अमेरिका ने दिया धोखा, भारत के साथ आया ये देश, चीन सन्न!

नई दिल्ली। हाल ही में वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग में भू-राजनीतिक बदलाव देखने को मिला है। अमेरिका ने अपने नए सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के एजेंडे में भारत को शामिल नहीं किया, जिससे देश के लिए इस रणनीतिक क्षेत्र में चुनौतियां बढ़ गई हैं। यह कदम उस समय आया है जब चीन के प्रभुत्व और उसके एकाधिकार का असर इस उद्योग पर बढ़ रहा है। अमेरिका की इस नीति ने भारत के हितों को दरकिनार कर दिया, लेकिन इस स्थिति में जापान ने सहयोग का हाथ बढ़ाया है।

जापान ने भारत को समर्थन

जापान ने स्पष्ट किया है कि वह भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। जापान के राजदूत ओनो केइची ने कहा कि जापानी कंपनियां भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण, रिसर्च, प्रशिक्षण और इकोसिस्टम के विकास में सहयोग करना चाहती हैं। हाल ही में भारत-जापान आर्थिक सुरक्षा साझीदारी के तहत हुई बैठक में यह बात सामने आई।

अमेरिका की नीतियों से भारत पर असर

अमेरिका की हाल की पहल, जिसमें क्रिटिकल टेक्नोलॉजी और मिनरल्स पर जोर दिया गया है, में भारत को शामिल नहीं किया गया। यह कदम अमेरिकी टैरिफ और आर्थिक नीतियों का विस्तार माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका की यह रणनीति भारत को इस महत्वपूर्ण तकनीकी क्षेत्र से बाहर रखने का संकेत देती है।

जापानी कंपनियों ने भारत में कदम बढ़ाया

जापानी राजदूत के अनुसार, भारत में जापानी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की लगभग 160 कंपनियों ने सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को मजबूत बनाने के लिए विशेष कमेटी बनाई है। गुजरात के धोलेरा और असम के जागीरोड स्थित टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स सेमीकंडक्टर फैसिलिटी का दौरा कर जापानी प्रतिनिधियों ने भारत में निवेश और उत्पादन की संभावनाओं का जायजा लिया।

भारत-जापान सहयोग की रणनीति में वृद्धि

2023 में भारत और जापान ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग बढ़ाने का समझौता किया था। इसका लक्ष्य चीन के एकाधिकार को चुनौती देने के लिए एक भरोसेमंद सप्लाई चेन तैयार करना है। इसमें रिसर्च, डेवलपमेंट और तकनीकी टैलेंट के विकास पर जोर दिया गया है। जापान का सहयोग भारत के लिए इस क्षेत्र में सफलता की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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