एमवीआर समीक्षा की प्रक्रिया
मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने सभी जिलों में डीएम की अध्यक्षता में जिला मूल्यांकन समितियां गठित की हैं। इन समितियों को निर्देश दिया गया है कि वे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूदा बाजार दर का आकलन कर न्यूनतम मूल्य दर (एमवीआर) की नई दर तय करने की अनुशंसा करें। समितियों की रिपोर्ट के आधार पर ही राज्य सरकार अंतिम निर्णय लेगी।
जानकारी के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में एमवीआर में अंतिम बदलाव 2013 और शहरी क्षेत्रों में 2016 में हुआ था। लेकिन अब जमीन की वास्तविक बाजार दर कई गुना बढ़ चुकी है, जिससे सरकारी दर और बाजार मूल्य के बीच बड़ा अंतर बन गया है।
एमवीआर बढ़ने से क्या होगा फायदा
एमवीआर में वृद्धि से सरकार को निबंधन और स्टाम्प शुल्क से अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। साथ ही यह कदम खरीदार और विक्रेता के लिए भी अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा।
जमीन का नया वर्गीकरण
ग्रामीण क्षेत्र: व्यवसायिक भूमि, औद्योगिक भूमि, आवासीय भूमि, राष्ट्रीय राजमार्ग और मुख्य सड़कों के दोनों किनारों की भूमि, सिंचित भूमि, असिंचित भूमि, बलुआही, पथरीली, दियारा एवं चंवर भूमि।
शहरी क्षेत्र:
प्रधान सड़क पर व्यावसायिक/आवासीय भूमि, मुख्य सड़क पर व्यावसायिक/आवासीय भूमि, औद्योगिक भूमि, शाखा सड़क पर व्यावसायिक/आवासीय भूमि, अन्य सड़क (गली) पर आवासीय भूमि, कृषि/गैर आवासीय भूमि।
विशेषज्ञों के अनुसार, मुख्य सड़कों और नए विकसित इलाकों की बाजार दर के हिसाब से एमवीआर तय की जा रही है, जिससे भविष्य में निबंधन प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और वास्तविक बाजार के अनुरूप होगी।
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