क्या शारीरिक संबंध में दिलचस्पी न होना एक बीमारी है

हेल्थ डेस्क: साइंस की बात करें तो इस दुनिया में सभी इंसान के लिए शारीरिक संबंध बनाना ज़रूरी होता हैं। क्यों शारीरिक संबंध के द्वारा हीं इंसान अपने आने वाले जनरेशन की कल्पना कर सकता हैं। लेकिन इस दुनिया में बहुत से ऐसे महिला या पुरुष हैं जिनमें शारीरिक संबंध बनाने की दिलचस्पी नहीं होती हैं। आज इसी संदर्भ में मेडिकल साइंस के एक अध्ययन के अनुसार जानने की कोशिश करेंगे की शारीरिक संबंध में दिलचस्पी न होना क्या एक बीमारी हैं। साथ हीं साथ ये भी जानने की कोशिश करेंगे की इससे शरीर पर क्या प्रभाव होता हैं। तो आइये जानते हैं विस्तार से की क्या शारीरिक संबंध में दिलचस्पी न होना एक बीमारी है।
एसेक्शुअलिटी, मेडिकल साइंस के एक अध्ययन के अनुसार शारीरिक संबंध में दिलचस्पी ना होना कोई बीमारी नहीं होता हैं बल्कि ऐसे लोग एसेक्शुअलिटी डिसऑर्डर के शिकार होते हैं। इनमें संबंध बनाने की प्रवृत्ति जागृत नहीं होती हैं तथा इनमें शारीरिक आकर्षण महसूस नहीं होता हैं। जिसका सबसे बड़ा कारण इनके शरीर में उत्पन होने वाला हार्मोन्स होता हैं।
अमेरिकन हेल्थ एसोसिएशन के डॉक्टर जॉर्ज नेल का कहना हैं की वैसी महिलाएं जिनके शरीर में एस्ट्रोजन की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं वो महिलाएं एसेक्शुअलिटी डिसऑर्डर का शिकार हो जाती हैं तथा इनके शरीर में शारीरिक संबंध बनाने की चाहत उत्पन नहीं होती हैं। लेकिन एसेक्शुअलिटी डिसऑर्डर को बीमारी इसलिए नहीं माना जाता हैं। क्यों की इस डिसऑर्डर से ग्रसित महिलाओं का स्वास्थ्य अच्छा होता हैं तथा ये महिलाएं शारीरिक तौर पर भी स्वास्थ्य होती हैं।
बीबीसी के एक रिपोट के अनुसार ये एसेक्शुअलिटी डिसऑर्डर की समस्या महिलाओं के साथ साथ पुरुषों में भी होती हैं। लेकिन महिलाएं इस समस्या से ज्यादा ग्रसित होती हैं। बीबीसी से बातचीत करने हुए डॉक्टर कोठारी का कहना हैं की इन महिलाओं को अगर मानसिक रूप से मजबूत बनाया जाएँ और उन्हें हार्मोनिक ट्रीटमेंट दिया जाये तो इस एसेक्शुअलिटी डिसऑर्डर को ठीक किया जा सकता हैं और ये महिलाएं माँ भी बन सकती हैं। क्यों की इन महिलाओं में माँ बनने प्रवृत्ति होती हैं बस इन्हे शारीरिक संबंध बनाने में दिलचस्पी नहीं होता हैं।

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