न्यूज डेस्क: कोरोना महामारी से चीन में तीन हजार से ज्यादा लोगों की जान ही नहीं गई बल्कि इसने चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और उसके चेयरमैन राष्ट्रपति शी चिनफिंग की प्रतिष्ठा को भी काफी नुकसान पहुंचाया है। कोरोना के कारण पूरी दुनिया में रहने वाले लोग चीन को गाली दें रहें हैं।
अब पार्टी की प्रचार मशीनरी इससे हुए नुकसान की भरपाई में लग गई है। खास बात यह है कि इसके लिए वह फेसबुक और ट्विटर जैसे माध्यमों का उपयोग कर रही है, जो चीन में प्रतिबंधित हैं।
कैनबरा स्थित एक गैर लाभकारी रिसर्च आर्गेनाइजेशन 'चाइना पॉलिसी सेंटर' के निदेशक एडम नी ने बताया कि महामारी से ठीक तरह से निपट नहीं पाने के चलते चिनफिंग की छवि धूमिल हुई है। पिछले बारह महीनों के दौरान चिनफिंग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, इसमें धीमी अर्थव्यवस्था सहित हांगकांग और अमेरिका-चीन संबंध जैसे मुद्दे शामिल हैं। अभी तक तो चीन का मीडिया बिना सोचे-समझे चिनफिंग और कम्युनिस्ट पार्टी के पक्ष में खड़ा होता रहा है, लेकिन इस महामारी के बाद उस पर भी दबाव बढ़ा है।
माओत्से तुंग के समय इसे जुबानी युद्ध कहा जाता था, लेकिन आज के दौर में यह पश्चिमी मीडिया प्लेटफार्म पर लड़ा जा रहा है। इसीलिए पश्चिमी देशों के मीडिया प्लेटफार्म पर चल रही खबरों से निपटने के लिए चीनी राजनयिक, मंत्री और सरकारी विभाग के प्रवक्ता हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। महामारी के नियंत्रण में चीन की भूमिका से जुड़े कई पोस्ट और लेखों के लिए ये लोग फेसबुक और ट्विटर का व्यापक रूप से उपयोग कर रहे हैं। इसके पीछे का एकमात्र उद्देश्य यह है कि वुहान में कोरोना के प्रकोप के लिए किसी दूसरे पर दोष मढ़ा जा सके। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिजियन झाओ ने ट्वीट कर महामारी फैलने को अमेरिकी साजिश बताया था।
0 comments:
Post a Comment