वहीं, बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस बारे में नया लक्ष्य निर्धारित कर दिया है, जिससे भूमि सुधार की दिशा में और तेजी से काम किया जा सके। इस कदम से भूमि विवादों के समाधान में मदद मिलेगी और जमीनों के अवैध कब्जे पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा।
जमीन सर्वे की महत्वता:
बिहार में कृषि भूमि और भूमि से संबंधित कई समस्याएं हैं, जिनका समाधान पारदर्शी और वैज्ञानिक तरीके से किया जा सकता है। जमीन सर्वे के तहत किसानों की ज़मीन का सही रिकॉर्ड तैयार किया जाता है, ताकि भूमि मालिकों के अधिकार स्पष्ट हो सकें। इस सर्वे का उद्देश्य जमीन के वास्तविक मालिक को पहचानना, भूमि कब्जे की स्थिति को सही करना, और सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्तियों तक पहुंचाना है।
समय सीमा का विस्तार:
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने बिहार में जमीन सर्वे के लिए जो नया लक्ष्य निर्धारित किया है, उसके तहत सर्वे की प्रक्रिया को अब जुलाई 2026 तक पूरा किया जाएगा। इस कदम से विभाग को अधिक समय मिलेगा ताकि भूमि की सटीक जानकारी प्राप्त की जा सके और सही मालिक का निर्धारण किया जा सके। सर्वे की प्रक्रिया के दौरान ग्रामीण इलाकों में भूमि विवादों को सुलझाने में भी मदद मिलेगी और सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज भूमि संबंधी जानकारी में सुधार होगा।
आधार लिंकिंग की शुरुआत:
बिहार सरकार ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए जमाबंदी के साथ आधार लिंकिंग की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है। इससे प्रत्येक जमीन मालिक का आधार नंबर संबंधित जमाबंदी से जोड़ा जाएगा। यह पहल बेनामी जमीनों को पकड़ने में सहायक होगी, जिससे उन जमीनों की पहचान हो सकेगी जो अवैध रूप से किसी के नाम पर दर्ज की गई हैं।
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