यूपी में मृत लोग ले रहे वृद्धा पेंशन, घर-घर जांच शुरू

लखनऊ, 2 मई:

उत्तर प्रदेश में वृद्धावस्था पेंशन योजना में बड़ा खुलासा हुआ है। राज्य के विभिन्न जिलों में कुछ ऐसे लाभार्थियों को भी पेंशन मिलती रही है, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। मृत व्यक्तियों के नाम पर पेंशन जारी होने से सरकार की योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं। इस गड़बड़ी को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने अब घर-घर जांच अभियान शुरू कर दिया है।

फर्जी और मृत लाभार्थियों की होगी पहचान

राज्य सरकार ने सामाजिक कल्याण विभाग को निर्देश दिया है कि वह सभी पेंशन लाभार्थियों का फिजिकल वेरिफिकेशन करे। इसके तहत ग्राम पंचायतों और शहरी वार्डों में टीमों को भेजा जा रहा है, जो हर लाभार्थी के घर जाकर यह पुष्टि कर रही हैं कि वह जीवित है और वास्तव में पेंशन पाने का पात्र है। इस अभियान का मकसद मृत, अयोग्य और फर्जी लाभार्थियों को पेंशन पोर्टल से हटाना है।

तकनीकी खामियां बनीं गड़बड़ी की वजह

सूत्रों के अनुसार, यह गड़बड़ी लंबे समय से चल रही थी, लेकिन डिजिटल रिकॉर्ड अपडेट न होने के कारण मृत व्यक्तियों के बैंक खातों में लगातार पेंशन ट्रांसफर होती रही। कई मामलों में परिजनों ने मृत्यु की सूचना संबंधित विभाग को नहीं दी, जिससे सिस्टम में लाभार्थी 'सक्रिय' बना रहा।

जिलों को निर्देश: जल्द सौंपें रिपोर्ट

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जल्द जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को भेजी जाए। साथ ही, जिन कर्मचारियों की लापरवाही से यह स्थिति बनी, उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के भी निर्देश दिए गए हैं।

राज्य में पेंशन योजना का दायरा

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के पात्र नागरिकों को ₹1000 प्रतिमाह की पेंशन दी जाती है। इस योजना से लाखों बुजुर्ग लाभान्वित होते हैं, लेकिन फर्जीवाड़े की वजह से वास्तविक जरूरतमंदों को इसका नुकसान उठाना पड़ता है।

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