भारत GDP का 2.7% शिक्षा पर खर्च, चीन-अमेरिका का जानें!

न्यूज डेस्क: भारत में शिक्षा पर खर्च पिछले कुछ वर्षों में जीडीपी का 2.7% से लेकर 2.9% तक स्थिर रहा है, जो कि राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) का मानना है कि इस खर्च में तत्काल वृद्धि की आवश्यकता है, ताकि वैश्विक मानकों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने में भारत सक्षम हो सके। 

विशेष रूप से इस समय जब शिक्षा को एक समृद्ध राष्ट्र के निर्माण के लिए एक प्रमुख कारक माना जाता है, तब निवेश में वृद्धि भारतीय शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धात्मकता को सुधारने के लिए अनिवार्य हो गई है। ऐसे में भारत को अपनी शिक्षा पर खर्च बढ़ाने की जरूरत हैं।

वैश्विक स्तर पर शिक्षा पर खर्च

भारत के शिक्षा बजट की तुलना जब अन्य प्रमुख देशों से की जाती है, तो अंतर स्पष्ट रूप से नजर आता है। उदाहरण के लिए, चीन अपने जीडीपी का 4.1% शिक्षा पर खर्च करता है, जबकि अमेरिका अपने जीडीपी का 5% और ब्रिटेन एवं ऑस्ट्रेलिया क्रमशः 5.5% शिक्षा पर खर्च करते हैं। स्वीडन तो इस मामले में सबसे आगे है, जहां जीडीपी का 6.9% हिस्सा शिक्षा के लिए निर्धारित किया गया है।

भारत में शिक्षा पर खर्च की स्थिति

भारत की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने और उसे वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के लिए शिक्षा पर अधिक निवेश की आवश्यकता है। हाल के वर्षों में, भारत सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण पहल की हैं, जैसे कि समग्र शिक्षा योजना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020, और डिजिटल शिक्षा में निवेश। हालांकि, इन कदमों के बावजूद, इन देशों के मुकाबले भारत का शिक्षा बजट अपेक्षाकृत कम है।

निवेश बढ़ाने की आवश्यकता

1 .सरकारी बजट में वृद्धि - सरकार को शिक्षा के लिए बजट को प्राथमिकता देना होगा और इसे GDP के कम से कम 4% तक बढ़ाना होगा।

2 .तकनीकी शिक्षा पर जोर - आज के युग में तकनीकी और विज्ञान आधारित शिक्षा की मांग बढ़ी है। इन क्षेत्रों में निवेश से वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बेहतर स्थिति बन सकती है।

3 .सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के सहयोग - सरकार को निजी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए योजनाएं तैयार करनी होंगी, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में धन का प्रवाह बढ़ सके।

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