विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने अधिकारियों के साथ बैठक में इस बारे में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस निर्णय के तहत, अगर मापी फीस जमा नहीं की जाती है, तो आवेदन रद्द कर दिया जाएगा। इसके साथ ही रैयतों को मापी फीस के बारे में जागरूक करने की योजना बनाई गई है। रैयत अब रेवेन्यू कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
पहले सरकारी जमीन, कोर्ट से पारित आदेश, विधि व्यवस्था और लोक शिकायत निवारण से जुड़े मामलों में मापी के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं थे, लेकिन अब ई-मापी पोर्टल में इन चारों मामलों को जोड़ दिया जाएगा, जिससे रैयतों को अपनी जमीन मापी की ऑथेंटिक (असली) कॉपी आसानी से मिल सकेगी। इसके लिए प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि परिमार्जन में सुधार के बाद ही जमीनों की जमाबंदी (रजिस्ट्रेशन) की जाएगी। विभाग ने "परिमार्जन प्लस" पोर्टल के जरिए जमाबंदी सुधारने की प्रक्रिया शुरू की है, जिसमें उन जमाबंदियों का डिजिटाइजेशन भी किया जाएगा, जो पहले छूट गई थीं। बिहार में एक अमीन प्रतिदिन औसतन तीन मापी करेगा, हालांकि यह निर्णय सिर्फ रैयती भूमि से संबंधित मामलों के लिए है, सरकारी जमीन की मापी इस प्रक्रिया में शामिल नहीं है।
0 comments:
Post a Comment