बिहार में प्राइवेट के छात्रों से आगे निकले सरकारी के बच्चे

पटना: बिहार में शिक्षा की स्थिति में सुधार की गति पर एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें सरकारी और निजी स्कूलों के बच्चों के प्रदर्शन के बारे में अहम जानकारी दी गई है। यह रिपोर्ट, एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER), मंगलवार को राज्यवार जारी की गई है, जिसमें यह सामने आया कि सरकारी स्कूलों के बच्चों की स्थिति में सुधराव हो रहा है, जबकि निजी स्कूलों के बच्चों का प्रदर्शन पिछले कुछ सालों में और भी कमजोर हुआ है।

पढ़ाई के मामले में सरकारी स्कूलों में सुधार

पढ़ाई के संदर्भ में सरकारी स्कूलों के बच्चों का प्रदर्शन सुधर रहा है। 2014 में कक्षा दो के हिंदी की पुस्तक को कक्षा तीन के बच्चे सिर्फ 15.6 प्रतिशत ही पढ़ पा रहे थे, जबकि 2024 में यह संख्या बढ़कर 20.1 प्रतिशत हो गई है। वहीं, प्राइवेट स्कूलों के बच्चों का प्रदर्शन इससे विपरीत दिशा में बढ़ा है। 2014 में कक्षा दो की हिंदी पुस्तक को कक्षा तीन के 66.1 प्रतिशत बच्चे पढ़ पाते थे, लेकिन अब यह आंकड़ा घटकर 50.2 प्रतिशत हो गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के सरकारी स्कूलों के बच्चों में सुधार की गति स्पष्ट रूप से दिख रही है।

गणित में भी सरकारी स्कूलों के बच्चे बेहतर

गणित को समझने के मामले में भी सरकारी स्कूलों के बच्चों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। 2014 में कक्षा तीन के सरकारी स्कूलों के सिर्फ 17.2 प्रतिशत बच्चे ही घटाव जैसे सरल गणितीय प्रश्न हल कर पा रहे थे, जबकि 2024 में यह संख्या बढ़कर 27.6 प्रतिशत हो गई है। इसके विपरीत, निजी स्कूलों के बच्चों का प्रदर्शन बहुत कम बढ़ा है। 2014 में जहां 43.4 प्रतिशत बच्चे ही घटाव को हल कर पा रहे थे, वही यह संख्या 2024 में बढ़कर 47.5 प्रतिशत ही हो पाई है।

कक्षा पांच और आठ के स्तर पर प्रदर्शन

कक्षा पांच और आठ के बच्चों के प्रदर्शन में भी अंतर देखा गया। 2014 में सरकारी स्कूलों में कक्षा पांच के 44.6 प्रतिशत बच्चे और निजी स्कूलों में 87.8 प्रतिशत बच्चे ही कक्षा दो की किताब पढ़ पाते थे। वहीं, 2024 में यह आंकड़ा क्रमशः 41.2 प्रतिशत और 66.2 प्रतिशत रह गया है। कक्षा आठ के बच्चों के लिए भाग से संबंधित गणित के सवाल हल करने में सरकारी स्कूलों के 41.9 प्रतिशत बच्चे और निजी स्कूलों के 55.8 प्रतिशत बच्चे सफल हुए हैं।

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