अमेरिका-चीन का व्यापार युद्ध, ट्रंप का बड़ा कदम!

न्यूज डेस्क: 1 फरवरी 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक ऐसे आदेश पर हस्ताक्षर करने की योजना बनाई, जिसके तहत अमेरिका में आयातित सामानों पर भारी टैरिफ लगाए जाएंगे। इस फैसले से व्यापार जगत में हलचल मच गई है, क्योंकि इससे न केवल अमेरिका के व्यापारिक साझेदारों के साथ संबंधों में तनाव बढ़ सकता है, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर भी असर पड़ सकता है।

टैरिफ का विवरण और उद्देश्यों का विश्लेषण:

राष्ट्रपति ट्रम्प ने यह निर्णय लिया है कि अमेरिका में आने वाले सामानों पर 25% का टैरिफ लगाया जाएगा, जो मुख्य रूप से मैक्सिको और कनाडा से आयातित उत्पादों पर लागू होगा। इसके अलावा, चीन से आयात होने वाले सामानों पर 10% शुल्क लगाया जाएगा। इस कदम का मुख्य उद्देश्य चीन से आने वाले फेंटेनाइल और अन्य अवैध रसायनों की आपूर्ति पर कड़ी रोक लगाना और अमेरिका में अवैध आप्रवास को रोकने के लिए दबाव डालना है।

ट्रम्प प्रशासन के अनुसार, अमेरिका के व्यापारिक साझेदारों—कनाडा और मैक्सिको—को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे चीन से अमेरिका में अवैध रसायनों और आप्रवासियों की घुसपैठ को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएं। ट्रम्प ने एक कड़ा संदेश दिया कि 1 फरवरी तक, इन देशों को चीन के माध्यम से होने वाले अवैध प्रवाह को रोकने के लिए ठोस कार्रवाई करनी होगी, या अन्यथा भारी शुल्क लागू किया जाएगा।

चीन से आयात पर प्रभाव:

चीन से आयात पर 10% का शुल्क, जो पहले से ट्रम्प प्रशासन के तहत लागू था, अब फिर से लागू किया जाएगा। इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ सकता है, क्योंकि चीन से आयातित सामानों की कीमतें बढ़ सकती हैं। इसके अतिरिक्त, चीन से फेंटेनाइल और अन्य अवैध रसायनों की आपूर्ति पर नियंत्रण के लिए यह कदम उठाया गया है। हालांकि, चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों में इस तरह के कठोर उपाय से तनाव और बढ़ सकता है, जो पहले ही दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध के कारण तनावपूर्ण हैं।

कनाडा और मैक्सिको पर असर:

कनाडा और मैक्सिको, जो अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदार हैं, पर इस फैसले का गहरा प्रभाव पड़ेगा। कनाडा से तेल और प्राकृतिक गैस के आयात पर ट्रम्प ने संकेत दिया है कि 10% शुल्क लगाया जाएगा, जबकि अन्य कनाडाई उत्पादों पर 25% का टैरिफ लागू हो सकता है। इससे न केवल दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है, बल्कि यह अमेरिका में ऊर्जा कीमतों को भी प्रभावित कर सकता है। तेल और गैस पर टैरिफ की संभावना ने पहले ही वैश्विक तेल बाजारों में हलचल मचा दी है, जिससे तेल की कीमतों में वृद्धि देखी जा रही है।

वैश्विक व्यापार पर प्रभाव:

इस फैसले से वैश्विक व्यापार पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है। 2.1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक मूल्य का व्यापार, जो अमेरिका के मुख्य व्यापारिक साझेदारों से आता है, इस फैसले से प्रभावित हो सकता है। यह कदम वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में खलल डाल सकता है, क्योंकि कंपनियां नए शुल्कों और व्यापारिक तनावों को देखते हुए अपनी रणनीतियों को पुनः मूल्यांकित करने पर मजबूर हो सकती हैं।

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