नई दिल्ली: Ray Dalio का ग्रेट पावर्स इंडेक्स ने 2024 में हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें अगले 10 वर्षों में विभिन्न देशों की जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत का आर्थिक भविष्य बेहद उज्जवल दिखाई देता है और यह अगले दशक में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा।
भारत की आर्थिक वृद्धि अगले 10 वर्षों में
भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट अगले 10 वर्षों में औसतन 6.3% रहने का अनुमान है। यह आंकड़ा वैश्विक संदर्भ में भारत की अत्यधिक वृद्धि को दर्शाता है। भारत की बढ़ती आबादी, मजबूत उपभोक्ता बाजार, और सुधारात्मक नीतियां देश को लगातार आर्थिक प्रगति की दिशा में ले जा रही हैं। इसका असर यह है कि भारत के मुकाबले अन्य प्रमुख देशों की वृद्धि दर कहीं न कहीं धीमी रहेगी।
चीन और अमेरिका की अपेक्षाकृत धीमी वृद्धि
चीन, जो कि अब तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, अगले 10 साल में केवल 4% की औसत वृद्धि हासिल कर सकेगा। इसके पीछे का कारण चीन की जनसंख्या वृद्धि दर में कमी और अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलावों की आवश्यकता है। वहीं, अमेरिका की वृद्धि दर 1.4% रहने का अनुमान है, जो इसकी अपेक्षाकृत स्थिर और परिपक्व अर्थव्यवस्था को दर्शाता है। हालांकि, अमेरिका अपनी स्थिरता और नवाचार में लगातार सुधार करता रहेगा, लेकिन विकास दर उतनी तेज नहीं होगी जितनी अन्य विकासशील देशों में हो सकती है।
भारत के बाद दूसरे नंबर पर यूएई
भारत के बाद, यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) अगले दशक में तेज़ी से विकास करेगा। यूएई का औसत जीडीपी ग्रोथ रेट 5.5% रहने का अनुमान है। इसका कारण है कि यूएई अपनी अर्थव्यवस्था को तेल के अलावा पर्यटन, वित्तीय सेवाओं, और व्यापार में भी विविधता प्रदान कर रहा है। इसके साथ-साथ यूएई के रणनीतिक निवेश और सरकारी नीतियां इसे क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाए रखेंगी।
अन्य तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाएं
भारत के बाद, अगले 10 वर्षों में इंडोनेशिया, सऊदी अरब, तुर्की, और चीन जैसी अर्थव्यवस्थाएं तेज़ी से बढ़ने वाली हैं। इंडोनेशिया का अनुमानित जीडीपी ग्रोथ रेट 5.5% है, जो इसे विकासशील देशों में तीसरे स्थान पर रखता है। जबकि 4.6% की वृद्धि दर के साथ सऊदी अरब अपनी तेल-आधारित अर्थव्यवस्था से हटकर नॉन-ऑयल सेक्टर में भी निवेश बढ़ा रहा है। जबकि तुर्की की वृद्धि दर 4% रहने का अनुमान है, लेकिन यह भी आर्थिक सुधारों और संरचनात्मक बदलावों के कारण कुछ गति पकड़ सकता है।
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