खबर के अनुसार अरिघात को 2017 में लॉन्च किया गया था, और इसका अपग्रेडेड वर्जन जल्द ही कमीशन किए जाने की योजना है। अरिघात की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह 3500 किलोमीटर की रेंज वाली K-4 मिसाइलों से लैस है, जो इसे लंबी दूरी तक दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम बनाती है।
'K-4' मिसाइल की ताकत।
लंबी रेंज (3500 किलोमीटर): K-4 मिसाइल की रेंज 3500 किलोमीटर तक होती है, जिससे यह भारत के समुद्र के भीतर स्थित न्यूक्लियर पावर सबमरीन से दुश्मन के विभिन्न ठिकानों को प्रभावी तरीके से निशाना बना सकती है। यह लंबी रेंज भारत को अधिक रणनीतिक स्थिति में लाती है, जिससे समुद्र में स्थित भारतीय नौसेना को किसी भी जगह पर हमला करने की क्षमता मिलती है।
पारमाणिक हथियारों से लैस: K-4 मिसाइल परमाणु वारहेड को ले जाने में सक्षम है। इसका मतलब है कि यह भारत की परमाणु निरोध नीति का एक अहम हिस्सा बनकर दुश्मनों के खिलाफ भारी दबाव बनाने की क्षमता रखती है। इसकी परमाणु क्षमता भारत को एक मजबूत समुद्र-आधारित ताकत प्रदान करती है।
समुद्र-आधारित प्लेटफॉर्म पर लॉन्च: K-4 मिसाइल को एक न्यूक्लियर-प्रोपेल्ड सबमरीन से लॉन्च किया जा सकता है, जैसे कि अरिघात। समुद्र से लॉन्च करने के कारण यह दुश्मन के लिए एक चुनौती बन जाती है, क्योंकि यह उपग्रहों या किसी अन्य तकनीकी साधन से आसानी से ट्रैक नहीं की जा सकती है। यह मिसाइल भारत को एक छिपी हुई परमाणु ताकत देती है।
सटीकता और विश्वसनीयता: K-4 मिसाइल में उन्नत मार्गदर्शन और सटीकता प्रणाली है, जो इसे लक्ष्य पर सटीक रूप से हमला करने में सक्षम बनाती है। इसकी सटीकता यह सुनिश्चित करती है कि मिसाइल अपने लक्ष्य को निशाना बनाए और परमाणु हमले में ज्यादा प्रभावी साबित हो।
सुरक्षित और निर्बाध संचालन: K-4 मिसाइल को एक जल-प्रणाली आधारित प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जाता है, जिससे यह अपने ऑपरेशन के दौरान अधिक सुरक्षित और असरदार रहती है। समुद्र में स्थिति के दौरान, यह मिसाइल अपने लक्ष्य पर पहुंचने में पूरी तरह से स्वतंत्र रहती है, और इसके ट्रैकिंग सिस्टम से यह दुश्मन से बचने के लिए उच्चतम स्तर की छिपी हुई क्षमता प्रदान करती है।
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