बिहार में अब इंजीनियरों पर गिरेगी गाज, आदेश जारी

पटना: बिहार सरकार ने पंचायत भवनों के निर्माण में हो रही देरी को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। भवन निर्माण सचिव कुमार रवि ने आदेश जारी किया है कि राज्य के आठ हजार पंचायतों में बनने वाले पंचायत सरकार भवनों के निर्माण में कोई भी देरी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। 

उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि जिन प्रमंडलों में फरवरी के अंत तक पंचायत भवनों के निर्माण की निविदा का निपटारा नहीं होगा, वहां के इंजीनियरों को अयोग्य मान लिया जाएगा। इस आदेश के पीछे सरकार की यह मंशा है कि पंचायत भवनों के निर्माण कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए, ताकि विकास की योजनाओं का लाभ जल्दी से जनता तक पहुँच सके।

पंचायत भवनों की महत्वता और लक्ष्य

पंचायत भवनों का निर्माण ग्राम पंचायतों को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ये भवन ग्रामीण प्रशासन को बेहतर तरीके से संचालित करने, स्थानीय समस्याओं के समाधान, और ग्राम सभा की बैठकों के आयोजन के लिए जरूरी हैं। इसके अलावा, पंचायत भवनों के निर्माण से ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन भी तेज होगा, जिससे ग्रामीणों को बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी।

बिहार सरकार का लक्ष्य मार्च 2025 तक सभी पंचायत भवनों का निर्माण प्लींथ स्तर तक सुनिश्चित करना है। यह समय सीमा इस बात का संकेत है कि सरकार पंचायत भवनों के निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही या देरी को बिल्कुल स्वीकार नहीं करेगी।

इंजीनियरों पर गाज गिरने का कारण

इस आदेश में सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करने वाली बात यह है कि जिन प्रमंडलों में पंचायत भवनों के निर्माण की निविदाओं का निपटारा समय से नहीं होगा, वहां के इंजीनियरों को अयोग्य माना जाएगा। इसका मतलब यह है कि अगर कोई इंजीनियर अपने दायित्वों को समय से पूरा नहीं करता और परियोजना में देरी करता है, तो उसे उसके कार्य से हटा दिया जाएगा। यह फैसला सरकार की सख्त और जिम्मेदारीपूर्ण नीति को दर्शाता है, जिसमें विकास कार्यों में देरी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकेत है।

अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक में चर्चा

हाल ही में भवन निर्माण सचिव कुमार रवि ने अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की थी, जिसमें पंचायत भवनों के निर्माण कार्य की समीक्षा की गई। बैठक में उन्होंने परियोजना की प्रगति और विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की, साथ ही निर्देश दिए कि सभी जिम्मेदार अधिकारी और इंजीनियर समय सीमा का पालन करें। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी प्रमंडल में अगर निविदा प्रक्रिया में देरी होती है, तो इसका परिणाम केवल इंजीनियरों और अधिकारियों के लिए नकारात्मक हो सकता है।

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