नई गाइडलाइन का उद्देश्य और दिशा
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा जारी की गई नई गाइडलाइन का मुख्य उद्देश्य बिना ठोस कारणों के अस्वीकृत किए गए दाखिल-खारिज मामलों को शीघ्र और प्रभावी रूप से निष्पादित करना है। विभाग ने भूमि सुधार उप समाहर्ताओं (DCLR) को यह आदेश दिया है कि वे ऐसे मामलों को मेरिट के आधार पर निष्पादित करें और यदि अंचल अधिकारियों द्वारा किसी मामले को अस्वीकार किया गया हो, तो अपील में सुनवाई के दौरान पहली तारीख को ही पुनः सुनवाई का आदेश दें।
आवेदन अस्वीकृति के प्रमुख कारण
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि बड़ी संख्या में दाखिल-खारिज आवेदन दस्तावेजों की कमी, त्रुटियों या अन्य कारणों से अस्वीकृत हो जाते हैं। जैसे कि आवेदन पत्र के साथ सुसंगत दस्तावेजों का न होना, संलग्न दस्तावेजों का अपठनीय होना, गणितीय या लिपिकीय भूल, ऑनलाइन जमाबंदी में त्रुटियाँ, या रकबा घटाने के लिए गलत जानकारी शामिल होना। ये सभी कारण दाखिल-खारिज की प्रक्रिया को धीमा करने के प्रमुख कारक हैं। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, विभाग ने निर्णय लिया है कि इन मामलों की सुनवाई के लिए 30 दिनों के भीतर डीसीएलआर के न्यायालय में अपील का प्रावधान रखा जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि अस्वीकृत मामलों का त्वरित समाधान हो और आम नागरिकों को समय पर न्याय मिल सके।
जिलाधिकारियों की निगरानी का महत्व
इस नई गाइडलाइन में जिलाधिकारियों को विशेष रूप से इस प्रक्रिया की निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है। जिलाधिकारी का यह कार्य सुनिश्चित करेगा कि दाखिल-खारिज मामलों की सुनवाई और निष्पादन में कोई बाधा न आए। जिलाधिकारियों की निगरानी से प्रक्रिया में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ेगी, और किसी भी प्रकार की लापरवाही या भ्रष्टाचार की संभावना को कम किया जा सकेगा। इसके अलावा, इस कदम से यह सुनिश्चित होगा कि राज्य के सभी जिलों में दाखिल-खारिज मामलों का निष्पादन समान और उचित तरीके से हो, जिससे किसी भी नागरिक के अधिकारों का उल्लंघन न हो।
भूमि सुधार उप समाहर्ताओं के लिए निर्देश
नई गाइडलाइन में भूमि सुधार उप समाहर्ताओं को यह निर्देश भी दिया गया है कि वे सभी मामलों का मेरिट पर विचार करें और बिना किसी वजह के किसी आवेदन को अस्वीकार न करें। इसके साथ ही, सभी कर्मचारियों को इस प्रक्रिया में होने वाली समस्याओं और त्रुटियों के प्रति जागरूक करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण देने की बात भी की गई है। इससे संबंधित अधिकारी मामले के समाधान में दक्ष और प्रोफेशनल बन सकेंगे, और सरकारी प्रक्रिया में होने वाली देरी को रोका जा सकेगा।
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