नियमानुसार, इन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित किया जाना चाहिए था, लेकिन यह मामला दशकों तक नजरअंदाज किया गया और जिम्मेदार अधिकारियों ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अब, जब इस मामले की शिकायत स्थानीय लोगों द्वारा की गई, तो प्रशासन ने इस पर गंभीरता से जांच शुरू की हैं।
आपको बता दें की तहसील प्रशासन ने राजस्व अभिलेखों की छानबीन के बाद पाया कि इन तीन भूखंडों की कुल कीमत लगभग बीस लाख रुपये है। इसके बाद, जिला प्रशासन ने इन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित करने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है।
शासन से आदेश मिलते ही, इन संपत्तियों की खतौनी से पाकिस्तान के नाम हटा दिए जाएंगे और इन्हें शत्रु संपत्ति के रूप में अधिसूचित किया जाएगा। यह कदम प्रशासन की ओर से एक महत्वपूर्ण एक्शन है, ताकि बंटवारे के समय पाकिस्तान चले गए लोगों की संपत्तियों का सही तरीके से नियमन किया जा सके और वह शत्रु संपत्ति के रूप में सरकारी नियंत्रण में आ सकें।
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