राज्य अपीलीय प्राधिकार का आदेश
दरअसल, इन शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 2008 में प्रखंड नियोजन इकाई द्वारा की गई थी। तब जिला अपीलीय प्राधिकार ने इनकी बहाली का आदेश दिया था। लेकिन बाद में इस निर्णय के विरुद्ध जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) ने राज्य अपीलीय प्राधिकार, पटना में अपील दायर की। मामले की विस्तृत सुनवाई के बाद राज्य प्राधिकार ने सभी 30 शिक्षकों की नियुक्ति को अवैध एवं नियम विरुद्ध माना और जिला अपीलीय प्राधिकार के पूर्व के आदेश को रद्द कर दिया।
15 दिनों में कार्रवाई का निर्देश
राज्य अपीलीय प्राधिकार के स्पष्ट आदेश के आलोक में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बथनाहा के प्रखंड विकास पदाधिकारी को निर्देशित किया है कि वे 15 दिनों के भीतर इन 30 शिक्षकों की नियुक्ति को नियुक्ति की तिथि से ही रद्द करें और उसका अनुपालन प्रतिवेदन शिक्षा विभाग के स्थापना शाखा में जमा करें। इसके अलावा यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि इन शिक्षकों को अब वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा, क्योंकि उनकी नियुक्ति को ही शून्य घोषित कर दिया गया है।
किन-किन शिक्षकों की नियुक्ति हुई रद्द?
शंभू दास, राम ईश्वर कुमार, अमित कुमार, मंसूर अंसारी, श्याम कुमार, मनीष कुमार, नूतन कुमारी, जय प्रकाश पाण्डेय, मुकेश बैठा, वीरेन्द्र कुमार, रविशंकर कुमार, शैलेन्द्र मोहन, प्रणिता कुमारी, मिली कुमारी, धीरेन्द्र कुमार, दीप्ति कुमारी, रूपा कुमारी, सुनीता कुमारी, शंभू कुमार, संतोष कुमार, प्रकाश कुमार सिंह, सुधीर कुमार गुप्ता, शिवशंकर सिंह, नीतू देवी, सुभाष कुमार, पुष्पांजलि कुमारी, पल्लवी कुमारी, आदित्य सौरभ, सुबोध कुमार, रचना कुमारी।
शिक्षा व्यवस्था पर भी उठे सवाल
इस फैसले ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था और नियोजन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक तरफ वर्षों से कार्यरत शिक्षकों को अचानक अवैध घोषित कर देना न केवल प्रशासनिक अस्थिरता को दर्शाता है, बल्कि इससे बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हो सकती है।
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