चीन और भारत का रक्षा बजट, जानें कितना अंतर?

नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े देशों में से दो, भारत और चीन, दोनों ने अपने रक्षा बजट में महत्वपूर्ण वृद्धि की है। हालांकि इन दोनों देशों के रक्षा खर्च में वृद्धि के कारण अलग-अलग हैं, फिर भी यह स्पष्ट है कि इन देशों की रक्षा रणनीतियां और प्राथमिकताएँ अपने-अपने सुरक्षा परिवेश के हिसाब से बहुत अलग हैं।

चीन का रक्षा बजट

चीन, जो पहले से ही अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने पर जोर दे रहा है, ने पिछले कुछ वर्षों में अपने रक्षा बजट में निरंतर वृद्धि की है। 2023 में चीन का रक्षा बजट लगभग 296 अरब डॉलर था, जो वैश्विक रक्षा खर्च का 13% है। वहीं, चीन ने साल 2024 के लिए अपने रक्षा बजट को 7.2 फीसदी बढ़ाया था।

मुख्य विशेषताएँ:

1 .सैन्य खर्च का हिस्सा: चीन अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 1.7% से 2% रक्षा पर खर्च करता है।

2 .तकनीकी उन्नति पर जोर: चीन के रक्षा खर्च का प्रमुख हिस्सा समुद्री शक्ति, हाइपरसोनिक मिसाइलों, साइबर युद्ध और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)-आधारित हथियार प्रणालियों पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों से प्रतिस्पर्धा करना और अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाना है।

3 .सामरिक विस्तार: चीन ने दक्षिण चीन सागर और ताइवान के आसपास अपने सैन्य प्रभाव का विस्तार करने के लिए बजट में वृद्धि की है। इसके अलावा, चीन का ध्यान आधुनिक प्रौद्योगिकी और स्वदेशी सैन्य उत्पादन पर भी है, जिससे वह भविष्य की सैन्य चुनौतियों का सामना कर सके।

भारत का रक्षा बजट

भारत, जो दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रक्षा बजट रखने वाला देश है, अपनी सुरक्षा नीति को मुख्य रूप से चीन और पाकिस्तान से उत्पन्न खतरों पर केंद्रित करता है। 2023 में भारत का रक्षा बजट 78 अरब डॉलर था, जो वैश्विक रक्षा खर्च का 4% है। वहीं, केंद्रीय बजट 2025 में भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए 6.8 लाख करोड़ रुपये के बजट का ऐलान किया गया है।

मुख्य विशेषताएँ:

सैन्य खर्च का हिस्सा: भारत अपने GDP का लगभग 2% से 2.5% रक्षा पर खर्च करता है, जो देश के व्यापक सुरक्षा और सैन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।

सैन्य आधुनिकीकरण: भारत का रक्षा बजट मुख्य रूप से थलसेना, वायुसेना, और नौसेना के आधुनिकीकरण पर खर्च किया जाता है। इसमें अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों और स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया गया है। 2023 के बजट में स्वदेशी रक्षा उपकरणों की खरीद को प्राथमिकता दी गई है।

सुरक्षा चिंताएँ: भारत का रक्षा बजट बढ़ाने का प्रमुख कारण चीन के साथ LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर तनाव और पाकिस्तान के साथ LOC (लाइन ऑफ कंट्रोल) पर जारी तनाव है। इन दोनों देशों से उत्पन्न होने वाले सैन्य खतरों का सामना करने के लिए भारत को अपनी सैन्य तैयारियों को और बेहतर करना पड़ रहा है।

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