क्यों ज़्यादा ख़तरनाक है कोरोना वायरस -रिसर्च में हुआ खुलासा

न्यूज डेस्क: कोविड 19 के वायरस पर यूनिवर्सिटी की ताज़ा रिसर्च के अनुसार कोविड 19 के लक्षण और फ्लू (इंफ्लूएंज़ा) के लक्षण लगभग एक समान दिखते हैं लेकिन दोनों से लड़ने की शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता एक समान नहीं है. हालांकि दोनों की तुलना करने का एक कारण ये भी है कि कोरोना दिसंबर से फैलना शुरु हुआ था जो फ्लू के फैलने का भी वक्त होता है.
लेकिन इंफ्लूएंज़ा अमूमन हर साल सर्दी के दिनों में होता है और अधिकतर लोगों शरीर कुछ हद तक इससे लड़ना सीख भी जाता है और उसकी रोग प्रतिरोधक शक्ति इससे निपटने के लिए एक तरह से तैयार होती है.

लेकिन कोविड 19 का मामला इससे अलग है. चूंकि ये नया वायरस है फिलहाल किसी भी इंसान के शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति इससे निपटने के लिए तैयार नहीं हैं.

यूनिवर्सिटी के अनुसार मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का इस वायरस के लिए तैयार न होना वायरस को अधिक ख़तरनाक बना देता है. यही कारण है कि सरकारों को इस वायरस को बढ़ने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाने पड़ रहे हैं.

वायरस के जीनोम पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि एक तरफ़ जहां इंफ्लूएंज़ा का वायरस खुद को बदल लेता है यानी म्यूटेट कर लेता है, वहीं अब तक इस तरह के सबूत नहीं मिले हैं जिनसे पता चलता हो कि कोरोना वायरस भी खुद को बदल लेता हो.

वायरस का कहर कितना घातक होगा ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि वो कितनी जल्दी म्यूटेट करता है.जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक इस वायरस के टीके पर भी काम कर रहे हैं और उनका कहना है कि अभी इसमें देढ़ साल या उससे अधिक का वक्त लग सकता है. इस वायरस का टीका बना रहे वैज्ञानिकों से सामने फिलहाल ये सबसे बड़ी चुनौती है.

इस मुश्किल से निपटने के लिए वैज्ञानिक वायरस के कुछ ख़ास प्रोटीन पर काम कर रहे हैं ताकि अगर वायरस म्यूटेट कर भी जाता है तो टीका नाकाम न हो. 

0 comments:

Post a Comment