PPP: चीन-1, अमेरिका-2, भारत-3, रूस-4, जापान-5

नई दिल्ली: आज के वैश्विक अर्थव्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में, जब हम अर्थव्यवस्थाओं की ताकत का मूल्यांकन करते हैं, तो अक्सर हम सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का उपयोग करते हैं। हालांकि, क्रय शक्ति समता (PPP) के आधार पर भी देशों की अर्थव्यवस्थाओं का मूल्यांकन किया जाता है, जो वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में उनकी वास्तविक हिस्सेदारी को दर्शाता है। PPP आधार पर, प्रत्येक देश की मुद्राओं की क्रय शक्ति को ध्यान में रखते हुए उनका आर्थिक आकार निर्धारित किया जाता है।

पीपीपी के आधार पर, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था।

1. चीन - 19.29%

चीन, जो आज दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन पीपीपी के हिसाब से पहले स्थान पर है। इसकी वैश्विक अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी 19.29 प्रतिशत है, जो बहुत प्रभावशाली है। चीन का आर्थिक विकास पिछले तीन दशकों में अभूतपूर्व रहा है और अब वह दुनिया की फैक्ट्री के रूप में प्रसिद्ध है। चीन का विशाल घरेलू बाजार, निर्माण क्षेत्र, और निर्यात-निर्माण उद्योग इसकी शक्ति को बनाए रखते हैं। यह अनुमान है कि 2029 तक चीन की हिस्सेदारी और बढ़कर 19.64 प्रतिशत हो सकती है।

2. अमेरिका - 14.84%

अमेरिका, जो GDP के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन पीपीपी के हिसाब से दूसरे स्थान पर है। अमेरिका की वैश्विक अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी 14.84 प्रतिशत है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था का विविधता, नवाचार, और तकनीकी प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान है। अमेरिका का उच्च-तकनीकी क्षेत्र, सेवा क्षेत्र, और वित्तीय बाजार वैश्विक विकास में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। हालांकि, 2029 तक इसकी हिस्सेदारी घटकर 14.26 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो चीन के प्रति बढ़ती प्रतिस्पर्धा को दिखाता है।

3. भारत - 8.49%

भारत, जो आर्थिक दृष्टिकोण से एक उभरती हुई महाशक्ति है, पीपीपी के हिसाब से तीसरे स्थान पर है। भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी 8.49 प्रतिशत है। भारत का विशाल युवा जनसंख्या, उभरता हुआ सेवा क्षेत्र, और बढ़ता हुआ उत्पादन क्षेत्र इसकी अर्थव्यवस्था को संजीवनी दे रहे हैं। भारत की अर्थव्यवस्था में लगातार वृद्धि हो रही है, और 2029 तक इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 9.66 प्रतिशत हो सकती है। इसका अर्थ यह है कि भारत को अगले दशक में आर्थिक महाशक्ति बनने के लिए तैयार देखा जा रहा है।

4. रूस - 3.49%

रूस की वैश्विक अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी 3.49 प्रतिशत है। इसके प्राकृतिक संसाधन, जैसे तेल, गैस, और खनिज, रूस की अर्थव्यवस्था के प्रमुख स्तंभ हैं। हालांकि, रूस का आर्थिक विकास पश्चिमी प्रतिबंधों और आंतरिक चुनौतियों से प्रभावित होता है, फिर भी यह अपनी ऊर्जा संपदा के कारण वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

5. जापान - 3.31%

जापान, जो एक उन्नत और तकनीकी दृष्टिकोण से संपन्न देश है, वैश्विक अर्थव्यवस्था में 3.31 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है। जापान की प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में वैश्विक प्रभुत्व है। हालांकि, जापान की जनसंख्या में गिरावट और कम होती श्रमशक्ति जैसे मुद्दे इसकी आर्थिक वृद्धि को धीमा कर सकते हैं। फिर भी, यह जापान को वैश्विक आर्थिक ताकत बनाए रखने में मदद करता है।

आने वाले वर्षों में क्या बदलाव हो सकते हैं?

आईएमएफ (IMF) के अनुसार, 2029 तक चीन की हिस्सेदारी बढ़कर 19.64 प्रतिशत हो सकती है, जबकि अमेरिका की हिस्सेदारी घटकर 14.26 प्रतिशत रह जाएगी। इस बदलाव को वैश्विक आर्थिक शक्ति संतुलन में महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा सकता है। वहीं, भारत की हिस्सेदारी में वृद्धि का संकेत मिलता है, जिससे यह साबित होता है कि भारत तेजी से उभर रही अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।

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