यूपी बिजली विभाग में 4 हजार कर्मियों की होगी छुट्टी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग में 55 वर्ष की आयु पूरी कर चुके आउटसोर्स कर्मचारियों को हटाने के आदेश ने प्रदेश में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन द्वारा जारी किए गए इस आदेश के बाद प्रदेश के विद्युत निगमों में तैनात लगभग 4000 कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। इस निर्णय के पीछे विभागीय अधिकारियों का तर्क है कि विद्युत उपकेंद्रों का संचालन और विद्युत लाइनों का मेंटेनेंस जोखिम युक्त और संवेदनशील कार्य है, जिसके लिए कर्मचारियों की शारीरिक क्षमता और स्वास्थ्य महत्वपूर्ण हैं।

आदेश का उद्देश और विभागीय तर्क

मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक भवानी सिंह खंगारोत द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार, 55 वर्ष से ऊपर के संविदा कर्मियों को उपकेंद्रों और विद्युत लाइनों के मेंटेनेंस कार्यों से हटा दिया जाएगा। विभाग का तर्क यह है कि इस आयु के बाद कर्मचारियों की शारीरिक क्षमता कम हो जाती है, जिससे दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ सकता है। 

इसके अलावा, विभाग का मानना है कि ऐसे कर्मचारियों के साथ अगर कोई दुर्घटना होती है, तो उनकी क्षतिपूर्ति का प्रबंधन भी मुश्किल हो सकता है। यही कारण है कि विभाग ने 55 वर्ष से ऊपर के कर्मचारियों को हटाने का फैसला लिया है और साथ ही इसके लिए संबंधित अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराने की चेतावनी दी है।

संविदा कर्मचारियों की स्थिति और विरोध

इस आदेश के खिलाफ संविदा कर्मचारियों और उनके प्रतिनिधियों की ओर से कड़ा विरोध सामने आ रहा है। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेंद्र कुमार पांडेय ने इसे तानाशाही वाला निर्णय बताया है। उनका कहना है कि इस आदेश से संविदा कर्मचारियों के भविष्य पर गहरा संकट आ गया है, क्योंकि वे पहले ही बेहद कम वेतन पर काम कर रहे हैं। 

इस उम्र में उन पर काम का दबाव और नौकरी का अस्थिरता, उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है। पांडेय का यह भी कहना है कि ऐसे आदेश कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन हैं और इस आदेश को वापस लिया जाना चाहिए।

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