रिपोर्ट के मुताबिक जब भारत को आजादी मिली उसके बाद संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य बनाने को लेकर ब्रिटेन के साथ अमेरिका ने भी भारत को प्रस्ताव दिया था। अमेरिका उस वक्त भारत को अपने पक्ष में करना चाहता था।
खबर के मुताबिक तब के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू नहीं माने और इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। साथ ही साथ यूएनएससी की स्थायी सदस्यता को चीन की तरफ भेज दिया यानी चीन को वीटो पावर दिलवा दी और भारत ने इसे छोड़ दिया।
बता दें की अगर प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने अगर ऐसा फैसला नहीं लिया होता तो आज भारत के पास वीटो पावर की शक्ति होती। वर्तमान समय में चीन इस शक्ति का इस्तेमाल कई बार भारत के खिलाफ कर चूका हैं। अमेरिका, फ्रांस, रूस, चीन और ब्रिटेन के पास वीटो पावर की शक्ति हैं।
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