निर्माण क्षेत्र के आधार पर शुल्क:
अब किसी भी प्रकार के निर्माण के लिए परमिट शुल्क भूमि के आकार के आधार पर लिया जाएगा। यह शुल्क इस प्रकार निर्धारित किया गया है: 1 हेक्टेयर तक भूमि पर निर्माण के लिए 10 हजार रुपये, 1 से ढाई हेक्टेयर तक के लिए 20 हजार रुपये, ढाई से पांच हेक्टेयर तक के लिए 30 हजार रुपये, 5 हेक्टेयर से अधिक के लिए 30 हजार रुपये और प्रत्येक अतिरिक्त 5 हेक्टेयर पर 15 हजार रुपये अधिक शुल्क लगेगा।
भवन परमिट शुल्क:
इसके तहत विभिन्न प्रकार के भवन निर्माण के लिए प्रति वर्ग मीटर शुल्क भी तय किया गया है: वाणिज्यिक, शापिंग मॉल, सिनेमा हॉल, मल्टीप्लेक्स, शापिंग कांप्लेक्स आदि के निर्माण पर 30 रुपये प्रति वर्ग मीटर, समूह आवासीय निर्माण पर 15 रुपये प्रति वर्ग मीटर, आवासीय या अन्य उपयोग के लिए 5 रुपये प्रति वर्ग मीटर। साथ ही, यदि किसी भवन का दोबारा निर्माण किया जाता है या उसमें अतिरिक्त निर्माण किया जाता है, तो उस पर नए भवन निर्माण के बराबर शुल्क लिया जाएगा।
निरीक्षण शुल्क:
निर्माण कार्यों के निरीक्षण के लिए भी लोगों से शुल्क लिया जाएगा, जो इस प्रकार होगा: 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर सामान्य निरीक्षण शुल्क, 20 रुपये प्रति वर्ग मीटर बहुमंजिला या फर्शीय क्षेत्रफल के हिसाब से निरीक्षण शुल्क लिया जायेगा।
विकास और इंपैक्ट शुल्क:
इसके अलावा, यूपी में अब सार्वजनिक और अर्द्ध सार्वजनिक सुविधाएं विकसित करने पर इंपैक्ट शुल्क भी लिया जाएगा। यह शुल्क विभिन्न क्षेत्रों पर आधारित होगा, जिनका निर्धारण इस प्रकार किया गया है: सार्वजनिक और अर्द्ध सार्वजनिक सुविधाएं पर 0.25, आवासीय और गांव की आबादी में निर्माण पर 0.25, यातायात और परिवहन पर 0.30, औद्योगिक निर्माण पर 0.40, आवासीय निर्माण पर 0.50, कार्यालय निर्माण पर 1.00, वाणिज्यिक निर्माण पर 1.50.
इन शुल्कों का निर्धारण एक निर्धारित फार्मूले के तहत किया जाएगा, जिससे संबंधित क्षेत्र में विकास कार्यों का सही हिसाब किताब रखा जाएगा। इस नई नियमावली से निर्माण प्रक्रिया को व्यवस्थित करने में मदद मिलेगी, और सरकारी खजाने में वृद्धि होगी
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