बता दें की उत्तर प्रदेश में स्टांप ड्यूटी बचाने के लिए कुछ लोग संपत्ति की रजिस्ट्री में गलत जानकारी देने का प्रयास करते हैं, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान होता है। इसी संदर्भ में स्टांप राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने हाल ही में एक बयान जारी किया है, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलावों और जांच प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी दी गई।
सड़क की चौड़ाई में गड़बड़ी
रवीन्द्र जायसवाल के मुताबिक, राजधानी लखनऊ में ही 100 से अधिक मामलों में यह देखा गया है कि संपत्ति की रजिस्ट्री करते समय सड़क की वास्तविक चौड़ाई के बजाय कम चौड़ाई दिखाई गई है। इसका मुख्य कारण यह होता है कि सड़क की चौड़ाई कम होने पर सर्किल रेट (Circle Rate) भी घट जाता है, जिसके परिणामस्वरूप स्टांप ड्यूटी कम बनती है और सरकार को राजस्व का नुकसान होता है। ऐसे मामलों में जांच की जाएगी, और यह आदेश दिए गए हैं कि इस प्रकार के मामलों की जांच विभाग के एआईजी और डीआईजी द्वारा की जाए।
आयकर से बचने की कोशिश
इसके साथ ही कुछ क्रेता संपत्ति की वास्तविक कीमत से कम कीमत पर रजिस्ट्री कराते हैं, ताकि आयकर से बचा जा सके। यानी, अगर कोई संपत्ति मूल्य के हिसाब से महंगी है, तो उसे 30 लाख रुपये से कम कीमत पर रजिस्ट्री कराने की कोशिश की जाती है। इस तरह के मामलों में बाद में सर्किल रेट के हिसाब से स्टांप ड्यूटी का भुगतान किया जा सकता है, जिससे सरकार को नुकसान नहीं होता, लेकिन आयकर की बचत करने की कोशिश साफ दिखाई देती है। ऐसे मामलों में भी जांच की जाएगी।
सरकार आगे की कार्रवाई करेगी
राज्य सरकार ने ऐसे मामलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की योजना बनाई है। विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि इन मामलों की सही तरीके से जांच करें और जो लोग स्टांप ड्यूटी या आयकर बचाने के लिए गलत जानकारी दे रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाए जाएं। यह कदम स्टांप ड्यूटी के रूप में सरकार के राजस्व में वृद्धि करने के साथ-साथ सही जानकारी प्राप्त करने में भी मदद करेगा।
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