खबर के अनुसार बिहार में खतियान की वर्तमान व्यवस्था में कई ऐसे उदाहरण हैं जहां एक ही जमीन की दो जमाबंदी कायम है। यह कोई तकनीकी भूल नहीं बल्कि कर्मचारी और जमीन बेचने वाले दलालों की मिलीभगत से होने वाला फर्जीवाड़ा है।
बता दें की बिहार में जमीन बेचने के बाद भी खतियान से पुराने मालिक का नाम नहीं हटता है। लंबे समय के बाद उसकी दूसरी पीढ़ी खतियान को मिलाती है तो वह जमीन भी उसके नाम पर ही दिखती है जिसे उनके पुरखे बेच चुके हैं।
आपको बता दें की इस जगह से ही जमीन बेचने वाले दलाल फर्जीवाड़ा करता हैं। वो उस नाम पर कर्मचारी से मिलीभगत कर नया जमाबंदी खोल लेता है और उसे दाबारा बेच देता है। उसके बाद नये मालिक कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाते रहते हैं। इसलिए बिहार में जमीन खरीदने के दौरान इस बात का ख्याल जरूर रखें।
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