बिहार में 'शिक्षकों' के लिए बड़ा अपडेट, विभाग की कड़ी नजर!

पटना। बिहार में शिक्षकों से जुड़ा एक अहम मामला सामने आया है। वेतन भुगतान में हो रही देरी को लेकर अपनी बात सोशल मीडिया पर रखना अब शिक्षकों के लिए मुश्किल बनता जा रहा है। शिक्षा विभाग की कड़ी नजर अब न केवल स्कूलों तक सीमित है, बल्कि शिक्षकों के निजी सोशल मीडिया ग्रुपों तक भी पहुंच चुकी है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि अपनी समस्याएं साझा करने वाले शिक्षक विभागीय कार्रवाई के दायरे में आ रहे हैं।

वेतन की समस्या और बढ़ती नाराजगी

कई शिक्षक, खासकर प्रधान शिक्षक पद पर हाल ही में योगदान देने वाले, लंबे समय से वेतन न मिलने की शिकायत कर रहे हैं। ऐसे शिक्षक अपने सहयोगियों के साथ व्हाट्सएप जैसे निजी ग्रुपों में चर्चा कर रहे थे। लेकिन अब यही चर्चा उनके लिए परेशानी का कारण बन गई है। विभाग का मानना है कि इस तरह की बातचीत से उसकी छवि धूमिल हो रही है।

पटना जिले में सामने आए मामले

पटना जिले में बीते एक महीने के भीतर ऐसे कम से कम पांच मामले सामने आए हैं, जहां शिक्षकों को सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों के लिए शो-कॉज नोटिस जारी किया गया। इन मामलों में शिक्षकों द्वारा वेतन में देरी को लेकर व्यक्त की गई नाराजगी के स्क्रीनशॉट अधिकारियों तक पहुंचे, जिसके आधार पर कार्रवाई की गई। 10 दिसंबर को बिक्रम प्रखंड के एक प्राथमिक विद्यालय के प्रधान शिक्षक को इसी वजह से नोटिस दिया गया। इससे पहले 12 नवंबर को खुसरूपुर के एक मध्य विद्यालय के शिक्षक से भी स्पष्टीकरण मांगा गया था।

विभाग की दलील और शिक्षकों की चिंता

शिक्षा विभाग का कहना है कि अनुशासन बनाए रखना आवश्यक है और विभागीय मामलों को सार्वजनिक मंचों पर उठाना उचित नहीं है। वहीं, शिक्षक इसे अपनी आवाज दबाने की कोशिश मान रहे हैं। उनका कहना है कि जब महीनों तक वेतन नहीं मिलता, तो आपसी चर्चा के अलावा उनके पास कोई और रास्ता नहीं बचता।

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