बिजली निजीकरण के तहत, कर्मचारियों को इस प्रक्रिया के पहले एक साल तक वर्तमान स्थिति में काम करना होगा। इसके बाद, यदि कोई कर्मचारी चाहता है कि उसे अन्य डिस्कॉम में स्थानांतरित किया जाए, तो उसे अगले वर्ष के अंत में इसका अवसर मिलेगा, लेकिन यह केवल एक-तिहाई कर्मचारियों को ही मिलेगा। बाकी दो-तिहाई कर्मचारियों को अगले दो सालों तक अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए इंतजार करना होगा, जब तक उन्हें निजी कंपनी से बाहर जाने का अवसर नहीं मिलता।
निजी कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों की नौकरी तब तक सुरक्षित रहेगी, जब तक उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं होती। इस संबंध में एक अन्य महत्वपूर्ण विकल्प है - स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस)। वीआरएस का विकल्प कर्मचारियों के लिए एक वर्ष बाद लागू होगा, ताकि वे स्वेच्छा से सेवाएं समाप्त करने का निर्णय ले सकें।
इस निर्णय का उद्देश्य बिजली वितरण प्रणाली को अधिक दक्ष और पारदर्शी बनाना है, लेकिन यह कर्मचारियों के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न कर सकता है। अब तक, सरकारी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए यह बदलाव विभिन्न प्रकार की अनिश्चितताएं और विकल्प लेकर आया है।
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