ब्रह्मोस-2, ब्रह्मोस मिसाइल का अगला और उन्नत संस्करण है। ब्रह्मोस पहले ही एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के रूप में अपनी ताकत दिखा चुकी है, लेकिन ब्रह्मोस-2 उससे कहीं ज्यादा तेज और घातक होगी। हाइपरसोनिक स्क्रैमजेट तकनीक से लैस यह मिसाइल ध्वनि की गति से छह गुना ज्यादा, यानी मैक 6 की स्पीड से उड़ान भरेगी।
कहीं से भी वार करने में सक्षम
ब्रह्मोस-2 को जमीन, समुद्र और हवा से लॉन्च किया जा सकेगा। इस बहुमुखी लॉन्च क्षमता के चलते यह मिसाइल भारत की रक्षा प्रणाली में रणनीतिक गहराई जोड़ेगी। ऐसे समय में जब वैश्विक तनाव और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियाँ बढ़ रही हैं, ब्रह्मोस-2 जैसे हथियार भारत को एक निर्णायक बढ़त दिला सकते हैं।
वैश्विक रक्षा बाजार में नई पहचान
ब्रह्मोस-2 का विकास केवल सुरक्षा के लिहाज से नहीं, बल्कि भारत की रक्षा निर्यात क्षमता बढ़ाने के लिए भी बेहद अहम है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मिसाइल भारत को वैश्विक हथियार बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बना सकती है।
तकनीक में आत्मनिर्भरता की ओर कदम
आपको बता दें की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत इस प्रोजेक्ट से भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा मिलेगा। यह मिसाइल देश की स्ट्रैटेजिक डिटरेंस कैपेबिलिटी (रणनीतिक प्रतिरोध क्षमता) को और अधिक मज़बूत करेगी।
चीन-पाकिस्तान की बढ़ी चिंता
भारत की इस प्रगति से चीन और पाकिस्तान दोनों की सुरक्षा रणनीतियाँ प्रभावित हो सकती हैं। हाइपरसोनिक हथियारों की स्पीड और सटीकता इतनी ज्यादा होती है कि पारंपरिक एयर डिफेंस सिस्टम उन्हें रोकने में नाकाम साबित हो सकते हैं। यही वजह है कि ब्रह्मोस-2 के निर्माण की हर हलचल पर पड़ोसी देश नजरें गड़ाए हुए हैं।
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