में माफिया पर कड़ा प्रहार, अपराधियों को नहीं मिलेगी राहत!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में माफिया, गैंगस्टर और भू-माफिया के खिलाफ योगी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है, जिसके तहत प्रदेश में अवैध संपत्तियों पर कड़ी कार्रवाई की गई है। योगी सरकार ने माफिया राज को खत्म करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं और इससे उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ निर्णायक प्रहार किया गया है। 

एक रिपोर्ट के मुताबिक योगी सरकार के इस कार्यवाही में 142 अरब रुपये से अधिक की चल-अचल अवैध संपत्तियों को जब्त किया गया है और साथ ही माफिया के 68 प्रमुख सदस्य तथा उनके करीब डेढ़ हजार सहयोगियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा, 617 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया और 752 अपराधियों पर गैंगस्टर एक्ट लागू किया गया है।

यूपी में कानून-व्यवस्था की नई मिसाल

योगी सरकार के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश केवल विकास की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर भी काफी आगे बढ़ा है। राज्य सरकार ने माफिया और अपराधियों के खिलाफ कड़ी नीतियां अपनाई हैं, जिसके कारण अपराधियों के मनोबल को तोड़ा गया है। पुलिस प्रशासन की सक्रियता और तकनीकी उन्नयन ने अपराधियों पर शिकंजा कसा है। इस सख्त रवैये के कारण प्रदेश का हर नागरिक अब अपने आपको सुरक्षित महसूस करता है, जो सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

यूपी पुलिस ने आधुनिक तकनीकों, जैसे सीसीटीवी सर्विलांस और पुलिस रिकॉर्ड्स के माध्यम से अपराधियों पर नज़र रखी और उनकी गतिविधियों को समय रहते पहचान लिया। साथ ही, कानूनों की सख्ती ने अपराधियों को धर दबोचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे राज्य में अपराधियों के खिलाफ एक डर का माहौल बना है और उन्होंने अपनी गतिविधियों पर अंकुश लगाया है।

उत्तर प्रदेश में अपराधों में भारी कमी

योगी सरकार के कार्यकाल में यूपी में अपराधों में उल्लेखनीय गिरावट आई है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, 2016 के मुकाबले डकैती की घटनाओं में 84.41 प्रतिशत कमी आई है। इसी तरह, लूट के मामलों में 77.43 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। इसके अलावा, अपहरण, दहेज हत्या और बलात्कार जैसी गंभीर अपराधों में भी महत्वपूर्ण गिरावट आई है। यह सरकार के कठोर कदमों और पुलिस की सक्रियता का परिणाम है।

योगी सरकार ने न केवल माफिया और गैंगस्टरों के खिलाफ कार्रवाई की, बल्कि अपराधियों के खिलाफ कड़े कानूनों का भी पालन सुनिश्चित किया। इससे प्रदेश में सुरक्षा का माहौल बेहतर हुआ है, और नागरिकों को यह अहसास हुआ है कि सरकार उनके साथ है।