भारत की 'हाइपरसोनिक पावर' से चीन में हड़कंप

नई दिल्ली: भारत का हाइपरसोनिक मिसाइल कार्यक्रम, जिसे "हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल" (HSTDV) जैसे प्रोजेक्ट्स के माध्यम से विकसित किया जा रहा है। यह भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी में एक महत्वपूर्ण कदम है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के हाइपरसोनिक मिसाइल कार्यक्रम निश्चित रूप से क्षेत्रीय संतुलन में बदलाव लाने की क्षमता रखता हैं। क्योंकि इससे भारत की प्रतिरक्षा क्षमता में वृद्धि होगी और यह किसी भी संभावित संघर्ष की स्थिति में भारतीय सेना की प्रतिक्रिया को तेज़ और प्रभावशाली बनाएगी। 

बता दें की हाइपरसोनिक तकनीक, जो ध्वनि की गति से पांच गुना तेज़ गति में उड़ान भरने में सक्षम होती है, इसे विकसित करने से भारत को रणनीतिक सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण बढ़त मिलेगी। क्यों की हाइपरसोनिक मिसाइल को ट्रैक नहीं किया जा सकता हैं। 

ब्रह्मोस-2 भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल। 

1 .ब्रह्मोस-2, भारत और रूस के संयुक्त उद्यम से विकसित होने वाली एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। 

2 .ब्रह्मोस-2 को बनाने में दुनिया की सबसे तेज़ मिसाइल जिरकॉन की तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।

3 .ब्रह्मोस-2 की रेंज 1,500 किलोमीटर और इसकी गति मैक 8 होने की उम्मीद है। इसे जमीन, पानी, और हवा से लॉन्च किया जा सकता है। 

4 .ब्रह्मोस-2 को स्क्रैमजेट एयरब्रेस्टिंग जेट इंजन से लैस किया जाएगा। इसमें अत्याधुनिक तकनीकों का समावेश किया गया है, जैसे कि उच्च गति वाली नेविगेशन प्रणाली और रडार से बचने की क्षमताएँ।

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