शुभांशु शुक्ला का जन्म और कैरियर
शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर, 1985 को लखनऊ में हुआ था। उनके करियर की शुरुआत भारतीय वायु सेना से हुई, जहां जून 2006 में वह एक फाइटर पायलट के रूप में शामिल हुए। उन्होंने अपनी उड़ान क्षमता को कई विमानों पर साबित किया है, जैसे Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier और An-32। 2,000 घंटे से अधिक उड़ान भरने का उनका अनुभव इसे प्रमाणित करता है कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। मार्च 2024 में उन्हें वायुसेना में ग्रुप कैप्टन के रूप में पदोन्नति मिली।
अंतरिक्ष मिशन की ट्रेनिंग और एक नई यात्रा
शुभांशु शुक्ला ने 2019 में रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग ली थी। इसके बाद उनका चयन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के गगनयान मिशन के लिए भी हुआ। अब, वह नासा और एक्सिओम स्पेस के सहयोग से आईएसएस पर जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनेंगे।
अंतरिक्ष यात्रा में भारतीय संस्कृति और योग
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगी, बल्कि वह इस यात्रा को एक सांस्कृतिक यात्रा के रूप में भी देख रहे हैं। वह अपने साथ भारतीय संस्कृति की कुछ वस्तुएं ले जाने की योजना बना रहे हैं ताकि अंतरिक्ष में भी भारतीयता की एक झलक हो सके। इसके अलावा, वह कक्षीय प्रयोगशाला में योग आसन करने का भी इरादा रखते हैं। यह कदम अंतरिक्ष में भारतीयता और शारीरिक व मानसिक संतुलन को बनाए रखने के महत्व को उजागर करेगा।
आईएसएस की यात्रा और भारत का प्रतिनिधित्व
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर भारतीय वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष यात्रियों का होना एक बड़ी उपलब्धि है, और इस यात्रा के दौरान शुभांशु शुक्ला अपने अनुभव को देशवासियों के साथ साझा करेंगे। वह अपनी यात्रा की तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड करके भारत में बैठे लोगों को इस अद्भुत अनुभव का हिस्सा बनाएंगे। उनका यह कदम देश के लोगों को अंतरिक्ष यात्रा के प्रति प्रेरित करेगा और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को और मजबूती प्रदान करेगा।
नासा और इसरो का संयुक्त प्रयास
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा नासा और इसरो के संयुक्त प्रयास का परिणाम है। यह मिशन भारत और अमेरिका के बीच सहयोग का प्रतीक है और भविष्य में और अधिक संयुक्त अंतरिक्ष अभियानों का रास्ता खोल सकता है। शुभांशु शुक्ला का कहना है कि वह माइक्रोग्रैविटी (न्यून गुरुत्वाकर्षण) का अनुभव करने और अंतरिक्ष में खुद को स्वतंत्र रूप से उड़ते हुए देखने के लिए बेहद उत्साहित हैं।
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